ग्वालियर .. सरकार ने निगम एक्ट में किया संशोधन; संपत्ति कर के तीन साल पुराने मामले की भी जांच करा सकेगा नगर निगम

संपत्ति कर की स्वनिर्धारण प्रणाली के तहत लोगोंं द्वारा जमा कराई जाने वाली विवरणी(संपत्ति संबंधी जानकारी का फॉर्म) की जांच अब पिछले 3 साल तक की हो सकेगी। सरकार ने इस मामले को लेकर निगम एक्ट में संशोधन कर दिया है। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार 60 दिन या मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही जमा कराई गई विवरणी की जांच का अधिकार नगर निगम को था। इसके तहत विवरणी में संपत्ति का गलत एरिया भरने पर 5 गुना तक पेनाल्टी वसूलने का प्रावधान है।

नगरीय निकायों की आय बढ़ाने और लोगों को संपत्ति कर जमा कराने काे प्रेरित करने के लिए सरकार ने पिछले वर्ष निगम एक्ट की संपत्ति कर संबंधी धाराओं में कुछ संशोधन किए थे। लेकिन काेरोना काल के कारण इन संशोधनों को कड़ाई से लागू नहीं किया गया।

मौजूदा वित्तीय वर्ष में इन संशोधनों का पालन कराया जाएगा। निगम के संपत्ति कर विभाग ने इन संशोधनों को लागू करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे प्रशासक के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद उक्त संशोधन लागू हो जाएंगे।

इस साल यह रहा संपत्तिकर का हाल

  • 2.75 लाख संपत्ति दर्ज हैं ग्वालियर निगम में
  • 1,08,450 संपत्तिधारकों ने कर किया है जमा
  • 81.06 करोड़, 31 मार्च तक राशि जमा
  • पिछले वित्तीय वर्ष में 94,000 संपत्तियों से 60 करोड़ रुपए संपत्तिकर वसूला गया था।

घर के खुद इस्तेमाल पर छूट सिर्फ मौजूदा वित्तीय वर्ष में

संपत्ति कर निर्धारण के दौरान यह प्रावधान होता है कि संपत्ति पर जितना भी कर निकले, इसमें संपत्ति स्वामी द्वारा रहने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्षेत्र के कर में 50% छूट मिलती है। यह छूट बकायादारों को पुराने वर्षों के कर जमा करने पर भी मिला करती थी, लेकिन संशोधन के बाद संपत्ति स्वामी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे क्षेत्र पर 50% टैक्स की छूट सिर्फ उसी वित्तीय वर्ष में कर जमा करने पर मिलेगी।

और ऐसे लगातार बढ़ता जा रहा है संपत्ति कर

संपत्ति स्वामियों पर कर की मार लगातार बढ़ती जा रही है। सबसे पहले संपत्ति कर को कलेक्टर गाइड लाइन से जोड़कर इसकी दरें बढ़ाई गईं। इसके बाद गार्बेज शुल्क का प्रावधान भी संपत्ति कर के साथ कर दिया गया। इससे 50 फीसदी तक कर बढ़ गया। अब संपत्ति स्वामी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे क्षेत्र पर छूट का लाभ उसी वित्तीय वर्ष तक के लिए करने से भी बकायादारों पर वित्तीय मार पड़ेगी।

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