निजी वाहनों का हो रहा व्यावसायिक उपयोग … कृषि एवं निजी उपयोग के लिए रजिस्टर्ड कराए वाहन, लेकिन हो रहा व्यावसायिक उपयोग

जिले में निजी वाहनों का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है। कृषि कार्य के नाम पर ट्रैक्टर भी किराए पर सामान ढोने में लगे हुए है। स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद इसे परिवहन विभाग रोक नहीं पा रहा है। इस कारण सरकार को हर तिमाही में लाखों रुपए के राजस्व का चूना लग रहा है।

वाहनों का व्यावसायिक उपयोग करने वाले लोग पहले वाहनों का निजी वाहन के रूप में निबंधन कराते हैं। जिले में लगभग 10 हजार वाहन रजिस्टर्ड है। टैक्सी में टैक्स ज्यादा लगने के कारण लोग निजी वाहन का निबंधन कराकर उसका धड़ल्ले से व्यवसायिक उपयोग करते हैं। इस संबंध में लोगों ने गुरुवार को जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। लोगों को शिकायत की है कि दूसरे शहरों के लिए चलाए जा रहे वाहनों में मनमाना किराया वसूलते है।

चार सीटर और 7 सीटर वाहनों में क्षमता से ज्यादा सवारी बैठाने से भी गुरेज नहीं करते है। पुलिस व परिवहन अधिकारियों से सांठगांठ के चलते शिकायत के बावजूद वाहन मालिकों पर कार्रवाई नही होती है। उधर परिवहन विभाग के अधिकारी बेबस नजर आ रहे है। जिम्मेदार अफसरों का तर्क है कि चैकिंग के वक्त सवारी को परिवार का सदस्य बताकर वाहन चालक कार्रवाई से बच जाते है।

दूसरे शहरों के लिए चल रही है 100 से ज्यादा टैक्सी गाड़ियां

कोरोना के संक्रमण के बाद सार्वजनिक परिवहन साधन रेल, बसों के बजाए लोग लंबे सफर के लिए किराए की टैक्सी करना सुविधाजनक मानते है। शहर के एकीकृत बस स्टैंड से लगभग 100 गाडियां संचालित की जा रही है। श्योपुर से ग्वालियर, शिवपुरी, कोटा, जयपुर, सवाई माधोपुर, भोपाल, इंदौर, मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन के लिए निजी वाहन किराए पर लिए जा सकते हैं। इसके लिए किसी पहचान पत्र की जरूरत नहीं, कोई भी कहीं के लिए किराए पर ले सकता है।

नंबर प्लेट से होती है निजी व टैक्सी वाहन की पहचान

व्यावसायिक उपयोग में चलाने के लिए वाहन का परिवहन विभाग से तीन माह में परमिट लेना पड़ता है निजी वाहन की नंबर प्लेट सफेद होती है, जिस पर काले रंग से नंबर लिखे जाते है। जबकि व्यवसायिक वाहनों की नंबर प्लेट पीले रंग की होता है, उस पर काले रंग से नंबर लिखा रहता है। निजी वाहनों का 15 साल के लिए वन टाइम टैक्स जमा होता है, जबकि व्यावसायिक वाहनों का हर तीन माह में परमिट लेना पड़ता है।

टैक्स चोरी पर करते है वाहनों के चालान

निजी वाहनों का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसे रोकने के लिए विभागीय टीमें चेकिंग करती है। टैक्स चोरी करते पकड़े जाने पर संबंधित वाहनों के चालान किए जाते हैं। लेकिन कई बार जांच के समय ड्राइवर सवारियों को परिवार के सदस्य बताकर कार्रवाई से बच जाते हैं।
रिंकू शर्मा, जिला परिवहन अधिकारी, श्योपुर

बस स्टैंड का प्रतीक्षालय कैम्पस बना डाला टैक्सी स्टैंड

निजी गाडिय़ां टैक्सी पर चलाने वालों ने शहर के एकीकृत बस स्टैंड को टैक्सी स्टैंड बना रखा है। बस ऑपरेटरों की आपत्ति के बावजूद बस स्टैंड का यात्री प्रतीक्षालय कैम्पस निजी वाहन चालकों के हवाले है । जहां दिनरात 100 से ज्यादा गाडियां खड़ी रहती है। किराए पर चलाई जा रही अधिकांश गाड़ियों पर सफेद रंग की प्लेट पर काले रंग से नम्बर लिखे देखे जा सकते है।

यहां 100 में से बमुश्किल 10 गाड़ी में ही पीले रंग की प्लेट पर काले अक्षर में नम्बर लिखे होते है। इससे जाहिर है कि टैक्स बचाने के लिए निजी उपयोग में रजिस्टर्ड वाहनों का व्यावसायिक इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।

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