केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी हैं आरोपी, आज हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई …
लखीमपुर खीरी का 22 साल पुराना प्रभात हत्याकांड….
लखीमपुर खीरी के 22 साल पुराने प्रभात गुप्ता हत्याकांड में आज हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अंतिम सुनवाई है। इस पर सभी की नजरें टिकी हैं। वजह है केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी इसमें मुख्य आरोपी हैं। सपा नेता प्रभात गुप्ता की हत्या 8 जुलाई 2000 को हुई थी। हालांकि, 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्र समेत सभी को निचली अदालत ने बरी कर दिया था।
निचली अदालत के फैसले के बाद परिवार हाईकोर्ट पहुंचा। 2004 से 2018 तक लखनऊ हाईकोर्ट में मामले में सुनवाई हुई है। 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस डीके सिंह की बेंच ने मार्च 2018 में आदेश सुरक्षित रख लिया। इसके बाद मामले में कोई भी सुनवाई नहीं हुई।
प्रभात के भाई राजीव गुप्ता की अपील के बाद 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को इस मामले की सुनवाई की अंतिम तारीख तय की है। यानी, आज वह दिन है।
अब प्रभात हत्याकांड की कहानी, उनके भाई की जुबानी-
प्रभात के भाई राजीव गुप्ता ने बताया, “हम लोग 4 भाई थे। प्रभात सबसे बड़े थे। तब उनकी उम्र 29 साल थी। वो सपा के युवा नेता थे। अजय मिश्रा उस समय भाजपा नेता और जिला सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष थे। अजय भी उस समय अपनी राजनीति चमकाना चाह रहे थे, लेकिन मेरे भाई प्रभात चुनौती बन गए थे।”
राजीव बताते हैं, “आज भी वो दिन याद है। तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुरा गांव में हम लोगों का घर था। 8 जुलाई 2000 को प्रभात घर से दुकान पर जा रहे थे। तभी अजय मिश्र टेनी अपने साथी शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा के साथ मौके पर पहुंचा। उसने मेरे भाई को रोका। कुछ अनबन हुई, उसके बाद गोली चली। पहली गोली अजय मिश्रा ने चलाई जो सीधे जाकर मेरे भाई की कनपटी पर लगी। दूसरी गोली सुभाष मामा ने चलाई जो सीने पर लगी। मेरे भाई सड़क पर गिर गए। उनकी मौके पर मौत हो गई।”
राजीव बताते हैं, “ये पूरी घटना मेरे छोटे भाई संजीव गुप्ता ने अपनी आंखों से देखी थी। मेरे पिता ने सभी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। मामला सीबीसीआईडी के पास पहुंचा। लेकिन कुछ हुआ नहीं। हम लोगों ने उस समय के मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से भी न्याय की गुहार लगाई थी। जिसके बाद मामले की जांच के लिए लखनऊ से एक विशेष टीम का गठन हुआ। फिर 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई थी। न्याय का इंतजार करते-करते मेरे पिता संतोष गुप्ता ने 2004 में दुनिया छोड़ दी। लेकिन हम लोगों का संघर्ष जारी रहा।”
राजीव गुप्ता ने कहा, “जब प्रभात की हत्या की गई थी, तब वो लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र नेता थे। समाजवादी युवाजन सभा के राज्य सचिव भी थे। प्रभात ने साल 2000 में जिला पंचायत चुनावों के लिए नामांकन भी किया था। अजय मिश्रा का भी क्षेत्र में राजनीतिक दबदबा था, लेकिन प्रभात की लोकप्रियता ज्यादा थी।”
प्रभात हत्याकांड की अब तक की टाइमलाइन–
- 8 जुलाई 2000 को प्रभात की गोली मार कर तिकुनिया में हत्या कर दी गई थी। FIR में अजय मिश्रा टेनी समेत 4 लोग नामजद हुए थे।
- 5 जनवरी 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज किया।
- 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्रा को अरेस्ट करने का ऑर्डर दिया।
- 25 जून 2001 को टेनी के सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट पर अजय मिश्रा को बीमार बताया गया।
- 26 जून को अजय को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई।
- 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्र समेत सभी आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए।
- साल 2004 से 12 मार्च 2018 तक यानी पूरे 14 साल तक लखनऊ हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई।
- 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने मार्च 2018 में आदेश सुरक्षित रख लिया। इसके बाद मामले में कोई भी सुनवाई नहीं हुई।
- 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को सुनवाई की अंतिम तारीख तय की है।