चंबल की तीन नदियों का अस्तित्व खतरे में …..

-बेसली, क्वारी एवं झिलमिल नदी के किनारों पर अतिक्रमण
– अतिक्रमण से नाले में हुईं तब्दील

भिण्ड। देश सहित मध्यप्रदेश की विभिन्न नदियां इन दिनों अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने को मजबूर बनी हुईं हैं। एक ओर जहां अवैध खनन इनके लिए परेशानी उत्पन्न कर रहा है, वहीं छोटी नदियों के किनारे होने वाला अतिक्रमण इनके लिए एक बड़ी समस्या बना रहा है।

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ऐसे में साल 1990 तक चंबल संभाग के भिंड जिले के ग्रामीण अंचल में जीवनदायीनी साबित होती आ रही बेसली, झिलमिल और क्वारी नदी का अस्तित्व अब खत्म होने के कगार पर हैं। आलम ये है कि नदियों के किनारे की जमीन पर लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण के चलते नदियां नाले में तब्दील हो रही हैं।

विदित हो कि क्वारी नदी मुरैना जिले के बुधारा के पास से भिण्ड जिले में प्रवेश होकर गोरमी, अटेर, भिण्ड सहित 400 से ज्यादा गांवों को लाभान्वित करती आ रही है। क्वारी नदी की चौड़ाई करीब 600 फीट है जो नदी के किनारों पर किए गए अतिक्रमण के चलते 35 से 40 फीट कम हो गई है।

ज्ञात हो कि भिण्ड जिले में 60 से 65 किलो मीटर लंबाई में है। नदी से न केवल लोग अपने खेतों की फसल को सिंचित करते आ रहे हैं बल्कि गांवों का जल स्तर भी स्थिर बनाए रखने में योगदान देती आ रही है।

zilmil_river.jpgनदी के सिंकुडऩे के कारण न केवल नदी की धार टूट गई है बल्कि पानी ही खत्म हो चला है। ऐसे में पालतू पशुओं के अलावा जंगली जानवरों के लिए भी पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है।

एक्सपर्ट व्यू :
जंगल खत्म हो रहे हैं और बीहड़ तोड़े जाने के कारण नदियों पर संकट उत्पन्न हुआ है। पेड़, पौधो व ऊबड़ खाबड़ बीहड़ की जमीन का समतल कर उसे कृषि उपजाऊ बनाने के चलते नदियों का अपवाह तंत्र खत्म हो गया है। अब नदियों के पास स्टॉप डेम बनाए जाने के बाद उनका नियमित संचालन किया जाना आवश्यक है। गर्मियों के दिनों में जब नदी का पानी सूखता है तब स्टॉप डेम के गेट खोले जाएं ताकि नदी की धार निरंतर बनी रहे। कटाव क्षेत्र खत्म होने से नदियों में बरसात का पानी पूर्व की भांति नहीं पहुंच रहा।
– संजीव बरुआ, पर्यावरण विद

झिलमिल-बेसली नदी का भी मिट रहा वजूद
प्रशासनिक स्तर पर नदियों का संधारण नहीं कराए जाने और अतिक्रमण पर प्रभावी ढंग से कार्यवाही नहीं होने के चलते गोहद के बेसली डेम से निकली बेसली नदी जहां अपना वजूद खोने के कगार पर है। नदी इन दिनों पूरी तरह से सूख गई है जिससे पशु पक्षियों के लिए भी पानी मयस्सर नहीं हो पा रहा है।

नदियों के पुनर्जीवन के लिए अभियान शुरू करेंगे। शासन की योजना मनरेगा के तहत जन साधारण का भी सहयोग लेंगे। नदियों के किनारे के अतिक्रमण पर कार्यवाही की जाएगी।
– डॉ. सतीश कुमार एस, कलेक्टर भिण्ड
तीन दशक में 30 फीट नीचे खिसका नदी किनारे के गांवों का भू-जल स्तर-
गौरतलब है कि क्वारी, बेसली तथा झिलमिल नदी किनारे बसे गांवों का जल स्तर वर्ष 1990 तक 18 से 20 फीट नीचे था। नदियों में पर्याप्त पानी नहीं रहने के चलते साल दर साल गिर रहे भूजल स्तर के कारण गुजरे 30 साल में पानी 50 फीट नीचे चला गया है। लिहाजा कहा जा सकता है कि जल स्तर औसतन प्रति वर्ष एक फीट नीचे खिसक रहा है। बावजूद इसके शासन और प्रशासनिक स्तर दर नदियों का जीवन बचाने के जमीनी स्तर पर प्रयास नहीं किए जा रहे।

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