चार दोस्तों के यूनीक स्टार्टअप की कहानी:​​​​ … कॉर्पोरेट जॉब के साथ शुरू किया टी स्टॉल; चाय के साथ मिलती हैं पढ़ने के लिए किताबें

आगरा के चार दोस्तों ने अच्छी नौकरी के साथ स्टार्टअप करने के लिए चाय के साथ यूनीक एक्सपेरिमेंट करते हुए टी बुक स्टॉल शुरू किया है। यहां व्यक्ति अच्छी चाय के साथ अच्छी किताबें पढ़ सकता है। उनका कहना है कि चाय को वैल्यू देने के लिए यह काम शुरू किया है। चाय के साथ गुटखा और सिगरेट की जगह लाइब्रेरी होना चाहिए।

किताबों के शौकीन चाय स्टॉल पर गुजारते हैं समय।
किताबों के शौकीन चाय स्टॉल पर गुजारते हैं समय।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भले ही चाय की अलग वैल्यू हो गई है, पर आज भी बच्चे घर पर बता कर नुक्कड़ की चाय की दुकान नहीं जा सकते हैं। परिवार वाले चाय की दुकान पर बैठने को समय की बर्बादी मानते हैं। इस सोच को बदलने के लिए आगरा के चार दोस्तों अमित सक्सेना, राहुल वर्मा, दीपक भदौरिया और लोकेंद्र ने चार साल की तैयारी के बाद 8 मई से आगरा के आवास विकास क्षेत्र में करकुंज रोड पर पानी की टंकी के पास ‘Tea Know + Age’ नाम से चाय का स्टॉल शुरू किया है।

लोगों को नया एक्सपेरिमेंट पसंद आ रहा है।
लोगों को नया एक्सपेरिमेंट पसंद आ रहा है।

डेढ़ लाख रुपए से शुरू किया गया स्टॉल

इन दोस्तों ने आपस में मिलकर डेढ़ लाख रुपए से इस स्टॉल को शुरू किया है। रोजाना ऑफिस की ड्यूटी खत्म कर शाम 6 से 10 बजे तक और रविवार को सुबह 10 से रात 10 बजे तक इनका स्टॉल खुलता है। चाय की दुकान में 10 से 19 रुपए तक की चाय मिलती है। इसके 5 अलग-अलग फ्लेवर हैं। इसके साथ ही 24 रुपए प्रति कप के दाम में आठ फ्लेवर की कॉफी मिलती हैं। स्टॉल पर अभी 200 से ज्यादा किताबें हैं, जो कोई भी मुफ्त में आकर पढ़ सकता है। इसके लिए उसे चाय खरीदना भी जरूरी नहीं है। साथ ही कोई टाइम लिमिट भी नहीं है। स्टॉल का पीएम स्वावलम्बन योजना के तहत नगर निगम में रजिस्ट्रेशन भी करवाया गया है।

खाली होने पर चारों दोस्त खुद भी पढ़ने लगते हैं किताबें।
खाली होने पर चारों दोस्त खुद भी पढ़ने लगते हैं किताबें।

ऐसे शुरू हुई कहानी

फ्रेंड्स ग्रुप के लीडर अमित सक्सेना ने बताया कि चार साल पहले उनकी जॉब छूट गई थी। शू एक्सपोर्ट का काम शुरू किया, तो घाटा हो गया। फिर एग्रीकल्चर क्षेत्र में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का काम शुरू किया, लेकिन वहां भी घाटा हो गया। इसके बाद तनाव बढ़ गया। किसी ने सुझाव दिया कि खाली समय मे किताब पढ़कर नालेज हासिल करो। ‘7 हैबिट’ नामक किताब पढ़ी, तो उसमें काफी आनंद आया। फिर घर का टीवी बंद करवा दिया। खुद और पत्नी दोनों ने पढ़ना शुरू किया। तीनों दोस्त भी पढ़ने के लिए किताब ले जाते थे। हर महीने 5 किताबें जरूर खरीद कर पढ़ते हैं। इस कारण किताबें इकट्ठा हो गईं।

ये लोग 16 तरह की चाय और आठ किस्म की कॉफी बनाते हैं।
ये लोग 16 तरह की चाय और आठ किस्म की कॉफी बनाते हैं।

ऐसे आया आइडिया

अमित सक्सेना ने बताया कि किताब पढ़ने के साथ चाय पीने में बड़ा अच्छा लगता था। इसके बाद हम दोस्तों ने इसे स्टार्टअप करने की योजना बनाई। किताब से सीधा फिजिकल टच होता है और यह कभी बोर नहीं करती हैं। कितना भी मोबाइल पर पढ़ लो, पर किताब के साथ फिजिकल टच कुछ अलग ही फील देता है।

आज हर युवा रोजाना लगभग एक घंटा चाय पर देता है। इससे उसका वर्क स्ट्रेस कम तो होता है, पर माइंड एक जगह नहीं लगता है। अलग-अलग चलता रहता है। हमने सोचा कि चाय की दुकान पर जब गुटखा-सिगरेट हो सकता है, तो लाइब्रेरी क्यों नहीं हो सकती है। चाय का स्टैंडर्ड बदलने के विचार से हमने यह काम शुरू किया।

इनके स्टॉल पर 200 किताबें मौजूद हैं।
इनके स्टॉल पर 200 किताबें मौजूद हैं।

लोगों को मुफ्त पिला कर सीखा चाय बनाना

चाय बनाने और पिलाने के दौरान बढ़िया पैंट-शर्ट और जूतों में चारों स्मार्ट कॉर्पोरेट वर्कर लोगों को सर्व करते हैं। उन्हें इस काम से खुशी होती है। टीम मेंबर राहुल वर्मा ने बताया कि हम लोगों ने पहले शहर की नामी चाय की दुकानों, बड़े रेस्टोरेंट्स पर जाकर स्टडी किया। चाय के फ्लेवर्स की जानकारी की। फिर दोस्तों और परिवार वालों को चाय बना-बना कर पिलाई और फीडबैक लिए। आज हम चारों में से कोई भी हमारे मेन्यू में शामिल सभी तरह की चाय बना लेता है। साथ ही आठों तरह की कॉफी भी बना लेता है। कस्टमर को सभी के हाथ की बनाई चाय में एक जैसा स्वाद मिलेगा। हमारे यहां की नॉर्मल चाय के साथ, बंबई मसाला चाय, चॉकलेट चाय लोगों को बहुत पसंद आती है।

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