Gwalior : एमपी के चेकपोस्ट बने वसूली के अड्डे, गडकरी ने लिखा मुख्य सचिव को पत्र

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने चेकपोस्ट को लेकर एक पत्र जारी किया है। जिसमें प्रदेश की छवि खराब होने के बारे में बतायाहै …

 ग्वालियर।। मध्य प्रदेश के परिवहन चेकपोस्ट इन दिनों काफी सुर्खियों में आ गए हैं। यह अच्छे कार्य को लेकर नहीं, बल्कि चेकपोस्ट पर होने वाली अवैध वसूली के लिए। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने चेकपोस्ट को लेकर एक पत्र जारी किया है। जिसमें प्रदेश की छवि खराब होने के बारे में बताया गया है। चेकपोस्ट पर अंडर लोड गाड़ियों से भी पैसे वसूल किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में प्रवेश करने व बाहर निकलने में ट्रांसपोर्टर की हालत खराब हो जाती है। ट्रांसपोर्टर प्रदेश में प्रवेश करने से बचना चाहते हैं। मध्यप्रदेश के चेकपोस्ट को लेकर प्रदेश सहित पंजाब के ट्रांसपोर्टर कई बार शिकायत कर चुके हैं। मध्यप्रदेश के ट्रांसपोर्टरों ने इसको लेकर आंदोलन भी किया था। जांच कमेटी भी बनी थी, लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। ट्रांसपोर्टर अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। जब चेकपोस्ट पर वसूली अधिक होने लगी तो नागपुर के ट्रांसपोर्टरों ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री से शिकायत की। इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को पूरी स्थित से अवगत कराया।

छह हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैंः मध्यप्रदेश के बार्डर में प्रवेश करते ही परिवहन चेकपोस्ट पर वसूली शुरू हो जाती है। महाराष्ट्र से दिल्ली जाने के लिए मध्यप्रदेश के चार चेकपोस्ट पार करने होते हैं। छोटी गाड़ी के 700 रुपये और भारी गाड़ी के 1500 रुपये देने पड़ते हैं। मध्यप्रदेश में साढ़े चार से छह हजार रुपये खर्च करने होते है। यह पैसा उन ट्रक ड्राइवरों से लिए जा रहे हैं, जिनके पास दस्तावेज पूरे हैं और ट्रक अंडर लोड है। यदि पैसे नहीं देते हैं तो ट्रक को निकलने नहीं दिया जाता है। हर स्तर पर वसूली की शिकायत हो चुकी है। जब किसी ने नहीं सुनी तो केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को शिकायत की गई। कोविड-19 के बाद से यह वसूली ज्यादा बढ़ गई है। मध्यप्रदेश के अलावा किसी दूसरे राज्य में इस तरह की परेशानी नहीं होती है। चेकपोस्ट पर कोई अधिकारी भी नहीं बैठता है। जिसे हम अपनी पीड़ा बता सकें।

(जैसा कि जेपी शर्मा ट्रांसपोर्टर नागपुर ने नईदुनिया को बताया)

इसलिए संचालित हैं चेकपोस्टः

1- कोई वाहन प्रदेश का टैक्स चुकाए बिना सड़कों पर न चले। यदि उसने टैक्स नहीं चुकाया है तो उस पर जुर्माना कर टैक्स वसूला जाए।

2- गाड़ी में जितना लोड निर्धारित किया है, उतना ही लेकर चलें। ओवरलोड है तो उस पर कार्रवाई की जाए।

3- निर्माता कंपनी ने गाड़ी की बाडी को जिस तरह डिजाइन किया है, मानक के अनुसार ही गाड़ी संचालित हो सके। यदि किसी आपरेटर ने बदलाव कर लिया है तो उस चेकपोस्ट पर कार्रवाई जाए।

4- चेक पोस्ट दूसरे राज्यों के बार्डर पर संचालित हैं। फिटनेस, पीयूसी (पाल्यूशन अंडर कंट्रोल) है या नहीं। बीमा की भी जांच की जाती है।

5- यदि किसी गाड़ी का लोड 25 टन निर्धारित है। 25 टन के पांच फीसद तक अतिरिक्त लोड की अनुमति है। यदि तौल में पांच फीसद से अधिक लोड आता है तो ओवरलोड का पूरा जुर्माना देना होता है।

चेकपोस्ट बंद करने को लेकर भी पत्र हो चुका है जारीः

-जीएसटी लागू होने के बाद चेकपोस्ट की जरूरत खत्म हो गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने चेकपोस्ट को लेकर जानकारी मांगी थी। पूछा था कि जीएसटी लागू होने के बाद चेकपोस्ट को बंद करने का आश्वासन दिया था। इनकी जरूरत नहीं रह गई है, क्योंकि सारथी व वाहन पोर्टल पर हर राज्य का डेटा उपलब्ध है।

-मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीट में दतिया के चिरुला के चेकपोस्ट को लेकर जनहित याचिका लंबित है। यहां पर अवैध वसूली का आरोप लगाया गया है।

फैक्ट फाइल

स्थायी चेकपोस्ट: 40

अस्थाई चेकपोस्ट: 8

राजस्व: 110 से 150 करोड़ प्रति वर्ष

वर्जन-

चेकपोस्ट को लेकर जारी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। विभाग का कार्यभार अभी संभाला है। चेकपोस्ट की व्यवस्था सुधारने के लिए अधिकारियों की बैठक ली जाएगी। शिकायतों को कम करने के लिए दिशा निर्देश दिए जाएंगे।

संजय कुमार झा, आयुक्त परिवहन विभाग मप्र

वर्जन-

हर स्तर पर शिकायत कर चुके हैं और आंदोलन भी किए हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई है। मध्यप्रदेश या अन्य राज्य का ट्रक प्रदेश के चेकपोस्ट पर पहुंचता है तो महीने के हिसाब से तीन हजार रुपये अवैध तरीके से लिए जाते हैं। जो गाड़ी प्रदेश से एक बार गुजरती है तो उससे 700 से 1500 रुपये हर चेकपोस्ट पर लिए जाते हैं। तभी वह प्रवेश कर सकते हैं और बाहर जा सकते हैं।

सुनील माहेश्वरी, ट्रांसपोर्टर ग्वालियर

 

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