‘राम तेरी गंगा मैली’ …. देखते-देखते गंदे नाले में तब्दील हो गई मंदाकिनी, जहां पर उद्गम वहीं गंदगी से पटी; सीवर बंद हो तो बचे जान
भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट की पौराणिक नदी मंदाकिनी प्रदूषित हो चुकी है। जिस नदी में कभी लाखों लोग डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते थे, अब वह स्नान करने से कतराते हैं। इसका कारण है कि मंदाकिनी में कई जगह गंदे नाले गिर रहे हैं और जलधारा सुस्त पड़ गई है। जलीय घास जमने से पानी में बहाव नहीं है। इसकी सफाई को लेकर लगातार समाजसेवी आंदोलित हैं, उसके बाद भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
बता दें, मंदाकिनी नदी का उद्गम सती अनुसुइया आश्रम के आगे जूरी नाला नामक स्थान से हुआ है। आश्रम के सामने से ही नदी बहते हुए जाती है, लेकिन यहां भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है। कहा जाता है, त्रेता युग में मां सती अनुसुइया ने अपने तपोबल से पति की प्यास बुझाने के लिए मां मंदाकिनी का उद्गम किया था। उस समय मंदाकिनी नदी की हजारों धाराएं थीं। आज भी यहां सैकड़ों धाराएं देखने को मिल जाती हैं।
मंदाकिनी नदी चित्रकूट होते हुए 80 किलोमीटर का सफर कर यमुना नदी में मिली हैं। मंदाकिनी की साफ-सफाई को लेकर चलाए जा रहे अभियान, नालों से गिरते पानी आदि को लेकर दैनिक भास्कर की टीम ने रियलिटी चेक किया। सबसे पहले दैनिक भास्कर की टीम मां सती अनुसुइया आश्रम पहुंची। आश्रम के 3 किलोमीटर आगे भंवरा दहार नाम के प्रसिद्ध स्थान है। यहां नदी की गहराई के कारण पानी काला दिखता है। इसलिए यहां का नाम भंवरा दहार रखा गया है। यहां से 5 किलोमीटर दूर टाटी घाट नाम का स्थान है, जहां पर हजारों संत तपस्या करते थे।
राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों का पाप धोते-धोते। ‘राम तेरी गंगा मैली’ फिल्म का यह गीत चित्रकूट की धरा पर बहने वाली मंदाकिनी पर चरितार्थ होती है। यहां सैकड़ों सीवर के नाले का गंदा पानी सीधे मंदाकिनी में गिरता है।
इन स्थानों पर गिरता है सीवर का पानी
सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट बड़ी गुफा, रावतपुरा सरकार, पंजाबी आश्रम, जगद्गुरु रामभद्राचार्य, आमोद वन, प्रमोद वन, सिया राम कुटीर, रामायणी कुटी, रामघाट सहित आगे भी पूरी तरह से मंदाकिनी में सीवर का पानी डाला जाता है। चित्रकूट में बने बड़े होटल, लॉजों का पानी भी सीधे मंदाकिनी नदी में प्रवेश करता है।
UP-MP प्याऊ जल योजना नदी से संचालित
आगे बढ़ने पर देखने को मिला, मंदाकिनी में सिंचाई विभाग की 2 पंप परियोजना चल रही हैं। यूपी-एमपी के चित्रकूट को पानी पिलाने के लिए अलग-अलग प्याऊ जल योजना संचालित हैं। प्रतिदिन प्याऊ जल के लिए 18 से 20 मिलियन मीटर पानी नदी से निकाला जाता है, लेकिन इसकी सफाई पर न तो यूपी का सिंचाई विभाग ध्यान देता है और न ही एमपी का। फसलों की सिंचाई में नदी का पानी ही प्रयोग में लाया जाता है।
बता दें, मध्य प्रदेश के जलकल विभाग चित्रकूट का कार्यालय मंदाकिनी नदी के किनारे बना है। यहां मंदाकिनी की सहायक नदियां इससे जुड़ी थीं, लेकिन गंदगी और जलीय घासों की सफाई न होने के कारण अब वह सूख चुकी हैं।
लाखों की आबादी पीती है नदी का पानी
मध्य प्रदेश के चित्रकूट जिले के नयागांव थाना क्षेत्र के सिरसा वन के पास प्याऊ जल योजना संचालित है तो यूपी के चित्रकूट के कर्वी थाना क्षेत्र में पाठा जलकल प्याऊ योजना संचालित है। दोहन बनकट पंप कैनाल और पाठा जलकल परियोजना से यूपी के चित्रकूट के लोगों को पानी मिलता है।
प्रशासन द्वारा नहीं कराई जा रही सफाई
सती अनुसुईया मुख्य मंदिर के पुजारी कृष्णकांत गौतम ने बताया, यहां प्रशासन द्वारा कभी किसी प्रकार की सफाई नहीं कराई जाती है। हम लोग हफ्ते में एक दिन सफाई करते हैं। पुजारी ने बगैर नाम लिए बड़े आश्रमों की तरफ इशारा करते हुए कहा, मंदाकिनी नदी की जलधारा को प्रभावित करने का मुख्य कारक यही लोग हैं।
सीवर प्लांट बनाने से होगा सुधार
जब इस संबंध में मध्य प्रदेश सीएमओ ऋषि नारायण सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा, नदी की सफाई महीने में नगर पंचायत द्वारा करवाई जाती है। अभी जो मंदाकिनी नदी में सीधे होटल, आश्रमों का पानी जाता है, उसके लिए 2018 से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का काम चालू है। यह काम पूरा होने के बाद जो सीवर नदी में गिर रहे हैं, उनको बंद कर दिया जाएगा
नदी को लेकर उदासीन है सरकार
बुंदेली सेना ने कहा, मंदाकिनी नदी के प्रदूषण को कम करने को लेकर यूपी सरकार ने तो तमाम कार्य किए हैं, लेकिन मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पूरी तरह उदासीन है। बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया, नदी की सफाई और खुदाई की सबसे ज्यादा जरूरत मध्य प्रदेश में है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री को शायद धरातल की सही जानकारी ही जिम्मेदार नहीं दे रहे।
संतों का कहना है, जिस धार्मिक नदी में दुनियाभर के लोग आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं, उसकी यह हालत चिंता जनक है।