नोएडा .. हाईराइज बिल्डिंग की छोटी बालकनी भी हादसों की वजह …
नोएडा में 3 महीने में 71 की मौत, कोई कूदा तो किसी का फिसला पैर; सुरक्षा में लापरवाही….
नोएडा में हाईराइज इमारतों को बनाने वाले बिल्डर थोड़े से पैसे बचाने के लिए बालकनी की रेलिंग को ऊंचा नहीं करते। यही रेलिंग नोएडा और हाल ही में गाजियाबाद में हादसे की वजह बनती जा रही हैं। कभी खेल-खेल में बच्चे इमारतों से नीचे गिर रहे हैं तो कभी किसी का पैर फिसलने से हादसा हो रहा है।
बिल्डर जो प्लान (एप्रूव नक्शा) भेजता है, उसी के अनुसार निर्माण हुआ है या नहीं, इसे देखकर ही सर्टिफिकेट दिया जाता है। इसमें एफएआर, सेटबैक, कॉमन एरिया और स्ट्रक्चरल ऑडिट, पार्किंग आदि को देखा जाता है। जबकि सुरक्षा मानकों में लिफ्ट और बालकनी की रेलिंग मानकों के मुताबिक है या नहीं इस ध्यान नहीं दिया जाता।
सवा 3 फीट होनी चाहिए बालकनी की रेलिंग
नोएडा प्राधिकरण बिल्डिंग बॉयलाज के तहत हाईराइज इमारतों की बालकनी में कम से कम सवा 3 फीट या एक मीटर की रेलिंग होनी ही चाहिए। यहां बिल्डरों ने 2.5 फीट और 3 फीट की रेलिंग बनाई है। यही हादसे की वजह बन रही है।
एक उदाहरण देखें तो यदि एक 2.5 फीट की रेलिंग बनाने के लिए जहां 100 रुपए खर्च होते हैं तो वहीं साढ़े 3 फीट की रेलिंग बनाने में 120 रुपए लगते हैं। बायर्स का कहना है, प्राधिकरण सिर्फ एक बार ही स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट देखता है। यहां इमारतें बनी हुए 10-10 साल हो गए। अब तक दोबारा कोई जांच न तो बिल्डर ने कराई और न ही प्राधिकरण ने।
मौके पर जाए बिना ही जारी होते हैं कंपलीशन
नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बताया, सुरक्षा को लेकर बिल्डर और प्राधिकरण दोनों के ही मानक नहीं है। लिफ्ट और बालकनी में सुरक्षा कैसी होगी इसका कोई प्रावधान नहीं है। यदि कंस्ट्रक्शन एक्ट है तो भी न तो बिल्डर और न ही प्राधिकरण इस पर ध्यान दे रहा है। वे बिना मौके पर जाए बिल्डरों को कंपलीशन जारी कर देते हैं। जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यहां ऐसी दर्जनों इमारतें हैं, जिनमें बालकनी की रेलिंग मानकों के अनुसार नहीं है।
ऑडिट के दौरान प्राधिकरण को रखना चाहिए ध्यान
नोएडा फ्लैट ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव सिंह ने कहा, किसी भी प्रकार का कंस्ट्रक्शन होगा, उसका एक एक्ट होता ही है, लेकिन ऑडिट और कंपलीशन जारी करने के दौरान इसका ध्यान प्राधिकरण को देना ही चाहिए। बायर्स को फ्लैटों के नमूने दिखाए जाते हैं।
जब फ्लैटों पर पजेशन मिलता है तो ही हकीकत पता चलती है और जब कोई हादसा हो जाए तो ही प्रशासन और प्राधिकरण जागता है। इसलिए ऑडिट के दौरान ही मौके पर निरीक्षण कर बिल्डर से पूरा एक्स्प्लेनेशन लेना चाहिए। ताकि सुरक्षा का कोई फॉल्ट न रह जाए।
अब तक हुए हादसे
इस साल 3 महीनों में ही जनपद गौतम बुद्ध नगर में कुल 121 लोगों ने आत्महत्या की। 71 लोगों की हाईराइज सोसायटी से कूदकर या पैर फिसलने से मौत हुई। बाकी मौत फांसी का फंदा लगाने से हुई।
एक नजर में सोसायटी
जनपद में करीब 3,000 हाईराइज इमारतें हैं। अकेले नोएडा की बात की जाए तो यहां 400 सोसायटी हैं। 95 के करीब गगनचुंबी इमारतें हैं। 73 हजार फ्लैट हैं, जिनमें 3 लाख लोग रहते हैं।