ठगों की गिरफ्तारी के बाद भी पीड़ितों के हाथ खाली … लखनऊ में तीन गिरोह सक्रिय, कभी चेकिंग के नाम पर गहने उतरवा लेते कभी OTP पूछ खाली कर देते खाता

राजधानी में तीन ठगी करने वालों का गिरोह सक्रिय है। यह गिरोह चेकिंग के नाम पर लूटपाट का भय दिखाकर गहने उतरवा लेते हैं या वैरिफिकेशन के नाम पर ओटीपी पूछकर खातों को खाली कर रहे हैं। पिछले दिनों दो दर्जन से ज्यादा ऐसे मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन पीड़ितों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। क्योंकि ठगी की रकम या तो बरामद नहीं हुई या कानूनी दांव पेंच में फंस जा रही है। पुलिस इन गिरोहों पर नकेल लगाने की कोशिश कर रही है लेकिन उसे इसमें पूरी तरह सफलता नहीं मिल रही है।

साइबर ठग खाली कर रहे खाता, अधिकतर की नहीं लौटा पैसा

यूपी में हर साल करीब 11 हजार मुकदमें साइबर ठगी दर्ज हो रहे हैं। यूपी में वर्ष 2019 में 10341, वर्ष 2020 में 11772 व वर्ष 2021 में अब तक 5077 साइबर अपराध की एफआईआर दर्ज हुई हैं। जिसमें करोड़ों रुपये की ठगी की बात समाने आई। पुलिस ने साइबर थानों की मदद से 400 के करीब साइबर ठग की गिरफ्तारी की। इनसे सिर्फ छह करोड़ रुपये की ही वापसी पीड़ितों के खातों में हो सकी। जबकि अन्य अभी भी साइबर थानों और बैंक के चक्कर काट रहे है।

शहर में घटनाओं को अंजाम देकर छोड़ देते शहर

पुलिस सूत्रों के मुताबिक राजधानी में ठगी की वारदातों को अंजाम देने वाले एमपी, दिल्ली और राजस्थान से आए गैंग है। जो कुछ दिन शहर में रुकने के बाद घटना को अंजाम देकर चले जाते। इसके लिए उनकी धरपकड़ में दिक्कत होती है। यदि गिरफ्तारी हो भी जाती तो ठगी की रकम की बरामदगी नहीं हो पाती। क्योंकि उनके नाम कोई प्रापर्टी नहीं होती जिसे पुलिस जब्त कर सके। न ही मौके से कोई नकदी व जेवर मिलता। ऐसे ही साइबर ठग लोगों के खातों में सेंध लगा रहे हैं। पुलिस झारखंड से कई साइबर ठग पकड़े, लेकिन बरामदगी न होने से पीड़ित परेशान हैं।

चेकिंग व वाहन से तेल गिरने की बात कह लोगों को ठगते

दिल्ली का ईरानी गैंग गाड़ी से तेल गिरने की बात कह लोगों को फंसाकर गाड़ी में रखा बैग या कीमती सामान चुरा लेता है। इस गैंग ने पिछले एक साल में 112 वारदातों को अंजाम दिया। इस गिरोह के दर्जन भर सदस्य पुलिस गिरफ्तार भी कर चुकी, लेकिन बरामदगी न के बराबर हुई। दूसरी तरफ एमपी का गैंग पुलिसकर्मी बनकर लोगों को चेकिंग के नाम पर ठग रहा है। इस गैंग के खिलाफ शहर के अधिकतर थानों में मामले दर्ज है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *