सावधान! आपके बच्चे चिडि़चिड़े हो रहे हैं तो पढ़ ले ये खबर, मासूमों को बेचने चल रहा प्रयास
कोरोनाकाल में बच्चों के व्यवहार में आया बदलाव तो कई गंभीर दुष्परिणाम आ रहे
इंदौर. पुलिस कमिश्नर प्रणाली में शहर का भांपने के बाद अधिकारी अब अलग अलग नवाचार कर लोगों की परेशानी दूर करने का प्रयास कर रहे है। इसके तहत बच्चों की गुमशुदगी खासकर बालिकाओं, किशोरियों की गुमशुदगी कम करने के ज्यादा प्रयास किए जा रहे है। शहर में हर दिन 2 से ज्यादा बच्चियों की गुमशुदगी हो रही है। पुलिस का अपहरण का केस दर्ज करती है, हालांकि 98-99 प्रतिशत बच्चियां मिल जाती है लेकिन तब तक परिवार को परेशानी होती रहती है। इसे ध्यान में रख पुलिस बच्चियां घर न छोड़े अभियान चला रही है। आंकलन किया है कि कोरोनाकाल में बच्चे सेंसेटिव व एग्रेसिव हो रहे है। किसी की बात नहीं सुनते, छोटी बातों पर विश््वास कर लेते है। उनका फायदा उठाकर दूसरे लोग बरगला लेते है, सोशल मीडिया भी इसका एक बड़ा कारण बन रहा है।
– जल्दबाजी अथवा बहकावे में बच्चियां घर छोडऩे का फैसला ले लेते हूं।
– कुछ मामलों में अपराध का शिकार होती है तो अधिकांश मामलों मे ंदूसरे लोग उनकी बाल पन का फायदा उठा लेते है।
पुलिस के पास आने वाली शिकायतों में दूसरे नंबर पर गुमशुदगी खासकर बच्चियों से जुड़ी गुमशुदगी होती है। डीसीपी के मुताबिक, पहले नंबर पर जमीन व धोखाधड़ी के अपराध तो दूसरे नंबर पर गुमशुदगी है जिसमें पुलिस अपहरण का केस दर्ज करती है। महिला अधिकारी, सब इंस्पेक्टर के नेतृत्व में स्पेशल विंग बनी है। क्षेत्र की आंगनवाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं को भी साथ लिया है। इन लोगों को इलाके के घर घर तक संपर्क का फायदा हो रहा है।
थाना द्वारकापुरी, छत्रीपुरा, जूनीइंदौर व रावजीबाजार
ऑनलाइन फ्रेंड अथवा शादी का झांसी में न आए, यह कानून गलत है
पुलिस ने पिछले तीन साल में बच्चियों के अपहरण के मामलों की समीक्षा की है। कई मामलों में ऑनलाइन दोस्त की झांसे में आकर 16 से 18 साल के मध्य घर से चली जाती है और अपराध का शिकार हो जाती है।
– झांसे में लेकर बच्चों को बेचने, भीख मंगवाने जैसा काम होता है।
– 18 साल के कम उम्र में शादी अनैतिक व शून््य होती है।
– अगर कोई बरगलाए, झांसा दे तो अपनी मां व परिवार के दूसरे सदस्य से साझा करें, जरूरत लगे तो पुलिस के पास आए। सभी मदद करेंगे।
इंदौर 1003
भोपाल 639
जबलपुर 549
धार 546
सागर 533
वर्ष 2021 की स्थिति
गुम बालक गुम बालिका कुल
186 766 952
साइकोलाजिकिल काउंसलर माया वोहरा के मुताबिक, बच्चे कोरोनाकाल में ज्यादा सेसेंटिव व एग्रेसिव हुए है। आज ही एक केस आया जिसमें परिजन बालक को लेकर आए थे। लगातार घर में रहने से यह स्थिति बनी है। इसलिए छोटी बातों पर विवाद, चिढ़चिढ़ापन बढ़ रहा है। ऐसे में मोरल पुलिसिंग की जरुरत है, पालकों को बच्चों को समय देना होगा, उनकी बातों को समझना होगा।