बेतहाशा बोरिंग पर ….. Investigation:बोरिंग के लिए निगम की एनओसी जरूरी, पर निगम ने इसका सिस्टम ही नहीं बनाया
ग्राउंड वॉटर के बेहिसाब दोहन पर रोक के लिए सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने सितंबर 2020 में नियम बनाया कि रेसीडेंशियल अपार्टमेंट्स और ग्रुप हाउसिंग के लिए बोरिंग कराने से पहले नगर निगम से एनओसी लेना जरूरी होगा। यही नहीं, ग्राउंड वॉटर के उपयोग के लिए शुल्क भी देना होगा। नियम लागू हुए डेढ़ साल बीत गए, लेकिन इसे लेकर भोपाल में कोई प्रक्रिया ही तय नहीं हुई।
राजधानी में हर साल 5000 नए बोरिंग होते हैं। शहर में कम से कम 2 लाख प्राइवेट बोर हैं। इन बोरिंग से कितना पानी बाहर निकलता है, इसका कहीं कोई हिसाब किताब नहीं है। एनजीटी के एक आदेश के आधार पर सीजीडब्ल्यूबी ने यह नियम बनाए।
इसमें व्यक्तिगत उपयोग यानी निजी मकान के लिए 1 इंच तक पानी लेने की अनुमति दी गई है। रेसीडेंशियल अपार्टमेंट्स, ग्रुप हाउसिंग के लिए ग्राउंड वॉटर उपयोग के लिए केवल उन्हीं स्थान पर एनओसी मिलेगी, जहां नगर निगम पानी सप्लाई नहीं कर रहा हो। नियमों का उल्लंघन करने पर दस लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
5000 नए बोरिंग- हमारे शहर में हर साल होते हैं
- निजी मकान के लिए 1 इंच तक पानी लेने की इजाजत
- नियमों का उल्लंघन करने पर 10 लाख तक जुर्माना
राजधानी में यह है बोरिंग की स्थिति
शहर में 90 फीसदी से अधिक इलाकों में नगर निगम की पानी की पाइप लाइन बिछी हुई हैं, इसके बावजूद घर और कॉलोनी में लोग बोरिंग कराना पसंद करते हैं। दरअसल, शहर में लोगों को निगम की सप्लाई व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। बार-बार लीकेज और गंदे पानी की शिकायतों के कारण उन क्षेत्रों में भी लोग निजी बोर करना पसंद करते हैं।
अरेरा कॉलोनी में भी ज्यादातर घरों में बोरिंग है। कोलार में जहां कुछ साल पहले तक पानी सप्लाई का नेटवर्क नहीं था, वहां आज भी महीने में 150 से अधिक बोरिंग हो रहे हैं। रोहित नगर, सलैया, मिसरोद, कटारा, करोंद, एयरपोर्ट रोड, गोविंदपुरा, अवधपुरी, इंद्रपुरी, अयोध्या बायपास और बैरागढ़ में भी अमूमन यही स्थिति है।
गाइडलाइन की जानकारी नहीं है
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की गाइडलाइन और नियमों के बारे में जानकारी नहीं है। शासन से निर्देश मिलने पर प्रक्रिया तय कर एनओसी की प्रक्रिया तय करेंगे।-वीएस चौधरी कोलसानी, कमिश्नर, नगर निगम