हर एक के जीवन में मां एक अनमोल इंसान के रूप में होती है। जिसके बारे में शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने मां को बनाया। वैसे तो किसी के लिए भी लाइफ में मां की अहमियत को शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी साल का एक दिन मां के नाम कर दिया गया है।
ऐसा माना जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वो भी साल 1912 में जब एना जार्विस नाम की अमेरिकी महिला ने अपनी मां के निधन के बाद इस दिन को मनाने की शुरुआत की। जब एना की मां की निधन हुआ तो उन्होंने कभी शादी न करने का फैसला करते हुए अपनी मां के नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया।
एना के इस कदम के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वड्रो विल्सन ने औपचारिक तौर पर 9 मई 1914 में मदर्स डे मनाने की शुरुआत की। इस खास दिन के लिए अमेरिका संसद में कानून पास किया गया। बाद में मदर्स डे को मई के दूसरे रविवार के दिन मनाने की स्वीकृति अमेरिका समेत यूरोप, भारत और कई अन्य देशों ने भी दी। भारत में इसे मई के दूसरे संडे के दिन मनाया जाता है।
तो वहीं इस दिवस के पीछे एक कहानी और भी है। कुछ विद्वानों का दावा है कि मां के प्रति सम्मान यानी मां की पूजा का रिवाज पुराने ग्रीस से आरंभ हुआ है। कहा जाता है कि स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता था। यह दिन त्योहार की तरह मनाने की प्रथा थी। एशिया माइनर के आस-पास और साथ ही साथ रोम में भी वसंत के आस-पास इसे 15 मार्च से 18 मार्च तक मनाया जाता था।
इस दिन, हर कोई अपनी मां को खास महसूस कराने के लिए उनके मातृत्व और प्यार को सम्मानित करने के उद्देश्य से बच्चे मदर्स डे मनाते हैं। पिछले कुछ दशकों में मां को समर्पित इस दिन को बहुत खास तरीके से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपनी मां के साथ समय बिताते हैं। उनके लिए गिफ्ट या कुछ सरप्राइज प्लान करते हैं। कुछ लोग इस दिन घूमने जाते है, डिनर पर जाते हैं। तो कई लोग घर पर पार्टी का आयोजन भी करते है और मां को इस दिन की बधाई देते हैं।