ग्राहकों का मूड भांपने और चीजों के बदलने का अनुमान लगाते रहने वाले बिजनेस हमेशा होते हैं सफल

इस मंगलवार को अपनी पार्टी से इस्तीफा देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने कारण बताया कि ‘पार्टी अब देश के मिजाज़ को नहीं समझ पा रही।’ और तब मुझे याद आया कि इस साधारण से स्लोगन का इस्तेमाल करके कैसे ब्राजील स्थित एक स्टार्टअप फिटनेस कंपनी पिछले हफ्ते 2.2 बिलियन डॉलर की हो गई। ‘जिमपास’ की कहानी उन सबको पढ़ना चाहिए, जो सोचते हैं कि उनका बिजनस कठिन दौर से गुजर रहा है। यहां इसकी कहानी है।

फरवरी 2020 में एक रविवार को जिमपास के सीईओ, सेसर कार्वाल्हो को कंपनी के सह-संस्थापक जोआओ बारबोसा का इटली से फोन आया। उस समय वह कोरोना के प्रसार के बाद संभावित लॉकडाउन की आशंका से जल्दबाजी में सामान पैक करके देश छोड़ने की जल्दी में थे। दोनों ने मान लिया था कि अगले 30 दिनों में, जिस-जिस मार्केट में उनके स्टूडियो और जिम हैं, वे बंद हो जाएंगे।

यह सबसे विख्यात जिम थी और वो इसलिए नहीं कि इसके पास ना केवल कसरत सुविधाएं थीं, बल्कि अपने एप पर सिंगल मेंबरशिप से यह हजारों जिम्स में जाने की सुविधा देती थी, वो भी न केवल उनके द्वारा संचालित शहरों में, बल्कि राज्यों, जिलों और यहां तक कि दुनिया के दस और देशों में भी! यह कर्मचारियों को कार्यस्थल पर ही फायदा पहुंचाने के लिए नियोक्ताओं के साथ अनुबंध करती है।

यहां तक कि मैंने खुद मुंबई में डीएनए अखबार की शुरुआत के समय एक स्थानीय फिटनेस एजेंसी के साथ अनुबंध करके काफी पहले 2005 में उन्हें यह आइडिया दिया था और दफ्तर परिसर में ही उनके पेशेवर ट्रेनर्स के साथ 12 घंटे का वर्कआउट स्टेशन बनवाया था। जिमपास के पास केपीएमजी, मैकडॉनल्ड्स, यूनीलिवर जैसे कई बड़ी कंपनियां हैं और उन्हें डर था कि उनकी आठ साल पुरानी कंपनी कुछ ही समय में डूबने वाली है क्योंकि पूरी दुनिया जिम जाने के मूड में नहीं थी।

फोन पर हुई चर्चा के अगले दिन सीईओ ने एक मीटिंग बुलाई और सारे मैनेजर्स से कहा कि इसमें कोविड के अलावा और किसी भी विषय पर चर्चा नहीं होगी। इटली में क्या कुछ चल रहा है, उन्हें यह पता लगाने के लिए कहा गया और पूछा कि अगर यह उनके इलाके में होता है, तो क्या करेंगे। आपात का सामना करने के लिए कंपनी ने खुद को दो हिस्सों में बांट लिया। एक टीम को ‘डिफेंस’ नाम देकर उसे लागत में कटौती और नियोक्ताओं के साथ अनुबंध मैनेज करने का काम सौंपा गया।

दूसरी ‘अटैक कमिटी टीम’ का काम नई सुविधाएं विकसित और शुरू करने पर ध्यान देना था। दोनों टीमों के किसी भी सदस्य को एक-दूसरे से नहीं मिलने दिया, ताकि वे फोकस और शार्प रहें। क्योंकि उनका मानना था कि हमला करने के लिए तैयार टीम बचाव नहीं कर सकती, ठीक ऐसे ही उल्टा भी मुमकिन नहीं। अब इसे दूरदर्शिता कहें या संयोग, जिमपास ने डिजिटल फिटनेस, स्लीप थैरेपी, जिम्मेदारी पूर्वक ड्रिंकिंग, धूम्रपान त्याग और मेडिटेशन सत्र के लिए ट्रायल पहले ही शुरू कर दिया।

पूरी तरह बदल चुके बिजनेस को सभी दस देशों में चालू रखना उनके लिए एक चुनौती थी। बिजनेस टू कस्टमर्स (B2C) के लिए डिजाइन कंंपनी ने चार हफ्तों में बिजनेस टू बिजनेस (B2B‌) काम करना शुरू कर दिया! वे नियोक्ताओं से बात कर रहे थे कि कैसे वे अपने सत्रों के जरिए कर्मचारियों को चुस्त और बहुत ज्यादा उत्पादक बना सकते हैं। संक्षेप में कहें, तो उन्होंने वो किया जो एचआर विभाग अपनी-अपनी कंपनियों में रूबरू होकर कर रहे थे। बाकी लोग सोचते, उससे पहले ही उन्होंने वह सब शुरू कर दिया।

जब ज्यादातर जिम लड़खड़ा रही थीं, जापान स्थित सॉफ्ट बैंक ने जिमपास को अमेरिका में फलने-फूलने व नई श्रेणियों में विस्तार के लिए 220 मिलियन डॉलर की मदद की, क्योंकि वह अपनी श्रेणी में सबसे आगे थी। आज ये 10 साल पुरानी कंपनी 2.2 बिलियन डॉलर की हो गई है।

फंडा यह है कि जो बिजनेस ग्राहकों का मूड भांपते रहते हैं और चीजों के बदलने का अनुमान लगाते रहते हैं, वे हमेशा सफल होते हैं।

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