योगी के सबसे कम पढ़े-लिखे नेता की कहानी … 22 दिनों में मैकेनिक से विधायक बन गए राकेश राठौर, 53 दिनों में तय किया मंत्री पद तक का सफर
राकेश राठौर उर्फ गुरु, योगी 2.0 का वो चेहरा जो साधारण मिस्त्री से पहले विधायक बना, फिर कैबिनेट में राज्यमंत्री बन गया। योगी के मंत्रियों की सीरीज में आज कहानी उस नेता की जिसने सिर्फ 53 दिनों में मिस्त्री से मंत्री तक का सफर तय कर लिया।
चलिए राकेश के स्कूल के दिनों से आज की कहानी शुरू करते हैं…
सिर्फ आठवीं तक पढ़े हैं राकेश
साल: 1973 जगह: मिश्रिख, सीतापुर
13 साल के राकेश ने आठवीं कक्षा में एडमिशन लिया। पढ़ने में ठीक थे। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। तय हुआ कि राकेश को भी घर की जिम्मेदारियों में हाथ बटाना पड़ेगा। इसलिए उन्हें आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
बैटरी की दुकान चलाते थे राकेश, उनके भाई अब भी यही काम करते हैं
साल: 1982 जगह: दुर्गापुरवा, सीतापुर आरएमपी मोड़ के पास एक लकड़ी की गुमटी थी। यहीं राकेश ने स्कूटर और साइकिल ठीक करने की दुकान खोली। अगले 10 साल उन्होंने यही काम किया। 1982 के बाद लोगों ने स्कूटर का इस्तेमाल कम कर दिया था। राकेश को धंधे में फायदा कम होने लगा। तब उन्होंने स्पेयर पार्ट्स का भी काम शुरू किया।
कुछ पैसा आना शुरू हुआ तो राकेश ने गुरु बैटरी नाम की इन्वर्टर बैटरी की दुकान भी खोली। ये दुकान अब राकेश के भाई अतुल राठौर चलाते हैं। यहीं से जो कमाई होती है उससे अतुल के घर का खर्चा चलता है। राकेश विधायक बनने के बाद भी दुकान पर जाकर लोगों से मुलाकात करते हैं।
स्कूटर बनाने में माहिर थे, जिन्होंने इनसे काम सीखा वो उन्हें गुरु बुलाने लगे
राकेश ने स्कूटर मिस्त्री का जब काम शुरू किया तो जिनसे काम सीखा उन्हें गुरु ही कहते थे। एक वक्त बाद वो स्कूटर बनाने में इतने माहिर हो गए कि ऑटोमोबाइल मार्केट में लोग उनसे काम सीखने लगे।
जिन लोगों ने काम सीखा उन्होंने इनको गुरु बुलाना शुरू कर दिया। यहीं से उनकी पहचान राकेश राठौर गुरु के नाम से होने लगी।
बचपन से ही RSS से जुड़े हैं राकेश
राकेश स्कूटर बनाते–बनाते एक दिन मंत्री बन जाएंगे ये उन्हें भी मालूम नहीं था। हालांकि, राजनीति में उनकी दिलचस्पी शुरू से ही रही है।
वह बचपन से ही RSS से जुड़े रहे हैं। बीजेपी के मेहनती कार्यकर्ताओं में उनकी गिनती शुरू से होती रही है।
बीजेपी की वो स्ट्रेटजी जिसने राकेश को विधायक बना दिया
साल 2017, यूपी विधानसभा चुनाव में सीतापुर सदर सीट पर बीजेपी के विधायक चुने गए। उनका नाम भी राकेश राठौर ही था।
दोनों राकेश राठौर एक जमाने में अच्छे दोस्त हुआ करते थे। 2018 से पहले अक्सर दोनों को साथ में देखा जाता था। पर धीरे–धीरे दोनों के रिश्तों में दरार पड़ने लगी।
2022 चुनाव से पहले विधायक राकेश राठौर की बीजेपी से भी खटपट होने लगी। पार्टी के खिलाफ बोलते हुए उनके कई वीडियो भी वायरल हुए। पीएम मोदी से लेकर योगी तक सबके काम करने के तरीके पर सवाल उठाए। बाद में चुनाव से कुछ वक्त पहले ही उन्होंने बीजेपी छोड़ दी। सपा जॉइन कर ली।
अब 2022 चुनाव के लिए बीजेपी को एक नए चेहरे की तलाश थी। ऐसे में पार्टी ने राकेश नाम के फैक्टर का कार्ड खेला।
23 फरवरी को सीतापुर में चुनाव था। उसके 22 दिन पहले यानी 1 फरवरी को बीजेपी ने राकेश राठौर गुरु को अपना प्रत्याशी बना दिया। ये पहली बार था जब राकेश चुनाव लड़ने वाले थे।
सपा प्रत्याशी राधेश्याम ने कहा, “इस चुनाव में राकेश की जमानत जब्त हो जाएगी”
चुनाव प्रचार के लिए राकेश के पास सिर्फ 22 दिनों का समय था। इस दौरान उनको पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। हद तो तब हो गई जब बीजेपी के ही एक नेता निर्दलीय रूप से उन्हीं के खिलाफ खडे़ हो गए।
साथ ही सपा के उम्मीदवार राधेश्याम जैसवाल ने कहा था कि राकेश को उनके नाम का कोई फायदा नहीं मिलेगा। इसके उलट लोग उन्हें वोट नहीं देंगे क्योंकि वो पहले विधायक रहे राकेश को वोट नहीं देना चाहते। उनका कहना था कि राकेश राठौर गुरु इस बार चुनाव लड़ तो रहे लेकिन उनकी जमानत जब्त हो जाएगी।
पहली बार चुनाव लड़े, जीत गए
10 मार्च 2022, चुनाव का फैसला आया। राकेश पहली बार चुनाव लड़े। जीत गए। जबकि इस सीट से चार बार विधायक रहे राधेश्याम दूसरे नंबर पर रहे। राकेश ने उन्हें 1253 वोटों से मात दे दी।
राज्यमंत्री बन मिली दोहरी खुशी
चुनाव के नतीजे तो चौंकाने वाले थे ही। राकेश की जीत की खुशी तब दोगुनी हुई जब 25 मार्च 2022 को उन्हें राज्यमंत्री की शपथ दिलाई गई। तीन दिन बाद 28 मार्च को उन्हें नगर और शहरीय विकास मंत्री, नगरीय रोजगार मंत्री का पद सौंपा गया।