अवैध कालोनियों का विकास रोकने के लिए राज्य शासन ने वर्ष 2017 में नियम बनाया था। इसके तहत 31 दिसंबर 2016 तक विकसित हुईं अवैध कालोनियों को वैध किया जाना था। इसके बाद बनाई गईं अवैध कालोनियों में बिल्डर के खर्चे पर ही नगर निगम को विकास कार्य कराने थे। वर्ष 2016 में जिले में 600 से अधिक अवैध कालोनियों को चिन्हित कर वैध करने की कार्रवाई की गई थी। इन कालोनियों में आज भी सड़क, सीवर, पानी, पार्क जैसी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाई हैं, लेकिन पिछले तीन वर्षों में इतनी ही नई अवैध कालोनियां विकसित हो चुकी हैं। लोग सस्ती जमीन के झांसे में अपनी मेहनत की कमाई लगाकर प्लाट खरीदते हैं, लेकिन बाद में उन्हें बुनियादी सुविधाओं से ही वंचित होना पड़ता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान अवैध कालोनियों को शहरी विकास के लिए खतरा बताया है। इसके बावजूद इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस प्लानिंग तैयार नहीं हो पाई है।

शहर के बाहरी हिस्से में कट रही कालोनियां: ज्यादातर अवैध कालोनियां शहरी सीमा के बाहरी हिस्से में तैयार की जा रही हैं। इसमें कालोनाइजरों का ज्यादातर ध्यान हाईवे से लगी हुई कालोनियों पर रहता है, ताकि ग्राहकों को बताया जा सके कि उनकी कालोनी हाईवे से लगी हुई है। इसके बदले में कालोनाइजर को बेहतर पैसा मिल जाता है। वर्तमान में शिवपुरी लिंक रोड, गिरवाई, सिरोल, मेहरा, बड़ागांव, पुरानी छावनी, महाराजपुरा, लक्ष्मणगढ़, शनिचरा रोड पर जमकर अवैध कालोनियां विकसित की जा रही हैं।

ऐसे बनाते हैं अवैध कालोनियां: अवैध कालोनियां तैयार करने के लिए कालोनाइजर खेती की जमीन तलाशते हैं। किसान को लालच दिया जाता है कि उसे जमीन का बेहतर भाव दिया जाएगा। किसान को कालोनाइजर एडवांस राशि देकर अनुबंध कर लेते हैं। जमीन पर प्लाटिंग दर्शाकर मुरम की संकरी कच्ची सड़कें, विद्युत पोल और झंडे गाढ़ दिए जाते हैं। इन कालोनियों में प्लाट का भाव 400 से 600 रुपये प्रति वर्गफीट रखा जाता है, ताकि लोग आसानी से जमीन खरीद सकें। इसमें कालोनाइजर चालाकी से प्लाट की रजिस्ट्री सीधे किसान से कराते हैं और बीच का मुनाफा लेकर चंपत हो जाते हैं।

क्या कहता है नियमः

-नगरीय विकास एवं आवास विभाग के नियम के मुताबिक कोई भी कालोनी कम से कम चार बीघा जमीन पर तैयार की जा सकती है।

-इसके लिए नजूल एनओसी व डायवर्सन के अलावा टीएंडसीपी की विकास अनुज्ञा व नगर निगम से भवन निर्माण की अनुमति लेनी आवश्यक है।

-विकास अनुज्ञा की शर्तों के मुताबिक उक्त कालोनी की 40 प्रतिशत भूमि सड़कों, सीवर लाइन, बिजली खंबे व पार्क के लिए अलग कर दी जाती है।

-बाकी बची 60 प्रतिशत भूमि पर ही प्लाटिंग का प्रविधान है।

-नगर पालिका विधि (संशोधन) विधेयक 2021 के मुताबिक तय सीमा से 30 प्रतिशत अधिक आवास निर्माण पर भवन अनुमति की पांच गुना राशि देकर कंपाउंडिंग की जा सकती है।

-अवैध कालोनियों को वैध करने के लिए कालोनाइजर को नक्शा पास कराने से लेकर सभी अनुमतियां लेनी होती हैं और विकास कार्य भी स्वयं कराने पड़ते हैं।

-बिना अनुमति कालोनी काटने पर कम से कम तीन साल और अधिकतम सात साल की सजा व 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रविधान है।

-जिस अफसर के अधिकार क्षेत्र में कालोनी कट रही है, उसके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रविधान किया गया है।

प्रशासन ने मुक्त कराई 115 बीघा जमीन, एफआइआर दर्जः जिला प्रशासन व नगर निगम के संयुक्त अमले ने मंगलवार को खुरैरी, सिंगारपुरा, खेरिया मोदी, जिरैना आदि गांवों में शासकीय भूमि पर काटी जा रही अवैध कालोनियों व अतिक्रमण पर तुड़ाई की कार्रवाई की। इस दौरान 105 करोड़ रुपये बाजार मूल्य की 115 बीघा जमीन को मुक्त कराया गया। ग्राम खुरैरी में सर्वे क्रमांक 569 पर नारायणी व उसके पुत्र पंकज द्वारा अवैध कालोनी विकसित की जा रही थी। ग्राम खेरिया मोदी में सर्वे क्रमांक 39 पर शीतल यादव, मनीष यादव, जगदीश सिंह व सर्वे क्रमांक 51/2, 37 पर अरविंद सिंह द्वारा अवैध कालोनी विकसित की जा रही थी। ग्राम सिंगारपुरा में सर्वे क्रमांक 100, 101 रकबा 12 बीघा पर एवं शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 37 पर धर्मेंद्र सिंह, इंदर सिंह द्वारा अवैध कालोनी विकसित की जा रही थी। ग्राम उदयपुर बड़ागांव में सर्वे क्रमांक 56/3 भरत यादव द्वारा अवैध कालोनी काटी जा रही थी। इसके साथ ही ग्राम जिरैना में 110 बीघा शासकीय भूमि पर पुत्तू दामोदर, कृष्णा लोधी, कप्तान लोधी द्वारा अवैध कालोनी काटी जा रही थी। इन पर एफआइआर भी दर्ज कराई गई।

वर्जन-

अवैध कालोनियों को बसाने वाले माफिया सक्रिय हैं, जिसे रोकने के लिए प्रशासन ने मई माह का पूरा कैलेंडर तैयार कर लिया है। किस दिन कहां कार्रवाई होगी, यह प्लानिंग की जा चुकी है। लोगों के साथ ठगी करके कालोनी बसाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। सख्त कार्रवाई करेंगे।

आशीष तिवारी प्रभारी कलेक्टर,ग्वालियर

नगर निगम आयुक्त किशाेर कान्याल से सीधी बातः

प्रश्न: अवैध कालोनियों के मामले में तुड़ाई की कार्रवाई होती है, लेकिन कालोनी काटने से रोकने के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं होती?

जवाब: निगम अमले पर अलग-अलग तरह के बहुत काम रहते हैं। एक कर्मचारी पर विभिन्न जिम्मेदारियां हैं। ऐसे में कई बार अवैध कालोनी की जानकारी नहीं मिल पाती है। जानकारी मिलने पर हम कार्रवाई करते हैं।

प्रश्न: लेकिन अंत में नुकसान तो जनता का ही होता है। हम पहले से कोई प्रभावी कदम क्यों नहीं लेते हैं?

जवाब: जो लोग जमीन बेच रहे हैं और जो लोग खरीद रहे हैं, पहले तो वही इसके जिम्मेदार हैं। खरीदार को देखना चाहिए कि कालोनी वैध है या नहीं। निगम अमला तो कार्रवाई करता ही है।