महंगाई की मार: रसोई गैस सिलिंडरों में बेतहाशा मूल्य वृद्धि से हर वर्ग परेशान, रीफिलिंग नहीं करा पा रहे गरीब परिवा

रसोई गैस सिलिंडरों में हुई बेतहाशा मूल्य वृद्धि से हर वर्ग परेशान है। महंगाई के चलते बड़ी संख्या में उपभोक्ता दूसरा सिलिंडर नहीं भरवा पा रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि उज्ज्वला योजना के एक चौथाई से भी कम तो सामान्य वर्ग के एक तिहाई से कम उपभोक्ता गैस की रीफिलिंग करा रहे हैं। यह लोग लकड़ी से चूल्हा बनाकर भोजन पकाने को मजबूर हैं।

एक तरफ केंद्र सरकार कार्बन उत्सर्जन को आगामी कुछ वर्षों में पूरी तरह शून्य करने की घोषणा कर उसे अमलीजामा पहनाने में जुटी है। सरकार ने तो इसकी समय सीमा भी निर्धारित कर दी है। इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उज्ज्वला गैस कनेक्शन लोगों को मुफ्त में दिया जा रहा है। हाल के चुनावों में भाजपा ने इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में भुनाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।

प्रचार के दौरान मुफ्त में गैस सिलिंडर मिला कि नहीं मंच से नेता जनता से हामी भी भरा रहे थे। भाजपाई बढ़े गर्व से कहते हैं कि उज्ज्वला योजना से गरीब को भी गैस सिलिंडर मिल गया। अब गरीब तबके के लोगों को चूल्हा नहीं फूंकना पड़ेगा। वे भी अब बिना धुआं के आसानी से गैस पर चाय, भोजन आदि कार्य बना सकेंगे।

उज्ज्वला कनेक्शन धारी तो दूर सामान्य गैस कनेक्शन के गरीब व मध्यम वर्ग के लोग भी गैस की रीफिलिंग कराने से मुंह मोड़ रहे हैं। गृहणियों ने चाय व भोजन आदि का कार्य करने के लिए पारंपरिक लकड़ी, उपली का प्रयोग करना शुरू कर दिया हैं। इसकी वजह इन दिनों गैस सिलिंडर के दामों में हुई बेतहाशा मूल्य वृद्धि है। हाल ही में 50 रुपये हुई मूल्य वृद्धि के बाद अब घरेलू गैस की कीमत 1054 रुपये हो गई है। उसमें भी मिलने वाली सब्सिडी बंद हो गई है। ऐसे में उपभोक्ता करे तो क्या करें।

गरीब मध्यम वर्ग के लोग काफी परेशान हैं। कुछ गृहणियां तो चाय नाश्ते के लिए गांवों में गैस का उपयोग कर रही हैं। भोजन बनाने के लिए लकड़ी व उपली आदि का प्रयोग कर रही हैं। कुछ ने तो गैस रीफिलिंग कराना एकदम बंद कर दिया है। अमेठी के ब्लॉक क्षेत्र के रामगंज स्थित शशांक गैस सर्विस की स्थिति देखने से अंदाजा लगाया जा सकता है की कितने उपभोक्ता गैस की रीफिलिंग करा रहे हैं।

आलम यह है की उज्ज्वला योजना के महज 20 प्रतिशत उपभोक्ता रीफिलिंग करा रहे हैं, वहीं सामान्य गैस कनेक्शन के एक तिहाई से कम उपभोक्ता रीफिलिंग करा रहे हैं। सभी को मिलाकर हर माह रीफिलिंग कराने वालों की संख्या पिछले सालों की तुलना में घटती जा रही है। घरेलू गैस में आए दिन हो रही मूल्य वृद्धि को लेकर गृहणियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।

मंजू सिंह

 

छलका गृहणियों का दर्द
घोरहा की रहने वाली मंजू सिंह का गुस्सा घरेलू गैस सिलिंडर के दामों में आए दिन हो रही मूल्य वृद्धि को लेकर सातवें आसमान पर है। वे कहती हैं कि घरेलू गैस इतना महंगा हो गया है की इसका उपयोग भोजन बनाने में नहीं किया जा सकता है। अब मजबूरन चूल्हे पर भोजन बनाना पड़ रहा है। लंबा परिवार होने की वजह से महीने में तीन सिलिंडर लगता है। इसके साथ गांव घर गृहस्थी में तमाम खर्च रहता है। वे वर्तमान सरकारी तंत्र की लचर व्यवस्था और मनमानी कार्यप्रणाली को कोसते हुए कहती हैं की सरकार को आम लोगों की जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए।
अमरावती
बेलसौना निवासी अमरावती ने शशांक गैस सर्विस रामगंज से सामान्य गैस कनेक्शन लिया है। वह भी आए दिन घरेलू गैस सिलिंडर में हो रही मूल्य वृद्धि को लेकर व्यथित हैं। मूल्य वृद्धि की वजह से रीफिलिंग नहीं करा रही हैं। कहती हैं की एक तरफ सरकार की किसी महिला को चूल्हा न फूंकना पड़े के उद्देश्य से उज्ज्वला गैस कनेक्शन मुफ्त में दिया। दूसरी तरफ महंगाई की आग में धकेल दिया है। घर में तमाम खर्च रहता है।
अनीता
रायपुर निवासी अनीता भी गैस की कीमतें बढने को लेकर चिंतित हैं। सरकार को कोसते हुए कहती हैं की गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं। गैस आम लोगों की जरूरतों में एक है। इसके बढ़ते दाम पर सरकार को अंकुश लगाना चाहिए। नहीं तो कार्बन उत्सर्जन का नेट शून्य करने की सरकार की मंशा पर पानी तो फिरेगा ही साथ ही महिलाओं को चूल्हे पर खाना बनाना पड़ेगा।

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