जिस कमरे में अमरमणि, वह अस्पताल से ही गायब! …

प्रभाव ऐसा कि एक इशारे पर बेटे को टिकट, पता- जेल; लेकिन जब चाहे अस्पताल, जब चाहे दिल्ली…. 

चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी का दबदबा अभी भी कायम है। यह हम नहीं, बल्कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कमरे के बाहर की गली का माहौल बता रहा है। अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी कहने को तो जेल में हैं, लेकिन असल में, उनकी जिंदगी गोरखपुर के अस्पताल में कट रही है। जब से सजा हुई दोनों बीमार हैं, और इलाज करा रहे हैं।

ये तो हो गई बीमारी की बात, लेकिन यह हम आपको क्यों बता रहे हैं, अमरमणि की कहानी किसी से छुपी नहीं है, लेकिन इस समय बात क्यों की जा रही है, यह समझ लीजिए।

दरअसल, चुनावी माहौल है। अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी इस वक्त जिस अस्पताल में हैं, यहां से करीब 80 किलोमीटर दूर महराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से अमर-मधुमणि के बेटे अमनमणि त्रिपाठी बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस सीट से 2017 में निर्दलीय जीते थे।

 ……की टीम अमरमणि त्रिपाठी का हाल-चाल लेने बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंची, तो यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने पूछताछ शुरू कर दी। एक अपराधी के लिए पुलिस का ऐसा व्यवहार देख टीम ने बीआरडी के प्रिंसिपल से ही पहले बात करना ठीक समझा। लेकिन यहां बड़ा झोल निकला। बीमारी के बारे में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कोई ठीक जवाब नहीं दिया। ऊपर से यह भी कह दिया कि अमरमणि से ही पूछ लो।

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार से जब दैनिक भास्कर की टीम ने अमरमणि की बीमारी के बारे में पूछा तो वे मानसिक बीमारी बताते रुक गए। फिर बोले अमरमणि से ही पूछ लो।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार से जब दैनिक भास्कर की टीम ने अमरमणि की बीमारी के बारे में पूछा तो वे मानसिक बीमारी बताते रुक गए। फिर बोले अमरमणि से ही पूछ लो।

स्वास्थ्य महकमे के एक जिम्मेदार से ऐसी बातें सुनकर भास्कर टीम के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया कि ऐसी क्या बीमारी है, जिसके बारे में खुद अमरमणि ही बताएंगे, डॉक्टर नहीं बता सकते। तो इस पर भी पड़ताल की…

समझिए बीमारियां क्या हैं…
….  टीम ने सजायाफ्ता दंपति की बीमारी के बारे में जानने के लिए दूसरे डॉक्टर्स और इनके मिलने-जुलने वालों से बात की, तो पता चला कि पति-पत्नी दोनों ही सात साल से लगातार बीमार हैं। इससे पहले भी बीमारी बताकर अस्पताल आते-जाते रहे। सात साल में कभी गंभीर तो कभी बहुत हल्की बीमारी बताई गई, लेकिन कभी भी जो बीमारी रही उससे संबंधित अस्पताल में नहीं गए। अब अभी का ले लीजिए। बताया जा रहा है कि मानसिक बीमारी है, तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज में क्यों? इसी तरह कभी जकड़न, कभी थकान, कभी बीपी-शुगर तो कभी कमर का दर्द तो कभी कोई और बीमारी। वहीं, मधुमिता की बहन निधि शुक्ला के अनुसार, अमरमणि ने अपने को दिल और तंत्र-तंत्रिका संबंधी बीमारी बताकर अस्पताल में भर्ती कराया। जबकि वह अस्पताल से ही अपना शासन चला रहा है।

चुनाव के समय गृह जिले में, बीमारी तो बहाना
वकील वीरेंद्र अधिकारी का कहना है कि गोरखपुर अमरमणि का गृह ज़िला है, जहां वह बीमारी का बहाना करके जेल से बाहर बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) में भर्ती हैं। अपने प्रभाव के चलते अमरमणि ने उत्तराखंड की हरिद्वार की रौशनाबाद जेल से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की जेल में अपना और पत्नी मधुमणि का तबादला करा लिया था, जबकि जेल मैन्युल के अनुसार, वह ऐसा नहीं कर सकता था। 4 दिसंबर 2008 को मधुमणि और 13 मार्च 2012 को अमरमणि गोरखपुर जेल आ गए थे। 13 मार्च 2013 से ही अमरमणि गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में अपना इलाज करा रहे हैं, जबकि 27 फरवरी 2013 से मधुमणि यहां इलाज करा रही हैं।

हरिद्वार के अस्पताल में होना चाहिए था
वकील वीरेंद्र अधिकारी बताते हैं कि किसी भी ऐसी लंबी बीमारी के सिलसिले में मेडिकल बोर्ड की सिफारिश के बिना अस्पताल में नहीं रह सकते हैं। अगर अमरमणि को बीमारी है भी तो उसे जेल मैन्युल के अनुसार, हरिद्वार के किसी अस्पताल में होना चाहिए। दूसरी बात कि लंबी बीमारी के सिलसिले में बाकायदा मेडिकल बोर्ड की ओर से सिफारिश की जाती है।

एक इशारा और बदल जाती है जगह
बेटी की सगाई दिल्ली में थी, इसलिए अमरमणि को दिल्ली रेफर किया गया। 16 फरवरी 2019 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अमरमणि की अचानक तबीयत खराब हो गई, उन्हें एम्स दिल्ली रेफर किया गया, जहां पर 17 फरवरी 2019 को उनकी बेटी की सगाई थी। इससे पहले अमरमणि ने पैरोल पर जमानत मांगी थी। लेकिन, नहीं जमानत नहीं मिली।

पड़ताल में यह भी आया सामने
…….. टीम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाहर अपना डेरा जमाया। आने-जाने वाले लोगों को देखा समझा। हर गतिविधि पर नजर रखी, तो उन दावों की हकीकत का पता चला जिसमें कहा जाता है कि अस्पताल में चुनावी दरबार चलता है।
वरना खुद ही सोचिए…

  • जिन कमरों में क्रम से नंबर लिखे हों वहां कमरा नंबर 16 का अंक गायब कैसे हो सकता है?
  • जो बीमारी है, उसे ठीक करने के प्रयास में इतनी गंभीरता कम क्यों?
  • डॉक्टर का कम, चुनिंदा लोगों का ही आना-जाना क्यों?
  • मीडिया को मिलने से रोक क्यों?
  • मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का खुलकर बीमारी बताने में संकोच क्यों ?
  • आरटीआई का जवाब देने में आनाकानी या देरी क्यों?
सीढ़ियों से लगा कमरा अमरमणि का है। इस पर कमरा नंबर 16 नहीं लिखा है, जबकि इसके तुरंत बाद वाले कमरे पर 17 नबंर है।
सीढ़ियों से लगा कमरा अमरमणि का है। इस पर कमरा नंबर 16 नहीं लिखा है, जबकि इसके तुरंत बाद वाले कमरे पर 17 नबंर है।

……  टीम ने क्या देखा?
सामान्य से दिखने वाले मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में दो मंजिल में 32 कमरे हैं, जिसमें ऊपरी हिस्से के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी रहती हैं। यहां दोनों लगभग 20 वर्षों से रह रहे हैं। वार्ड के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा हुआ है, लेकिन, कमरा नंबर 15 के बाद 17 नंबर का कमरा आ जाता है। जिस कमरे में वह हैं, उसमें 16 नंबर नहीं लिखा है। यह कमरा सीढ़ियों से सटा है, इसके बाहर हमेशा लोग रहते हैं। कमरे के बाहर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। इसके साथ ही अमरमणि के अपने आदमी भी रहते हैं, जो किसी भी आने जाने वाले पर कड़ी निगाह रखते हैं।

दैनिक भास्कर की टीम अमरमणि-मधुमणि त्रिपाठी के कमरे के बाहर गैलरी तक गई तो देखा कि यहां बकायदा लोग मिलने आ रहे हैं। खास व्यवस्था देखने को मिली।
दैनिक भास्कर की टीम अमरमणि-मधुमणि त्रिपाठी के कमरे के बाहर गैलरी तक गई तो देखा कि यहां बकायदा लोग मिलने आ रहे हैं। खास व्यवस्था देखने को मिली।

भास्कर टीम पर भी थी निगरानी
एक व्यक्ति के इशारे के बाद कुर्सी पर बैठा व्यक्ति भास्कर टीम को ऊपर से देख रहा था। दैनिक भास्कर टीम की गाड़ी प्राइवेट वार्ड के बाहर खड़ी थी। रात को एक बजे से लेकर 3 बजे तक 13 लोग वाहन के पास आकर निगरानी रख रहे थे। साढ़े तीन बजे पुलिस आई और पूछताछ की, जिसके बाद जितनी देर मेडिकल कॉलेज में भास्कर की गाड़ी खड़ी रही, पुलिस की टीम दूर से देखती रही।

बातचीत में किसने-क्या कहा?
अमरमणि त्रिपाठी के मामले में जेल अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज प्रशासन कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। हमने लगातार कुछ न कुछ रहन-सहन और बीमारी के बारे में पूछने की कोशिश की लेकिन जवाब नहीं मिला।

चुनाव 2022 और अमरमणि का गोरखपुर में होना…क्या कनेक्शन है?

  • अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी हैं।
  • महराजगंज की नौतनवां सीट से बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं।
  • अमरमणि त्रिपाठी का पूरे पूर्वांचल दबदबा माना जाता है।
  • जेल के बाहर होने और गोरखपुर में ही अस्पताल में होने से उनका प्रभाव माना जा रहा।
  • उनके आस-पास का माहौल बताता है कि अमरमणि त्रिपाठी बेटे के लिए राह आसान कर रहे हैं। ऐसा लोगों का कहना है।

हर बदलती सत्ता में कायम रखा रसूख

  • अमरमणि त्रिपाठी के राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक हरीशंकर तिवारी के साथ हुई थी।
  • 2001 में अमरमणि त्रिपाठी भाजपा सरकार में मंत्री थे।
  • मुलायम सरकार में सपा के साथ रहे। इसके बाद बसपा के हो गए।
  • अमरमणि त्रिपाठी लगातार 6 बार विधायक रहे। जेल से चुनाव जीतने वाले वह पहले नेता थे।

कौन थीं मधुमिता शुक्ला

  • लखीमपुर खीरी की कवियित्री जो, वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं।
  • मई 2003 में, लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
  • पोस्टमार्टम में 7 महीने की प्रेग्नेंट होने का पता चला था।
  • डीएनए जांच में पता चला कि पेट में पल रहा बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का था।
  • इससे अमरमणि और मधुमिता शुक्ला के संबंध खुलकर सामने आ गए थे।
मधुमिता शुक्ला लखीमपुर खीरी की कवियित्री थी, जो वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। मई 2003 में लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
मधुमिता शुक्ला लखीमपुर खीरी की कवियित्री थी, जो वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। मई 2003 में लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

जानिए, मधुमिता हत्याकांड के बारे में

  • अमरमणि की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी भी हत्या की साजिश में शामिल थीं।
  • इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही हैं। पति-पत्नी दोनों ही जेल में हैं।
  • देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट के पास यह केस था।
  • मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला लगातार इस केस में डटी हुई हैं।
नौतनवा से अमनमणि त्रिपाठी बसपा से प्रत्याशी हैं। अमनमणि त्रिपाठी पर पत्नी सारा की हत्या के आरोप हैं। टिकट मिलने पर बसपा कार्यालय के बाहर अमनमणि की सास सीमा सिंह और मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने प्रदर्शन कर विरोध जताया था।
नौतनवा से अमनमणि त्रिपाठी बसपा से प्रत्याशी हैं। अमनमणि त्रिपाठी पर पत्नी सारा की हत्या के आरोप हैं। टिकट मिलने पर बसपा कार्यालय के बाहर अमनमणि की सास सीमा सिंह और मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने प्रदर्शन कर विरोध जताया था।

क्या कहती हैं मधुमिता की बहन निधि शुक्ला
निधि शुक्ला बताती हैं कि मधुमिता की हत्या के लगभग 20 दिन के बाद सीबीसीआईडी से जांच सीबीआई को सौंपी गई तो दो दफा उन लोगों के गवाह मुकर गए, क्योंकि केस लखनऊ में चल रहा था, इसलिए गवाह सरकारी दबाव में थे। उस वक्त राज्य में बसपा की सरकारी थी। परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल कर केस को तमिलनाडु या दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की। वर्ष 2005 में यह केस लखनऊ से उत्तराखंड ट्रांसफर हो गया था। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने मधुमिता हत्याकांड में पांच लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसे नैनीताल हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।

निधि ने बताया कि अमरमणि त्रिपाठी उन दिनों बसपा सरकार में मंत्री था। वह बाहुबली ताकतवर नेता माना जाता था। अमरमणि त्रिपाठी ऐसी सियासत करने वालों में से था कि हमेशा सत्ता के आसपास रहा चाहे सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन मधुमिता की हत्या मामले में कोर्ट ने इस ताकतवर नेता को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। जाहिर है कि अपराध में किसी ताकतवर नेता का नाम आए तो हत्या की जांच प्रभावित होना स्वाभाविक है। मधुमिता के परिवार ने अपनी जान को खतरा बताया। निधि ने बताया कि हर दिन उनके घर प्रशासन और पुलिस बल उन्हें डराने धमकाने के लिए पहुंचा रहता है।

क्या कहते हैं वकील
मधुमिता हत्याकांड के नैनीताल हाईकोर्ट के वकील वीरेंद्र अधिकारी का कहना है कि अमरमणि की सिर्फ राजनीतिक तौर पर मौत हुई है, लेकिन आज भी उसकी ताकत और बाहुबल में कोई कमी नहीं। हाल ही में अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी ने उत्तराखंड सरकार को दया याचिका दी थी, जिसे फिर नैनीताल हाईकोर्ट में भी दिया गया, लेकिन कोर्ट ने उस दया याचिका को खारिज कर दिया। अब निधि शुक्ला फिर से नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर करने जा रही हैं।

अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की बेटे अमनमणि त्रिपाठी बसपा की टिकट से नौतनवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की बेटे अमनमणि त्रिपाठी बसपा की टिकट से नौतनवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

जानिए अमनमणि त्रिपाठी के बारे में

  • अमरमणि त्रिपाठी का बेटा अमनमणि त्रिपाठी नौतनवा से विधायक है।
  • 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
  • पत्नी सारा की हत्या का आरोप है, लव मैरिज की थी।

फर्जी पते पर हथियार का लाइसेंस
अमरमणि के पास रिवॉल्वर और बंदूक का लाइसेंस है। रिवॉल्वर लाइसेंस 15 मार्च 1985 को जारी हुआ था, जिसकी संख्या 85, 19 ए हुमायूबाग गोरखपुर और बंदूक दो नवंबर 1983 को कानपुर से जारी किया गया था, जिसका नंबर 78 है। लाइसेंस पर 128/51 सी ब्लॉक किदवई नगर का पता है। 15 दिसंबर 1986 को किदवई नगर चौकी प्रभारी डूमर सिंह ने रिपोर्ट में जानकारी दी कि, किदईपुर में अमरमणि कभी गए ही नहीं। आजीवन सजा काट रहे अमर मणि का 2018 तक लाइसेंस निरस्त नहीं हुआ।

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