MP में नेचुरल खेती क्यों?:गाय पालने के लिए किस किसान को मिलेगी मदद? क्या है सरकार की स्कीम?

मध्यप्रदेश सरकार नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। किसान इसका फायदा उठा सके, इसके लिए उनके पास देसी गाय होना जरूरी है। सरकार ने तय किया है कि नेचुरल फार्मिंग करने वाले किसान को हर महीने 900 रुपए की सहायता दी जाएगी। इस तरह एक साल में किसान को 10,800 रुपए की आर्थिक सहायता राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी। कृषि मंत्री कमल पटेल के मुताबिक 1 लाख 65 हजार किसानों ने इसमें रुचि दिखाई है। इसके लिए मप्र प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। आखिर क्या है नेचुरल फार्मिंग? किन्हें और कैसे मिलेगा फायदा? जानिए A टू Z...

कैसे मिलेगी मदद?
जिला परियोजना संचालक के जरिए नेचुरल फार्मिंग से जुड़े कार्य किए जाएंगे। किसान को आवेदन देना होगा। इसका प्रारूप सरकार द्वारा जारी किया जाएगा। इसमें उसे घोषित करना होगा कि वह कितनी जमीन पर नेचुरल खेती करना चाहता है। इसके बाद उसे सरकारी मदद मिल सकेगी।

कौन सी किस्म की गाय देसी मानी जाती हैं?
56 तरह की भारतीय नस्ल की गाय देसी कैटेगरी में आएंगी। इसमें मालवी, निमाड़ी, गीर, थारपारकर, नागौरी, कांकरेज, साहीवाल आदि नस्ल की गाय शामिल हैं। मध्यप्रदेश में मूल रूप से मालवी, निमाड़ी और गुजरात की गीर गाय अधिक हैं। खास है कि एक देसी गाय से 30 एकड़ में प्राकृतिक खेती की जा सकती है। यानी इसके गोबर और मूत्र से ही जीवामृत और घन जीवामृत बनाए जा सकते हैं।

गीर गाय साधारण गाय से आकार में बड़ी होती हैं। इनका माथा चौड़ा होता है और इनके कान लंबे और लटके हुए होते हैं।
गीर गाय साधारण गाय से आकार में बड़ी होती हैं। इनका माथा चौड़ा होता है और इनके कान लंबे और लटके हुए होते हैं।

कौन-कौन से किसान दायरे में आएंगे?
सिर्फ वही किसान दायरे में आएंगे, जो प्राकृतिक खेती करेंगे। अन्य पद्धति से खेती करने पर उन्हें देसी गाय के लिए 900 रुपए का भुगतान नहीं किया जाएगा।

क्या केवल गांवों में पालने पर राशि मिलेगी या शहरों में भी?
ग्रामीण क्षेत्र के किसान हों या शहरी क्षेत्र के, जो भी प्राकृतिक खेती करेगा, उन्हें देसी गाय पालने के लिए 900 रुपए प्रति गाय के हिसाब से भुगतान किया जाएगा।

वेरिफिकेशन का सिस्टम क्या होगा?
हर ब्लॉक में पांच-पांच पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यह न सिर्फ ट्रेनिंग देंगे, बल्कि इस बात को भी देखेंगे कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को ही गाय पालन की सरकारी सहायता मिल रही है।

प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का क्या रोल?
बोर्ड का मुख्यालय भोपाल में होगा। मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड में निगरानी एवं समीक्षा के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शीर्ष निकाय और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन होगा। बोर्ड के राज्य परियोजना संचालक अपर मुख्य सचिव, किसान-कल्याण, कृषि विकास विभाग और कार्यकारी संचालक, संचालक कृषि होंगे। जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में आत्मा गवर्निंग बोर्ड के निर्देशन में जिला परियोजना संचालक आत्मा द्वारा योजना क्रियान्वित की जाएगी।

क्या सरकार ने टारगेट तय किया है?
हर जिले में कम से कम 100 गांवों को चिन्हित किया जाएगा। इस तरह प्रदेश के 52 जिलों में 5200 गांवों में खरीफ की फसल की प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने का शुरुआती टारगेट है। विशेष रूप से नर्मदा नदी के किनारे इसे प्रमोट किया जाएगा। इसके लिए सीएम, कृषि मंत्री भी प्राकृतिक खेती करेंगे।

क्या अन्य कोई सहायता भी देगी सरकार?
जी हां, प्राकृतिक खेती के लिए कार्यशालाएं कराई जाएंगी। किसानों को नेचुरल खेती की बारीकी सिखाई जाएगी। प्राकृतिक कृषि किट लेने के लिए 75% तक राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।

क्या है प्राकृतिक खेती, कैसी की जाती है?

प्राकृतिक खेती कृषि की पुरातन पद्धति है। यह कई तरीकों से की जाती रही है। कई साल पहले ‘होमा खेती’ का प्रचलन था। इसमें एक निश्चित समय में खेत में हवन, मंत्रोच्चार से पवित्र कर खेती की जाती है। इसके अलावा, ब्रह्मांडीय शक्तियों सूर्य, चांद आदि की ऊर्जा का ध्यान रखा जाता है। प्राकृतिक खेती को इस तरह से देखा जाता है कि खेत में फसल की बुवाई करो और काटो। न उर्वरक का उपयोग करें, न ही रसायन का उपयोग करें। फसल की शुद्धता और मिट्‌टी के स्वास्थ्य की दृष्टि से इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

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