100 करोड़ का ‘खेल’:एक साल पहले 22 रु. में बना था आशा कार्ड, ठीक वैैसा ही जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड अब 78 रु. में बनवा रहा एनएचएम भोपाल6 घंटे पहले लेखक: अनिल गुप्ता सैंपल कार्ड – Dainik Bhaskar सैंपल कार्ड सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ चल रहे ‘एनीमिया मुक्त भारत’ अभियान में मप्र में नया खेल सामने आया है। नवजात से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की प्रति जांच पर जहां 43 रुपए 20 पैसे खर्च हो रहे हैं, वहीं जांच के बाद इसका प्लास्टिक कार्ड (जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड) बनाने पर दोगुने यानी करीब 78 रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हैरानी वाली बात यह है कि एक साल पहले ठीक इसी तरह का आशा कार्ड नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने सिर्फ 22 रुपए में तैयार कराया था। अब वही एनएचएम एक प्लास्टिक कार्ड पर 78 रु. खर्च कर रहा है। एक करोड़ से ज्यादा प्लास्टिक कार्ड बनने हैं, जिन पर 100 करोड़ रु. खर्च होंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री ने मप्र में सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ अभियान की घोषणा की है। झाबुआ और आलीराजपुर जैसे आदिवासी जिलों में इसकी शुरुआत हो रही है। यहां 8 लाख 26 हजार 464 कार्ड बनने हैं। इस कार्ड के लिए झाबुआ में टेंडर रेट 77.13 रु. तो आलीराजपुर में 78 रु. तय किए गए हैं। ऐसे ही कार्ड 22 जिलों में बनाए जाने हैं। बेहिसाब…बच्चों और गर्भवती महिलाओं की जांच का खर्च सिर्फ 43.20 रु., लेकिन कार्ड का दोगुना गुजरात में इसी जांच और कार्ड पर खर्च हुए थे सिर्फ 34 रुपए, मप्र में खर्च हो रहे 120 रु. 1. बड़ी बात यह है कि गुजरात में 2012-13 में इसी तरह की जांच और कार्ड बने थे, तब दोनों का खर्च प्रति व्यक्ति 34 रुपए आया था। मप्र में जांच और कार्ड का पूरा खर्च झाबुआ और आलीराजपुर के रेट के हिसाब से 120 रुपए आ रहा है। 2. एनएचएम के सूत्रों का कहना है कि प्रति व्यक्ति एनीमिया की जांच के लिए प्रदेश स्तर की सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था से मिशन द्वारा काम दिया गया, लेकिन जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड को जिला स्तर पर छोड़ा है। 3. इसका नुकसान ये है कि सीएमएचओ बेतुकी शर्तें लगाकर काम कर रहे हैं। मसलन, झाबुआ सीएमएचओ ने यह शर्त लगा दी कि कंपनी का स्थानीय गुमाश्ता लाइसेंस होना चाहिए। इस वजह से प्लास्टिक कार्ड के रेट दो गुना हो गए, क्योंकि काम करने वालों की संख्या कम रही। एनीमिया मुक्त भारत अभियान प्रदेश के 22 आदिवासी बहुल जिलों में होना है। इसमें झाबुआ, आलीराजपुर, अनूपपुर, बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, डिंडौरी, होशंगाबाद, जबलपुर, खंडवा, खरगोन, मंडला, रतलाम, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी, सिंगरौली और उमरिया शामिल हैं। इन जिलों में आदिवासियों के साथ सामान्य, अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग की भी जांच होगी। दो जिलों की दूरी 69 किमी, लेकिन यहां कार्ड की कीमत में अंतर 87 पैसे यह भी पता चला है कि जो कंपनी झाबुआ में एल-वन (सबसे कम दर देने वाली) रही, वही कंपनी अलीराजपुर में एल-2 (दूसरे नंबर) पर थी। जो कंपनी झाबुआ में एल-2 थी, वह आलीराजपुर में एल-वन बन गई। इतना ही नहीं, आसपास के जिले में ही रेट अलग-अलग आए हैं। झाबुआ में 77 रुपए 13 पैसे और आलीराजपुर में दर 78 रुपए आई है, जबकि दोनों के बीच की दूरी सिर्फ 69 से 79 किमी है। इस खेल के सामने आने के बाद नेशनल हेल्थ मिशन में चुप्पी है। स्थानीय स्तर पर ही काम मिले, इसके लिए गुमाश्ता लाइसेंस मांगा गया। यह भी पता चला है कि जो कंपनी झाबुआ में एल-वन (सबसे कम दर देने वाली) रही, वही कंपनी अलीराजपुर में एल-2 (दूसरे नंबर) पर थी। जो कंपनी झाबुआ में एल-2 थी, वह आलीराजपुर में एल-वन बन गई। इतना ही नहीं, आसपास के जिले में ही रेट अलग-अलग आए हैं। झाबुआ में 77 रुपए 13 पैसे और आलीराजपुर में दर 78 रुपए आई है, जबकि दोनों के बीच की दूरी सिर्फ 69 से 79 किमी है। इस खेल के सामने आने के बाद नेशनल हेल्थ मिशन में चुप्पी है। स्थानीय स्तर पर ही काम मिले, इसके लिए गुमाश्ता लाइसेंस मांगा गया। डिप्टी डायरेक्टर बोलीं- आप एमडी से बात कर लीजिए इस गड़बड़झाले पर भास्कर ने जब एनएचएम की डिप्टी डायरेक्टर अर्चना मिश्रा ने बात की तो उन्होंने पहले कहा- जिला स्तर से पूछ लीजिए। फिर बोलीं- प्रकरण चर्चा में है। आप एमडी से बात कर लीजिए। जबकि एमडी प्रियंका दास ने इस मामले में बातचीत नहीं की। वर्कऑर्डर की फाइल कलेक्टर के पास झाबुआ में प्रतिकार्ड 77 रुपए 13 पैसे में कार्ड बनेगा। वर्कऑर्डर की फाइल कलेक्टर के पास पेंडिंग है। आलीराजपुर में प्रति कार्ड के रेट 78 रुपए आए हैं। – डॉ. जयपाल सिंह ठाकुर, सीएमएचओ, झाबुआ

सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ चल रहे ‘एनीमिया मुक्त भारत’ अभियान में मप्र में नया खेल सामने आया है। नवजात से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की प्रति जांच पर जहां 43 रुपए 20 पैसे खर्च हो रहे हैं, वहीं जांच के बाद इसका प्लास्टिक कार्ड (जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड) बनाने पर दोगुने यानी करीब 78 रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हैरानी वाली बात यह है कि एक साल पहले ठीक इसी तरह का आशा कार्ड नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने सिर्फ 22 रुपए में तैयार कराया था। अब वही एनएचएम एक प्लास्टिक कार्ड पर 78 रु. खर्च कर रहा है।

एक करोड़ से ज्यादा प्लास्टिक कार्ड बनने हैं, जिन पर 100 करोड़ रु. खर्च होंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री ने मप्र में सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ अभियान की घोषणा की है। झाबुआ और आलीराजपुर जैसे आदिवासी जिलों में इसकी शुरुआत हो रही है। यहां 8 लाख 26 हजार 464 कार्ड बनने हैं। इस कार्ड के लिए झाबुआ में टेंडर रेट 77.13 रु. तो आलीराजपुर में 78 रु. तय किए गए हैं। ऐसे ही कार्ड 22 जिलों में बनाए जाने हैं।

बेहिसाब…बच्चों और गर्भवती महिलाओं की जांच का खर्च सिर्फ 43.20 रु., लेकिन कार्ड का दोगुना

गुजरात में इसी जांच और कार्ड पर खर्च हुए थे सिर्फ 34 रुपए, मप्र में खर्च हो रहे 120 रु.
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 बड़ी बात यह है कि गुजरात में 2012-13 में इसी तरह की जांच और कार्ड बने थे, तब दोनों का खर्च प्रति व्यक्ति 34 रुपए आया था। मप्र में जांच और कार्ड का पूरा खर्च झाबुआ और आलीराजपुर के रेट के हिसाब से 120 रुपए आ रहा है।

2. एनएचएम के सूत्रों का कहना है कि प्रति व्यक्ति एनीमिया की जांच के लिए प्रदेश स्तर की सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था से मिशन द्वारा काम दिया गया, लेकिन जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड को जिला स्तर पर छोड़ा है।

3. इसका नुकसान ये है कि सीएमएचओ बेतुकी शर्तें लगाकर काम कर रहे हैं। मसलन, झाबुआ सीएमएचओ ने यह शर्त लगा दी कि कंपनी का स्थानीय गुमाश्ता लाइसेंस होना चाहिए। इस वजह से प्लास्टिक कार्ड के रेट दो गुना हो गए, क्योंकि काम करने वालों की संख्या कम रही।

एनीमिया मुक्त भारत अभियान प्रदेश के 22 आदिवासी बहुल जिलों में होना है। इसमें झाबुआ, आलीराजपुर, अनूपपुर, बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, डिंडौरी, होशंगाबाद, जबलपुर, खंडवा, खरगोन, मंडला, रतलाम, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी, सिंगरौली और उमरिया शामिल हैं। इन जिलों में आदिवासियों के साथ सामान्य, अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग की भी जांच होगी।

दो जिलों की दूरी 69 किमी, लेकिन यहां कार्ड की कीमत में अंतर 87 पैसे
यह भी पता चला है कि जो कंपनी झाबुआ में एल-वन (सबसे कम दर देने वाली) रही, वही कंपनी अलीराजपुर में एल-2 (दूसरे नंबर) पर थी। जो कंपनी झाबुआ में एल-2 थी, वह आलीराजपुर में एल-वन बन गई। इतना ही नहीं, आसपास के जिले में ही रेट अलग-अलग आए हैं। झाबुआ में 77 रुपए 13 पैसे और आलीराजपुर में दर 78 रुपए आई है, जबकि दोनों के बीच की दूरी सिर्फ 69 से 79 किमी है। इस खेल के सामने आने के बाद नेशनल हेल्थ मिशन में चुप्पी है। स्थानीय स्तर पर ही काम मिले, इसके लिए गुमाश्ता लाइसेंस मांगा गया।

यह भी पता चला है कि जो कंपनी झाबुआ में एल-वन (सबसे कम दर देने वाली) रही, वही कंपनी अलीराजपुर में एल-2 (दूसरे नंबर) पर थी। जो कंपनी झाबुआ में एल-2 थी, वह आलीराजपुर में एल-वन बन गई। इतना ही नहीं, आसपास के जिले में ही रेट अलग-अलग आए हैं। झाबुआ में 77 रुपए 13 पैसे और आलीराजपुर में दर 78 रुपए आई है, जबकि दोनों के बीच की दूरी सिर्फ 69 से 79 किमी है। इस खेल के सामने आने के बाद नेशनल हेल्थ मिशन में चुप्पी है। स्थानीय स्तर पर ही काम मिले, इसके लिए गुमाश्ता लाइसेंस मांगा गया।

डिप्टी डायरेक्टर बोलीं- आप एमडी से बात कर लीजिए
इस गड़बड़झाले पर भास्कर ने जब एनएचएम की डिप्टी डायरेक्टर अर्चना मिश्रा ने बात की तो उन्होंने पहले कहा- जिला स्तर से पूछ लीजिए। फिर बोलीं- प्रकरण चर्चा में है। आप एमडी से बात कर लीजिए। जबकि एमडी प्रियंका दास ने इस मामले में बातचीत नहीं की।

वर्कऑर्डर की फाइल कलेक्टर के पास
झाबुआ में प्रतिकार्ड 77 रुपए 13 पैसे में कार्ड बनेगा। वर्कऑर्डर की फाइल कलेक्टर के पास पेंडिंग है। आलीराजपुर में प्रति कार्ड के रेट 78 रुपए आए हैं। – डॉ. जयपाल सिंह ठाकुर, सीएमएचओ, झाबुआ

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