रूस-यूक्रेन की जंग में पिस रहे मासूम …. टेंट में गुजार रहे सर्द रातें, उदास आंखों और मुरझाए चेहरे में सहमा बचपन

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में वहां के मासूम बच्चों को भी पिसना पड़ रहा है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि लोग क्यों एक-दूसरे की जान के पीछे पड़े हैं। यूक्रेन से अब तक 10 लाख से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा है। इनमें बड़ी संख्या बच्चों की है।

आसमान में मंडराते रूसी जहाजों के साए में रह रहे बच्चों की दर्दनाक तस्वीरें सामने आ रहीं हैं। कई बच्चे अपने माता-पिता के साथ पैदल ही सुरक्षित ठिकानों की ओर बढ़ रहे हैं। मासूम बच्चे टेंट में सर्द रात बिताने को मजबूर हैं। उनके माता-पिता चाहकर भी उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं। जंग के इस माहौल में सभी मजबूर और बेबस हैं। ऐसी 10 तस्वीरों में देखिए-कैसे रूस की बमबारी के बीच यूक्रेनी बच्चों का बचपन खत्म हो रहा है।

उम्मीदें अभी शेष हैं…जंग के माहौल में भी बच्चे मासूमियत से अमन की उम्मीद जगा रहे हैं। हंगरी के बुडापेस्ट में यूक्रेन के इस बच्चे को भी दुनिया से ऐसी उम्मीद है।
उम्मीदें अभी शेष हैं…जंग के माहौल में भी बच्चे मासूमियत से अमन की उम्मीद जगा रहे हैं। हंगरी के बुडापेस्ट में यूक्रेन के इस बच्चे को भी दुनिया से ऐसी उम्मीद है।
रूसी हमलों से बचने के लिए अपना घर छोड़ने वाले बच्चों को हाड़ कंपाने वाली ठंड का सामना करना पड़ रहा है। रोमानिया बार्डर पर बच्चों को जंग के साथ सर्दी की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है।
रूसी हमलों से बचने के लिए अपना घर छोड़ने वाले बच्चों को हाड़ कंपाने वाली ठंड का सामना करना पड़ रहा है। रोमानिया बार्डर पर बच्चों को जंग के साथ सर्दी की दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है।
झांकता बचपन...पोलैंड बॉर्डर के एक शरणार्थी कैंप में अपना टेडी बियर दिखाती मासूम यूक्रेनी बच्ची। टेंट में शरण लिए बच्चों को खाने-पीने से लेकर खेलने जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं।
झांकता बचपन…पोलैंड बॉर्डर के एक शरणार्थी कैंप में अपना टेडी बियर दिखाती मासूम यूक्रेनी बच्ची। टेंट में शरण लिए बच्चों को खाने-पीने से लेकर खेलने जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं।
कोई ताे पोंछे ये आंसू...आसमान में मंडराते रूसी फाइटर प्लेन बच्चों को भी डरा रहे हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव के एक अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन पर यह मासूम इतनी डर गई है कि रोने लगी। उसे एक बुजुर्ग महिला दिलासा दे रही है।
कोई ताे पोंछे ये आंसू…आसमान में मंडराते रूसी फाइटर प्लेन बच्चों को भी डरा रहे हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव के एक अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन पर यह मासूम इतनी डर गई है कि रोने लगी। उसे एक बुजुर्ग महिला दिलासा दे रही है।
इंतजार कब तक...जंग ने यूक्रेन के हजारों मासूमों को बेघर कर दिया है। कई मासूमों के घर रूसी हमले में तबाह हो चुके हैं। ऐसे में छोटे बच्चों को अपने सामान के साथ भटकना पड़ रहा है। पोलैंड जाने के लिए बॉर्डर पर यह बच्चा भी अपनी बारी का इंतजार कर रहा है।
इंतजार कब तक…जंग ने यूक्रेन के हजारों मासूमों को बेघर कर दिया है। कई मासूमों के घर रूसी हमले में तबाह हो चुके हैं। ऐसे में छोटे बच्चों को अपने सामान के साथ भटकना पड़ रहा है। पोलैंड जाने के लिए बॉर्डर पर यह बच्चा भी अपनी बारी का इंतजार कर रहा है।
कब थमेंगे ये आंसू…अपने घर से दूर पोलैंड के एक शरणार्थी कैंप में अकेली बिलखती बच्ची। यूक्रेन में ऐसे हजारों बच्चों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
कब थमेंगे ये आंसू…अपने घर से दूर पोलैंड के एक शरणार्थी कैंप में अकेली बिलखती बच्ची। यूक्रेन में ऐसे हजारों बच्चों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बंकरों में कैद बचपन… युद्ध के माहौल में खेलने-कूदने की उम्र में बच्चे चारदीवारी में सिमट गए हैं। पोलैंड रवाना होने से पहले अपने देश को निहारता एक यूक्रेनी मासूम।
बंकरों में कैद बचपन… युद्ध के माहौल में खेलने-कूदने की उम्र में बच्चे चारदीवारी में सिमट गए हैं। पोलैंड रवाना होने से पहले अपने देश को निहारता एक यूक्रेनी मासूम।
इंतजार कब खत्म होगा… यूक्रेन से सुरक्षित निकलने के लिए प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार करती छोटी बच्ची। युद्ध के भीषण माहौल में हर ओर अफरा-तफरी मची है।
इंतजार कब खत्म होगा… यूक्रेन से सुरक्षित निकलने के लिए प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार करती छोटी बच्ची। युद्ध के भीषण माहौल में हर ओर अफरा-तफरी मची है।
अपनों की फिक्र… जंग के इस खौफनाक मंजर में भी बच्चे मासूमियत भरे अंदाज में अपने खिलौनों की फिक्र कर रहे हैं। बच्चों को न तो खेलने को मौका मिल रहा है और न ही खुशी से उछलने-कूदने का। वे जाएं तो जाएं कहां।
अपनों की फिक्र… जंग के इस खौफनाक मंजर में भी बच्चे मासूमियत भरे अंदाज में अपने खिलौनों की फिक्र कर रहे हैं। बच्चों को न तो खेलने को मौका मिल रहा है और न ही खुशी से उछलने-कूदने का। वे जाएं तो जाएं कहां।

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