नापतोल दिखाता है फर्जी कमी, सेंसोडाइन डॉक्टरों के जरिए करता है गुमराह, इनके एडवर्टाइजमेंट पर लगी रोक

सामानों की झूठी कमी दिखाकर एडवर्टाइजमेंट करने वाली ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी नापतोल और विदेशी डॉक्टरों के जरिए प्रचार करने वाले टूथपेस्ट सेंसोडाइन के एडवर्टाइजमेंट को गुमराह करने वाला बताते हुए सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन रेगुलेटर यानी CCPA ने इन पर रोक लगा दी है।

देश के 87% ग्राहकों का मानना है कि वे एडवर्टाइजमेंट से सामान या सर्विस बारे में मिली जानकारी को सही मानते हैं। वहीं 60% ग्राहकों का मानना है कि एडवर्टाइजमेंट उन्हें गैर जरूरी खरीदारी करने को मजबूर करते हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में एक बयान में कहा कि CCPA ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर (GSK) के खिलाफ 27 जनवरी और नापतोल के खिलाफ 2 फरवरी को आदेश जारी किया।

चलिए जानते हैं कि नापतोल और सेंसोडाइन के एडवर्टाइजमेंट पर क्यों लगी रोक? इन दोनों ने किन नियमों का उल्लंघन कर दिखाए विज्ञापन? कैसे गुमराह करने वाले एडवर्टाइजमेंट से लोगों को बनाया बेवकूफ?

बनावटी कमी दिखाकर बेचता है नापतोल, 10 लाख रुपए का जुर्माना लगा
CCPA ने गुमराह करने वाले एडवर्टाइजमेंट दिखाने और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज के लिए नापतोल (Naaptol) ऑनलाइन शॉपिंग लिमिटेड पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। CCPA ने नापतोल को यह बताने में असफल रहने के लिए फटकार लगाई कि उसके 24×7 चैनल पर आने वाले एडवर्टाइजमेंट लाइव नहीं, बल्कि पहले से रिकॉर्ड किए गए हैं।

नापतोल के अपने विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले प्रोडक्ट के एक निश्चित पीरियड के लिए ही उपलब्ध रहने के दावे को ‘बनावटी कमी’ कहते हुए ऐसे एडवर्टाइजमेंट्स को तुरंत रोकने का निर्देश दिया गया है।

  • CCPA ने कहा है कि नापतोल अपने एडवर्टाइजमेंट्स में सामानों की ‘बनावटी कमी’ दिखाना बंद करे और ये बताए कि उसके एडवर्टाइजमेंट लाइव नहीं बल्कि पहले से रिकॉर्ड किए गए हैं।
  • नापतोल अपने एडवर्टाइजमेंट्स में दिखाए जाने वाले सामानों के कुछ ही घंटे उपलब्ध रहने का दावा करता है, इसे ही CCPA ने ‘झूठी या बनावटी कमी’ बताते हुए इसे तुरंत रोकने को कहा है।
  • ‘बनावटी या नकली कमी’ के जरिए किसी सामान को बेहद कम समय या बहुत ही कम संख्या में उपलब्ध होने का दावा किया जाता है।
  • बनावटी कमी’ से कंज्यूमर पर जल्द से जल्द उसे खरीदने का दबाव बनता है। ऐसा करके कंपनी कंज्यूमर को गुमराह करती है और गलत तरीके से अपनी सेल बढ़ाती है। नापतोल की इस रणनीति को ही CCPA ने रोकने को कहा है।

8 महीने में नापतोल के खिलाफ दर्ज हुईं 399 शिकायतें

  • नापतोल को मई 2021 से जनवरी 2022 के बीच उसके खिलाफ दर्ज शिकायतों का निपटारा करते हुए 17 फरवरी 2022 तक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। जून 2021 से जनवरी 2022 के दौरान नापतोल के खिलाफ 399 शिकायतें दर्ज हुई थीं।
  • CCPA ने 2 फरवरी, 2022 को आदेश पारित किया। इसमें नापतोल को ब्रॉडकास्ट और ऑनलाइन मीडियम के जरिए लोगों को गुमराह करने वाले एडवर्टाइजमेंट दिखाने का दोषी पाया गया। ऐसे में उसे कुछ एडवर्टाइजमेंट्स को आदेश पारित होने के 7 दिन के अंदर बंद करने का आदेश दिया गया।
  • नापतोल के ‘सेट ऑफ 2 गोल्ड ज्वैलरी’, ‘मैगनेटिक नी स्पोर्ट’ और ‘एक्यूप्रेशर योगा स्लीपर्स’ जैसे एडवर्टाइजमेंट्स को लोगों को गुमराह करने वाला बताते हुए उन्हें बंद करने को कहा गया है।
  • CCPA ने कहा है कि नापतोल के गुमराह करने वाले एडवर्टाइजमेंट्स का कई कंज्यूमर्स पर गहरा और लंबे समय तक रहने वाला असर पड़ा है, क्योंकि कंपनी 24X7 चैनल चलाती है, जो देशभर में हर दिन कई भाषाओं में प्रसारित होते हैं।

डाबर के प्रोडक्ट को नापतोल ने अपने एडवर्टाइजमेंट में बताया था खराब
नापतोल को डाबर के मच्छर भगाने वाले ब्रांड ‘ओडोमास’ को हानिकारक बताने का दोषी पाया गया। हाल ही में इस पर दिल्ली की एक जिला अदालत ने इस एडवर्टाइजमेंट्स को रोकने का आदेश जारी किया था।

कुछ सालों में अरबों रुपए की कंपनी बन गई नापतोल

  • नापतोल की शुरुआत 2008 में मनु अग्रवाल ने की थी। नापतोल ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी है, जो टेलिविजन और ऑनलाइन माध्यमों से अपने प्रोडक्ट बेचती है।
  • नापतोल का एक 24 घंटे चलने वाला टीवी चैनल है, जिसके जरिए वह हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ समेत विभिन्न भाषाओं में अपने प्रोडक्ट्स का एडवर्टाइजमेंट करता है।
  • नापतोल के मुताबिक, इसके प्लेटफॉर्म पर 470 से ज्यादा ‘ब्रांड और दुकानें’ हैं। इसके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक्स, घर और किचन के सामान, कार और बाइक के सामान समेत कई कैटेगरी के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। 2018 में नापतोल ने 100 ऑफलाइन स्टोर खोलने के लिए 10 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए थे।
  • नापतोल के निवेशकों में जापान की मित्सुई एंड कंपनी, जेपी मॉर्गन और वेंचिर कैपिटल इंवेस्टर न्यू एंटरप्राइज एसोसिएट्स जैसे नाम शामिल हैं।
  • नापतोल ने 2018 में इन निवेशकों से 1.5 करोड़ डॉलर (113 करोड़ रुपए) और 2015 में 5.17 करोड़ डॉलर (389 करोड़ रुपए) के बड़े फंड जुटाए थे।
  • नापतोल का राजस्व वित्त वर्ष 2020 में 321.22 करोड़ रुपए रहा था, जबकि वित्त वर्ष 2021 में ये 318.87 करोड़ रहा था। कंपनी को वित्त वर्ष 2020 में 51.84 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था, लेकिन वित्त वर्ष 2021 में उसने 3.42 करोड़ रुपए का फायदा कमाया।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, नापतोल अपना आईपीओ लाने की योजना बना रहा है, जिसके जरिए व 1000 करोड़ रुपए जुटाने का टारगेट है।

विदेशी डॉक्टरों से प्रचार करवाने के लिए सेंसोडाइन के एडवर्टाइजमेंट्स पर लगी रोक
CCPA ने डेंटल टूथपेस्ट सेंसोडाइन के विदेशी डेंटिस्ट से विज्ञापन कराए जाने की वजह से नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए भारत में इसके एडवर्टाइजमेंट पर रोक लगाने का आदेश दिया है। सेंसोडाइन को ब्रिटिश कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) बनाती है। साथ ही CCPA ने सेंसोडाइन से जुड़े एडवर्टाइजमेंट में किए जाने वाले कई दावों के भी जांच के आदेश दिए हैं।

विदेशी डेंटिस्ट से करता है सेंसोडाइन प्रचार

  • आपने अक्सर टीवी पर सेंसोडाइन टूथपेस्थ का प्रचार करते हुए विदेशी डेंटिस्ट को देखा होगा। सेंसोडाइन को बनाने वाली GSK कंपनी विदेशी डेंटिस्ट के जरिए भारत में इस टूथपेस्ट का एडवर्टाइजमेंट करवाती रही है, इसे CCPA ने नियमों का उल्लंघन माना है।
  • दरअसल, भारत में डॉक्टरों के किसी दवा या प्रॉडक्ट के सार्वजनिक प्रचार करने पर रोक है, ऐसे में इस नियम से बचने के लिए सेंसोडाइन के विज्ञापन में विदेश में प्रैक्टिस कर रहे डेंटिस्ट को दिखाया जाता था। CCPA ने इसे नियमों के खिलाफ माना है।
  • CCPA का कहना है कि सेंसोडाइन के एडवर्टाइजमेंट में प्रोफेशनल डेंटिस्ट उसके प्रोडक्ट की तारीफ करते और उसे यूज करने की सलाह देते नजर आते है, इससे कंज्यूमर के मन में ये धारणा बनती है कि अगर वे सेंसोडाइन को नहीं खरीदते हैं तो डॉक्टरी सलाह की अनदेखी कर रहे हैं।
  • साथ ही CCPA सेंसोडाइन के एडवर्टाइजमेंट में किए जाने वाले “दुनिया भर के डेंटिस्ट द्वारा रेकमेंडेड”, “दुनिया का नंबर 1 सेंसिटिविटी टूथपेस्ट” और “क्लीनिकली प्रूवन रिलीफ, 60 सेकंड में काम करता है” जैसे दावों की जांच करेगा।
  • जांच में दोषी पाए जाने पर GSK के सभी प्रोडक्ट्स के एडवर्टाइजमेंट पर सालभर के लिए रोक लग सकती है और उस पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लग सकता है।

भारत में कैसे तेजी से आगे बढ़ा सेंसोडाइन
सेंसोडाइन की भारत में एंट्री करीब एक दशक पहले 2010 में हुई थी। उसने दांतों की सेंसिटिविटी या झनझनाहट की समस्या से जूझ रहे भारतीयों को टारगेट किया।

  • भारत में दांतों की समस्या बहुत आम है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश की करीब 60% आबादी दांतों के खराब होने की समस्या से पीड़ित है तो वहीं 85% आबादी मसूढ़ों की समस्या से जूझ रही है।
  • ​​​​​​​हर तीन में से एक भारतीय दांतों की सेंसिटिविटी से पीड़ित है। ऐसे में सेंसोडाइन ने भारतीयों की सेंसिटिविटी ठीक करने में मददगार बनने का दावा किया।
  • महज एक दशक के अंदर ही वह सेंसोडाइन देश के डेंटल टूथपेस्ट मार्केट के सबसे बड़े ब्रांड में से एक बन गया। भारत के 10 हजार करोड़ रुपए के ओरल केयर मार्केट में सेंसोडाइन सालाना 30-40 पर्सेंट की दर से ग्रोथ कर रहा है।

एडवर्टाइजमेंट हमारी खरीदारी को करते हैं प्रभावित
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अमेरिकी ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, औसतन एक व्यक्ति प्रति दिन 300 से ज्यादा एडवर्टाइजमेंट देखता है।

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