30 साल बाद 106 डॉक्टर बनेंगे विशेषज्ञ …. MP में प्रमोशन न होने से डॉक्टर छोड़ गए सरकारी नौकरी, कुछ रिटायरमेंट के करीब; अब जगी उम्मीद
दरअसल 25 – 30 साल पहले मेडिकल ऑफिसर पद पर ज्वाइन करने वाले डॉक्टर नाक-कान-गला (ENT) विशेषज्ञ और नेत्र रोग विशेषज्ञ के तौर पर इलाज करते आ रहे हैं। लेकिन आज तक इन्हें प्रमोशन नहीं मिल पाया था। डॉक्टर्स कई बार अफसरों-नेताओं से मिले, धरना और प्रदर्शन भी किया। बावजूद नतीजा नहीं निकला। कई डॉक्टरों ने नौकरी ही छोड़ दी। कुछ ऐसे हैं, जिनके रिटायरमेंट के तीन-चार साल बचे हैं। इस आदेश के बाद डॉक्टरों में प्रमोशन की आस जगी है।
सरकारी सिस्टम की बेरुखी से परेशान
भोपाल के जेपी अस्पताल में नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर केके अग्रवाल ने पिछले साल नौकरी से इस्तीफा दे दिया। 25 साल सरकारी नौकरी में रहने के बाद भी डॉ. अग्रवाल विभागीय तौर पर विशेषज्ञ नहीं बन पाए। सरकारी सिस्टम की बेरुखी से परेशान होकर उन्होंने जॉब छोड़ दी। बैरागढ़ सिविल हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके जैन ने भी VRS ले लिया था। इस आदेश के बाद डॉ. केके अग्रवाल कहते हैं कि विभाग ने फैसला देर से लिया। कई लोग बिना प्रमोशन रिटायर हो गए।
रिटायरमेंट नजदीक, प्रमोशन नहीं मिल पाया
जेपी अस्पताल में पदस्थ ENT एक्सपर्ट डॉ.बलराम उपाध्याय, डॉ.नवीन भाटिया के रिटायरमेंट के चार-पांच साल बचे हैं। पीएससी से बतौर मेडिकल ऑफिसर सिलेक्ट होने के बाद से करीब 30 साल वे नाक-कान-गला विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें विभाग ने अब तक विशेषज्ञ के पद पर प्रमोशन नहीं दिया।
सप्लीमेंट्री पोस्ट गठित करने के आदेश
बीते 18 जनवरी को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सीधी भर्ती के 25 फीसदी पदों को छोड़कर बाकी 75 प्रतिशत पदों पर पहले से कार्यरत सेकंड क्लास मेडिकल ऑफिसर्स काे क्रमोन्नत कर 64 नेत्र रोग विशेषज्ञ और ENT विशेषज्ञ के 42 अतिरिक्त पदों काे सप्लीमेंट्री पोस्ट के तौर पर गठित करने का आदेश दिया है।