यूपी में साइबर ठगों का जाल … सहारनपुर में चार माह में 1000 केस दर्ज, देवबंद में साइबर ठगी के मामले सबसे ज्यादा

आप एंड्राइड मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। डिजीटल लेनदेन भी करते हो। तो सावधान हो जाइए। यह खबर आपके लिए ही है। क्योंकि यूपी में साइबर क्राइम के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। अनजान कॉल करने वाला अपने को रिश्तेदार, दोस्त या फिर कोई सगा संबंधी बता सकता है। या फिर किसी जानकार का हवाला देकर एकाउंट से आपकी मेहनत की कमाई लूट सकता है।

यूपी के सहारनपुर में पिछले चार माह (जनवरी से अप्रैल) में 1,000 केस साइबर ठगी के दर्ज हुए है। इनमें देवबंद के थाने में सबसे ज्यादा 217 केस दर्ज हुए है। ऑनलाइन ठगी की 700 शिकायत ऑनलाइन और 300 मैन्युअल दी गई है।

OTP पूछकर उड़ा देते हैं रकम
अनजान कॉल आती है, तो उसे इग्नौर करें। क्योंकि यह कॉल आपके बैंक एकाउंट से आपकी मेहनत की रकम उड़ा सकती है। कॉलर पहले आपको बातों के जाल में फंसाएगा। रिश्तेदार, दोस्त या फिर कोई सगा संबंधी बनकर कॉल करेगा। उनकी बातों में इतनी मिठास होती है कि आपको लगेगा यह कोई रिलेटिव्स ही है। फिर वह UPI या अन्य एकाउंट चलाने की बात कहेगा।

पैसा डालने से लेकर निकालने तक की बात की जाती है। कॉलर फिर कहेगा कि मैं आपको 100 या फिर उससे ज्यादा रकम डालकर देखता हूं। जैसे ही आपने उससे रकम डलवाई और ऑप्शन येस या नौ में से येस को क्लिक किया। तो समझो आपके एकाउंट से रकम गायब। कुछ तो पूरी बैंक संबंधी डिटेल और लोन तक देने की बात कहते हैं, कुछ एकाउंट में परेशानी होनी की। OTP पूछते हैं, फिर उसके बाद रकम गायब हो जाती है।

तुरंत शिकायत पर फ्रॉड हो जाता है ट्रेस
साइबर सेल इंस्पेक्टर अजय श्रोतिया का कहना है कि पहली बात मोबाइल फोन पर किसी को भी अपनी निजी जानकारी न दें। यदि अनजाने में एकाउंट से रकम गायब हो जाती है, तो फिर बस एक कॉल 1930 पर करनी है। अपने साथ हुए फ्रॉड की सभी जानकारी देनी है।

जिसके बाद कॉलर ज्यादा रकम नहीं निकाल पाए। कॉल कर जानकारी देने के बाद ही साइबर सेल अपने काम में लग जाती है। साइबर ठग को ट्रेस करने का प्रयास करती है। सहारनपुर में कई मामलों में साइबर सेल ने ठगी का शिकार बने लोगों को पैसा दिलाया भी है।

एक ही नंबर से कई बार ठगी होने पर कर दिया जाता है ब्लॉक
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि कई बार एक ही नंबर से कई लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। यदि समय रहते ही वह नंबर साइबर थाने को मिल जाता है तो उस साइबर सेल पोर्टल पर दर्ज कर लिया जाता है। जहां से गृह मंत्रालय उस नंबर को ISP भेज देता है। जिसके बाद यह नंबर हमेशा के लिए ब्लॉक कर दिया जाता है। नंबर के स्वामी को ट्रेस करने की कोशिश की जाती है।

केस नंबर-1
सदर थाने में दर्ज एक मामले में साइबर ठग ने बैंक अधिकारी बनकर कॉल की। फोन के द्वारा पर्सनल जानकारी मांगी गई। खाता ब्लॉक करने की बात की गई। खाता ब्लॉक होने के डर से सभी जानकारी के साथ OTP नंबर भी बता दिया गया। थोड़ी ही देर में 25 हजार खाते से निकलने का मैसेज आया। जिसके बाद खाता धारक के होश उड़ गए।

केस नंबर-2
थाना देवबंद में पासपोर्ट ऑफिस से आने की बात कही गई। कागजात के वैरिफाई कराने को लेकर पर्सनल जानकारी मांगी गई। नाम, पता, पैन, एटीएम कार्ड सहित बैंक एकाउंट नंबर तक पूछा गया। खाताधारक ने पासपोर्ट ऑफिस से फोन समझकर सभी जानकारी दे दी। उसके बाद OTP मांगा गया। जिसके 10 सैकेंड बाद खाते से 20 हजार की रकम गायब हो गई।

केस-3
एक व्यक्ति ने अपनी बेटी के शादी के लिए पैसा जोड़ रखा था। उसके पास भी बैंक अधिकारी बनकर कॉल की जाती है। सभी पर्सनल जानकारी मांगी जाती है। ओटीपी पूछता जाता है और कुछ ही देर में 90 हजार रुपये खाते से गायब हो जाते हैं। जिसके बाद थाने में शिकायत की गई। साइबर सेल थाना पीड़ित की रकम दिलाने के लिए प्रयास कर रहा है। कॉल ट्रेस करने पर लोकेशन भी बदल रही है।

10 दिनों में 97 हजार रुपये वापस कराए
साइबर थाना पुलिस ने 10 दिनों के अंदर धोखाधड़ी के विभिन्न माध्यमों से 06 व्यक्तियों के खातों में 97,850 रुपये वापस कराए है। जिसमें गांव शाहपुर के पंकज कुमार को 5,000, उत्तम विहार के सौरभ को 15,000, नंद वाटिका की साक्षी कर्णवाल को 14,850, साल्हापुर के राहुल राठौर के 35,000, बिहारीगढ़ के हुसैन के 20,000 और इंद्रा कॉलोनी के रूद्र प्रताप सिंह के 8,000 रुपए साइबर थाने ने वापस कराए है।

सहारनपुर के एसपी सिटी राजेश कुमार ने ऑनलाइन फ्रॉड से बचने को लेकर सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा है जैसे ही ऑनलाइन ठगी की सूचना लगे। तो उपभोक्ता को चाहिए वह तुरंत 1930 पर कॉल कर मामले से अवगत कराएं और अपना केस रजिस्टर्ड कराएं। जिससे तुरंत कार्रवाई कर आगे के फ्रॉड को रोका जा सके।

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