Gwalior .. बजट 2022-23 शहर की उम्मीद … सड़क और नालों के निर्माण के लिए बजट की आस, पीएमएवाई के मकान रह गए अधूरे, चंबल नदी प्रोजेक्ट तो प्लानिंग तक ही सिमटा

प्रदेश सरकार 2022-23 के बजट की तैयारी कर रही है। ऐसे में शहर को भी इससे कई अपेक्षाएं हैं। नए बजट में अमृत प्रोजेक्ट-2 में 1,295 करोड़ रुपए की राशि निगम को मिल सकती है। हालांकि पिछले कई प्राेजेक्ट सरकार से पैसे नहीं मिलने से अधूरे हैं या शुरू ही नहीं हो पाए हैं। उलटे मूलभूत राशि और चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि भी पूरी नहीं मिल रही।

हालात ये हैं कि निगम ने 31 सड़कों के लिए 34.73 करोड़ रुपए मांगे हैं। जो अभी तक नहीं मिले। इस वजह से कई सड़के उखड़ी पड़ी हैं। पिछले दिनों मूलभूत राशि के 5 करोड़ रुपए निगम को मिले थे। शासन ने पत्र पर लिखकर भेज दिया कि उक्त राशि का उपयोग सड़क निर्माण में किया जाए। जबकि सड़कों के लिए राशि अलग से मांगी गई थी। वहीं सूखा-राहत और पेयजल परिवहन के लिए शासन 6 करोड़ रुपए की राशि देता है। इसलिए निगम भी बजट में रखता है। इस वित्तीय वर्ष में एक करोड़ के करीब ही मिले हैं।

शासन से समय पर मिलता पैसा, तो शहर में दिखाई देता विकास

1.71 सड़कों को चाहिए 99 करोड़

नगर निगम ने शहर की 71 सड़कें बनाने के लिए ~99 करोड़ से ज्यादा की डिमांड की थी। इसमें 11 सड़कें स्मार्ट सिटी, दो लोक निर्माण विभाग सहित अन्य विभाग बनाने को तैयार हो गए। इसके बाद 31 सड़कों के लिए राशि संशोधित कर दी गई। ~34.73 करोड़ मांगे गए जो अभी तक नहीं मिले।

फायदा- यह राशि मिल जाती तो नगर निगम भी खराब सड़कों को बनाने का काम शुरू कर सकता है। 31 सड़कों पर ट्रैफिक आसान होता।

2.पीएम आवास को भी इंतजार

पीएम आवास योजना के तहत बीएलसी (शहरी स्वनिर्माण घटक) के लिए 445 परिवारों को तीसरी किस्त के 50-50 हजार रुपए नहीं मिले हैं। वहीं 36 परिवारों को दूसरी किस्त के 1-1 लाख रुपए की राशि नहीं मिली हैं। जबकि नगर निगम की तरफ से सभी कार्रवाई कर दी गई हैं।

फायदा- बीएलसी घटक में ~2.5 लाख किस्तों में मिलने थे। पैसा नहीं मिलने से 445 परिवारों के मकान अधूरे रह गए। इससे वे खुद के घर में नहीं पहुंच पाए।

3.बाढ़ से बचाव हेतु नाला निर्माण

पिछले साल ग्वालियर-चंबल संभाग में बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था। प्रदेश सरकार ने एसडीआरएफ फंड में राशि देने के लिए नालों की जानकारी मांगी थी। 10 नालों के लिए 17 करोड़ मांगे थे। प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी हैं। लेकिन राशि नहीं मिलने से टेंडर नहीं हो पा रहे हैं।

फायदा- नालों के निमार्ण के लिए राशि मिल जाती, तो इनको पक्का करने का काम शुरू हो जाता। इससे अगली बारिश में हालात खराब नहीं होते।

4.चंबल नदी प्रोजेक्ट

भले ही चंबल नदीं से ग्वालियर तक पानी लाने के लिए कुछ विभागों से एनओसी नहीं मिली हो। लेकिन चंबल एवं कोतवाल से मोतीझील तक पानी की लाइन के लिए 287 करोड़ मांगे हैं। इसमें से 250 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने स्वीकृत किए हैं। लेकिन अभी तक निगम को नहीं मिल सके।

फायदा- यह काम शुरू होने के बाद जब भी पूरा होगा अगले 50 साल तक शहर की आबादी को भरपूर पानी मिलेगा।

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