शिष्टाचार और मीठी जुबान से सेल्स बढ़ती है और क्वालिटी उत्पाद भी मिलते हैं

लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट के बाहर खड़े हुए मैंने एक शख्स को कार रेंटल कंपनी के प्रतिनिधि पर चिल्लाते हुए सुना। ‘तुम्हें पता है मैं कौन हूं? मैं हफ्ते में तीन बार तुम्हारी सर्विस लेता हूं और तुम्हारे वाइस प्रेसिडेंट को निजीतौर पर जानता हूं।’ जब उसका हर शब्द सीधा मेरे कानों में पड़ रहा था, मैं अपने लिए टैक्सी बुक करते हुए कार रेंटल कंपनी से संपर्क करने में मगन था। और जब मैंने सूट-बूट पहने उस आदमी के मुंह से ये तल्ख शब्द सुने, तो उसके संपर्कों पर संदेह नहीं हुआ।

उसकी देहभाषा सही थी, कड़ाके की सर्दी में वह बहुत महंगा ओवरकोट पहने था और लैपटॉप बैग ऐसा था, जैसा मैं हमेशा से लेना चाहता था, पर नहीं खरीद सकता था। उसकी टोन अच्छी हो सकती थी, पर मुझे लगा कि लंदन में आधिकारिक पदों पर बैठे लोग ऐसे बात कर सकते हैं। ज्यों ही मेरे फोन का जवाब मिला, मेरे विचार भी थम गए। उन्होंने मुझसे डीटेल मांगी और दूसरी ओर मौजूद शख्स से मैंने उदारता से कहा, ‘ट्रिप में मेरे साथ कुछ बुजुर्ग और कुछ बड़े सूटकेस हैं।

इसलिए आप ऐसी कार भेज सकें, जिसमें जगह ज्यादा हो तो मैं आपका आभारी रहूंगा।’ दूसरी ओर से आवाज आई, ‘बेशक सर, मैं कोशिश करता हूं’ और मुझसे पूछा कि आप एयरपोर्ट में ठीक किस गेट पर हैं। अगले पांच मिनट तक वो गुस्साया आदमी और मैं अपनी-अपनी गाड़ी के इंतजार में एक साथ खड़े रहे। वह भड़का हुआ था और कुछ लोगों को फोन करके कार रेंटल सर्विस के बारे में बड़बड़ा रहा था। चूंकि मेरे पास बात करने के लिए कोई नहीं था, तो मैं आसपास लोगों को देखकर आनंद ले रहा था।

फिर उसी रेंटल कंपनी की दो कारें आईं। दोनों बाजू में आकर खड़ी हो गईं। सूट-बूट वाला आदमी सेडान की ओर बढ़ा और मैंने छोटी कार का दरवाजा खोलने की कोशिश की। मैं कार में बैठने ही वाला था कि ड्राइवर पीछे से आया और कहा कि सेडान मेरे लिए है और फिर सूटकेस रखवाने में मदद की। क्षण भर को उस आदमी की शक्ल मैंने देखी। उसका चेहरा लाल था और वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था क्योंकि ना सिर्फ उसकी कार छोटी थी बल्कि बाहर से भी खराब दिख रही थी।

वह उसके स्टेटस से मेल नहीं खा रही थी। मेरे लिए कार के अंदर जगह छोड़कर बाकी चीजें मायने नहीं रखतीं। जब ड्राइवर ने कहा कि कंपनी ने उसी कीमत पर खुशी से कार अपग्रेड की है। तो मैं समझ गया कि मेरे अच्छे बर्ताव का मुझे फल मिला है। उस यात्रा का वह अनुभव मुझे कल याद आया, जब मैं ‘स्पिनी’ के मार्केटिंग हैड सुविद बजाज से बात कर रहा था। स्पिनी यूज्ड कार बेचने वाला प्लेटफॉर्म है, जो कि बाजार में अपनी सात ‌वर्षों की उपस्थिति का आईपीएल में जोर-शोर से प्रचार कर रहा है।

सुविद से बातचीत में उन्होंने कंपनी की रणनीति पर जोर दिया कि बिक्री का सौदा तय करने के बजाय मदद करने वाली मानसिकता के साथ ग्राहकों को शानदार अनुभव कराने पर जोर दे रहे हैं। मेरे लिए यह किसी वनीला आइस्क्रीम पर चॉकलेट लेयर्स जैसा है जो कि और स्वादिष्ट लगता है। कोई आश्चर्य नहीं कि उनका ब्रांड एम्बेंसडर और कोई नहीं बल्कि सबसे मृदुभाषी, क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर हैं, जो खुद भी रणनीतिक निवेशक हैं।

मुझे यकीन है कि डील साइन करने से पहले उन्होंने ग्राहकों के साथ कंपनी की केमिस्ट्री देखी होगी। तीन दशकों तक क्रिकेट कवर करते हुए मैं मैदान पर और बाहर कई बार सचिन से टकराया, पर हर बार उन्होंने हमेशा मुस्कुराते हुए हाय-हैलो की।

फंडा यह है कि शिष्टाचार और मीठी जुबान से उपयोग के लिए न सिर्फ बेहतर और अपग्रेड उत्पाद मिलते हैं, बल्कि यह बिक्री से जुड़े लक्ष्य पूरा करने का भी मंत्र है।

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