BJP में ब्राह्मण नेताओं का टोटा! … डिप्टी CM समेत UP कैबिनेट में 8 ब्राह्मण, इनमें से 4 नेता दूसरी पार्टियों से इंपोर्ट किए गए

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की कैबिनेट 2.0 बनकर तैयार है। प्रदेश के नाराज ब्राह्मण वर्ग को साधने के लिए पूर्वांचल के दिग्गज ब्राह्मण नेता बृजेश पाठक को डिप्टी CM का पद दिया गया। उनके अलावा 7 और ब्राह्मण नेता कैबिनेट में शामिल किए गए, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि इन 8 में से 3 नेता मूल रूप से BJP के न होकर BSP से और एक कांग्रेस से इंपोर्ट किए गए हैं। केवल 4 नेता ही मूल रूप से BJP के हैं।

बृजेश पाठक भले ही अब BJP का चेहरा हों, लेकिन एक दशक से भी ज्यादा समय तक उन्होंने BSP के लिए राजनीति की है। कैबिनेट में 2 और जिन चेहरों को ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जगह मिली है, वे भी कम से कम एक दशक की राजनीति BSP में करने के बाद BJP में शामिल हुए हैं। कुछ दिग्गज ब्राह्मण नेता भले ही कैबिनेट में जगह न पा सके हों, लेकिन वे भी BSP की पैदाइश हैं और अब BJP का बड़ा चेहरा हैं।

क्या ये BJP का BSP प्रेम है
2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद BJP ने मानों मन बना लिया था कि ‌BSP से BJP में आए ब्राह्मण नेताओं पर जमकर प्यार लुटाना है। योगी 2.0 कैबिनेट में डिप्टी CM से लेकर कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों तक में इन पुराने BSP नेताओं को जगह मिली है।

ऐसे में अब BJP समर्थक और खुद ब्राह्मण नेता दबी जबान से ये आरोप भी लगा रहे हैं कि क्या BJP के पास अपने ब्राह्मण नेताओं का टोटा था, जो नए-नए भाजपाई बने या फिर पुराने बसपाइयों पर पार्टी दांव खेल रही है।

आइए आपको बताते हैं कि अन्य दलों से BJP में आए इन नेताओं को तरजीह देने के पीछे वजह क्या है…

 

बृजेश पाठक: BJP ने अपने पुराने ब्राह्मण नेता दिनेश शर्मा को हटाकर इस बार बृजेश पाठक को डिप्टी CM बनाया। साल 2004 में पाठक ने कांग्रेस छोड़कर BSP ज्वाइन की थी। लोकसभा चुनाव में BSP ने उन्हें उन्नाव संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गए।

कार्यकाल पूरा करने के बाद BSP प्रमुख मायावती ने उन्हें 2009 में राज्यसभा भेज दिया। बृजेश 2014 में उन्नाव से दोबारा लोकसभा चुनाव में BSP से उम्मीदवार बनाए गए, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2016 में उन्होंने BJP का दामन थाम लिया। जानकारों के मुताबिक, बृजेश पाठक राजनाथ के करीबी होने के साथ ही शाह की भी गुड बुक में हैं।

केंद्रीय नेतृत्व पर उनकी कृपा की एक और वजह मानी जाती है- उनका योगी खेमे का न होना। सूत्रों की मानें तो कोरोना काल में योगी के मैनेजमेंट को लेकर बृजेश पाठक ने केंद्र सरकार को एक शिकायती चिट्ठी भी लिखी थी। वहीं, UP सरकार की ब्राह्मण विरोधी छवि को सुधारने में भी पाठक की अहम भूमिका रही। खासतौर पर विकास दुबे वाले प्रकरण में ब्राह्मण समाज को मैनेज करने का जिम्मा पाठक ने ही उठाया।

रजनी तिवारी: हरदोई की शाहबाद विधानसभा सीट से जीत कर आईं रजनी तिवारी को भी कैबिनेट में जगह मिली। दरअसल, रजनी तिवारी 2007 में पति उपेंद्र तिवारी की मौत के बाद खाली हुई हरदोई की बिलग्राम सीट से पहली बार BSP के टिकट पर विधायक बनी थीं।

इस सीट पर 2008 में उपचुनाव हुए थे। 2012 में फिर वह BSP के टिकट पर हरदोई की ही सवायजपुर विधानसभा सीट से जीतकर आईं।

2017 के चुनाव से पहले रजनी तिवारी ने BSP का दामन छोड़कर BJP थाम लिया। BJP ने उन्हें हरदोई की शाहबाद विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया था। रजनी तिवारी ने जीत हासिल की। 2022 में फिर BJP ने उन पर ही दांव खेला। बीजेपी का यह दांव सटीक बैठा और रजनी फिर जीतीं। 4 बार विधायक रह चुकीं रजनी पहली बार राज्य मंत्री बनीं हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया।

प्रतिभा शुक्ला: 2007 में BSP के टिकट पर जीतकर कानपुर देहात की सीट से प्रतिभा विधायक चुनी गई थीं। इनके पति अनिल शुक्ला भी BSP सांसद रह चुके हैं। अकबरपुर रनियां सीट दलित बाहुल्य सीट है। प्रतिभा शुक्ला 2012 में सपा उम्मीदवार से हार गई थीं।

2017 के चुनाव से पहले प्रतिभा ने BSP छोड़कर BJP का दामन थाम लिया। पार्टी ने उन्हें टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज भी की। इस बार भी प्रतिभा शुक्ला ने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को हराकर दलित बाहुल्य सीट पर कमल खिलाया। योगी कैबिनेट में उन्हें इस बार राज्य मंत्री पद के लिए चुना गया।

कांग्रेस के जितिन प्रसाद और इन 4 हार्डकोर भाजपाइयों को कैबिनेट में जगह

कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद को कैबिनेट में जगह मिली। केंद्रीय नेतृत्व के करीबी रहे पूर्व IAS अरविंद कुमार शर्मा भी कैबिनेट मंत्री बने। सतीश चंद्र शर्मा और योगेंद्र उपाध्याय को राज्य मंत्री का पद मिला। वाराणसी के पुराने BJP नेता दयाशंकर मिश्रा को भी राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया।

BSP की सोशल इंजीनियरिंग से निकले कई ब्राह्मण नेता

साल 2007 में BSP ने एक नारा दिया था, ब्राह्मण शंख बजाएगा हाथी चलता जाएगा। मायावती का दाहिना हाथ कहे जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा ने दलितों की पार्टी में ब्राह्मण नेताओं को शामिल कर सोशल इंजीनियरिंग की थी। इसका फायदा भी मिला।

उस साल के विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी से 41 ब्राह्मण जीते थे, लेकिन हाथी की सुस्ती और मायावती के डूबते सूरज को भांपकर ज्यादातर ब्राह्मण नेताओं ने पाला बदल लिया।

BSP का मजबूत चेहरा रहे रामवीर और राजेश BJP में भी दमदार

राजेश त्रिपाठी: BSP सुप्रीमो मायावती ने राजेश त्रिपाठी को पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी का विजय रथ रोकने के लिए खड़ा किया था। पूर्वांचल की चिल्लूपार सीट से त्रिपाठी ने पहली ही बार में हरिशंकर तिवारी को हार का स्वाद भी चखा दिया। 2012 में एक बार फिर हरिशंकर तिवारी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन श्मशान बाबा ने उनके मंसूबों को फिर राख कर दिया। इसके बाद 2017 में राजेश त्रिपाठी BJP में शामिल हो गए और इस बार हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय को शिकस्त दी। 2022 में भी उनका रिकॉर्ड कायम रहा।

रामवीर उपाध्याय: UP की हाथरस सीट से रामवीर उपाध्याय एक बड़ा नाम हैं। हालांकि, उन्होंने राजनीति की शुरुआत BJP से ही की थी। राम मंदिर आंदोलन में उपाध्याय की भूमिका की चर्चा भी हुई, लेकिन 1993 में पार्टी से टिकट न मिलने पर उन्होंने BSP का रुख किया।

हाथरस की सादाबाद सीट से वे 5 बार BSP के टिकट पर जीते और विधायक बने। BJP ने उन्हें इस बार चुनाव में अपने पाले में लाकर इस सीट से जीत पक्की करनी चाही, लेकिन RLD के प्रदीप चौधरी के हाथों उन्हें शिकस्त मिली।

कई ब्राह्मण चेहरों का पत्ता कटा

पिछली बार के डिप्टी CM दिनेश शर्मा, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। नीलकंठ तिवारी वाराणसी की विधानसभा सीट से दूसरी बार जीते थे। वे पूर्वांचल का बड़ा चेहरा हैं, लेकिन इस बार उनकी जगह बिना विधायक बने ही गाजीपुर के दयाशंकर मिश्रा कैबिनेट में चुन लिए गए। कानपुर की किदवई नगर सीट से जीते महेश त्रिवेदी को मंत्री पद की उम्मीद थी, लेकिन उनके हाथ भी निराशा लगी।

पिछली योगी कैबिनेट में थे 7 ब्राह्मण चेहरे
बृजेश पाठक को पिछली बार कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला था। दिनेश शर्मा उपमुख्यमंत्री थे तो रीता बहुगुणा जोशी कैबिनेट मंत्री थीं, सत्यदेव पचौरी और श्रीकांत शर्मा प्रदेश के ऊर्जा मंत्री थे। अर्चना पांडेय और नीलकंठ तिवारी को राज्यमंत्री का दर्जा मिला था। सितंबर 2021 में हुए कैबिनेट विस्तार में एक और ब्राह्मण नेता का नाम जुड़ा। वह नाम था कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद का।

नई कैबिनेट में पुराना चेहरा सिर्फ एक
बृजेश पाठक को इस बार प्रमोट कर डिप्टी CM बनाया गया, जबकि बाकी सभी लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि योगी की कैबिनेट में जितिन प्रसाद भी पहले से शामिल हैं। उन्हें भी पुराना चेहरा माना जा सकता है।

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