भिंड …. पोषक तत्वों की कमी का परीक्षण ?
ढाई करोड़ रुपए से पांच मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशालाएं बनाईं, स्टाफ नहीं होने से बंद….
खेतों की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के परीक्षण के लिए जिले में ब्लाक स्तर पर 5 प्रयोगशालाएं बनवाई गईं। लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों की तैनाती न किए जाने से इन सभी पर ताले लटक रहे हैं। ऐसे में किसानों को मिट्टी परीक्षण कराने के लिए जिला मुख्यालय या ग्वालियर की प्रयोगशाला में जाना पड़ रहा है।
इसमें किसानों का समय व धन खर्च हो रहा है। किसान यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब शासन के पास स्टाफ तैनात करने की व्यवस्था नहीं थी तब इन प्रयोगशालाओं के निर्माण और आवश्यक उपकरणों पर लाखों रुपए की राशि क्यों खर्च की गई।
यहां बता दें कृषि के बेहतर उत्पादन के लिए मिट्टी परीक्षण महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जब मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी व अधिकता का पता लग जाता है तब कृषि अधिकारी की अनुशंसा अनुसार किसान खाद का प्रयोग करते हैं। जिले में पांच-छह साल पहले गोहद, लहार, मेहगांव, अटेर व रौन में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं बनवाई गईं।
इनके लिए भवन और संसाधनों पर प्रत्येक पर 50- 55 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। लेकिन इनमें अधिकारी- कर्मचारियों की तैनाती अब तक नहीं की जा सकी है। ऐसे में जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर आलमपुर, 80 किलोमीटर दबोह, 55 किलोमीटर लहार, 30 किलोमीटर रौन, 25 किलोमीटर अटेर, 20- 50 किलोमीटर मेहगांव- गोरमी- मौ क्षेत्र के किसानों को मिट्टी परीक्षण के लिए भिंड आना पड़ रहा है। गोहद क्षेत्र के कुछ किसान भिंड आते हैं तो कुछ दूरी कम होने से ग्वालियर पहुंचते हैं।
उपचारित भूमि में अच्छी उपज और रोग व्याधि कम
- अनउपचारित भूमि में पौधों के कमजोर होने से फसलों की वृद्धि समुचित नहीं होती और उत्पादन कम प्राप्त होता है। पौधों के कमजोर होने से रोग व्याधि, कीट आदि से ग्रसित होने की भी संभावना अधिक रहती है। जबकि मिट्टी परीक्षण के बाद उपचारित भूमि में जरूरत के अनुसार रासायनिक व जैविक खाद उपयोग किया जाता है। इससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
- जिला मुख्यालय की प्रयोगशाला में वर्ष 2019- 20 में 4 हजार 810 मिट्टी के नमूनों की जांच हुई जबकि वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में 4 हजार 502 नमूनों का परीक्षण किया गया।
पोषक तत्वों की होती है जांच
परीक्षण में मिट्टी के पीएच मान, विद्युत चालकता, ऑर्गेनिक कार्बन, नत्रजन, फास्फोरस, गंधक, जिंक, बोरॉन, लोहा, मैग्नीज, तांबा आदि की जांच की जाती है। इसके इसके बाद रासायनिक खाद के प्रयोग का निर्धारण किया जाता है। इसके साथ ही समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए कंपोस्ट खाद, केंचुए की खाद, हरी खाद, राईजेबियम आदि भी जरूरत के अनुसार प्रयोग करने की सलाह किसानों को दी जाती है।
शासन को लगातार लिखे जा रहे पत्र
जिले में ब्लाक स्तर पर बनवाई गई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में अधिकारी- कर्मचारियों की तैनाती के लिए शासन को निरंतर लिखा पढ़ी जा रही है। जैसे ही इनकी पदस्थी होती है वैसे ही मिट्टी के नमूनों की जांच का काम शुरू हो जाएगा। -शिवराज सिंह यादव, उप संचालक, किसान कल्याण