MCD … 22 मई से दिल्ली में एक नगर निगम, गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना, पढ़ें- 1958 से अब तक का इतिहास

2012 में दिल्ली के तीनों नगर निगमों का गठन हुआ। इसके साथ ही इनके चुनाव हुए और भाजपा को तीनों निगमों में जीत हासिल हुई। इसके बाद 2017 में तीनों निगमों का परिसीमन हुआ और फिर चुनाव हुए। एक बार फिर से भाजपा निगम की सत्ता में आई।

दिल्ली में 22 मई से एक नगर निगम होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को तीनों निगमों को एक करने की अधिसूचना जारी कर दी है। अब दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम के अनुसार निगम की पहली बैठक होने तक नगर निकाय के कामकाज को संभालने के लिए जल्द केंद्र सरकार एक स्पेशल अधिकारी की नियुक्ति करेगी। दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद निगम सदस्यों और फिर महापौर की निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक स्पेशल अफसर के कंधों पर  निकाय के कामकाज की जिम्मेदारी होगी। दक्षिणी निगम के मौजूदा आयुक्त ज्ञानेश भारती और उत्तरी निगम के मौजूदा आयुक्त संजय गोयल में से भी कोई एकीकृत दिल्ली नगर निगम का स्पेशल ऑफिसर हो सकते हैं।

राजधानी में भाजपा शासित तीनों निगम तीन दिन बाद भंग हो जाएंगे। साथ ही दिल्ली नगर निगम अधिनियम (संशोधित) 2022 राजधानी में प्रभावी रूप से लागू हो जाएगा। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। उत्तरी निगम का कार्यकाल बृहस्पतिवार को और पूर्वी दिल्ली नगर निगम का कार्यकाल 22 मई को एकीकरण से पहले समाप्त हो जाएगा।

सामान्य रूप से जारी रहेंगी निगम की सेवाएं
निगम की मूलभूत सेवाएं, जैसे कि स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा, संपत्ति कर इकट्ठा करने, लाइसेंस देने, विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी कार्य पहले की तरह जारी रहेंगे। जन मानस तक इन सेवाओं का लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों पर होगी।
नीतिगत फैसले नहीं लिए जाएंगे

बुधवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की मुख्य और जोनल समितियां भंग हो गईं। इसी तरह बृहस्पतिवार से उत्तरी निगम की मुख्य व जोनल स्थायी समितियां भंग हो जाएंगी, जबकि 22 मई को पूर्वी निगम की स्थायी समितियां भंग होनेे के साथ ही दिल्ली नगर निगम एक हो जाएगा। इस दौरान अधिकारियों के पास काम काज की जिम्मेदारी जरूर होगी, लेकिन नीतिगत फैसले लेने का हक नहीं होगा।
संसद से मिल चुकी थी पहले मंजूरी
दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम को देश के संसद से मंजूरी मिल गई है। 30 मार्च को लोकसभा और पांच अप्रैल को राज्यसभा में इसे अनुमोदन मिल गया था। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से 18 अप्रैल को इसे मंजूरी मिली थी। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 मई से इसे लागू कर दिया है।

250 वार्ड और एक महापौर होगा
दिल्ली के तीनों नगर निगम को मिलाकर राजधानी क्षेत्र में अभी कुल 272 वार्ड और तीन महापौर होते थे। लेकिन एकीकृत दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड होंगे और एक महापौर के जिम्मे पूरी दिल्ली होगी।

तय होगा दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय

एकीकृत दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय कहां होगा, यह भी तय होना बाकी है। वैसे तो मिंटो रोड पर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर को दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय माना जा सकता है। क्योंकि यहां पर उत्तरी और दक्षिणी निगम का मुख्यालय स्थित है। लेकिन पूर्वी निगम का मुख्यालय पटपड़गंज में स्थित है। अब इसके बाद तय होगा कि दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय सिविक सेंटर ही होगा या कहीं और।
एकीकृत दिल्ली नगर निगम में चलता रहेगा बुलडोजर

दिल्ली की तीनों नगर निगम 22 मई से एक हो जाएंगे। ऐसे में दिल्ली के लोगों के मन में एक सवाल स्वाभाविक तौर रूप से हो सकता है, कि क्या बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहेगी या फिर बंद हो जाएगी। दिल्ली वासियों के लिए जानना आवश्यक है। दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारियों के मुताबिक अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई नगर निगम की नियमित कार्यक्रम है। यह साल भर चलता रहता है। आगे भी निगम को जहां भी अवैध रूप से अतिक्रमण दिखाई देगा, वह कार्रवाई जारी रखेगी।
अप्रैल 1958 में हुई दिल्ली नगर निगम की स्थापना

भारतीय संसद की मंजूरी से सात अप्रैल 1958 को दिल्ली नगर निगम की स्थापना हुई। पुरानी दिल्ली के टाउन हॉल में इसका मुख्यालय बनाया गया, जिसे इंस्टीट्यूट बिल्डिंग कहा जाता था। उस समय पेयजल और सीवेज, बिजली और परिवहन की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम के पास होती थी। दिल्ली की पहली महापौर अरुणा आसफ अली चुनी गई थीं। 1993 में दिल्ली नगर निगम संशोधित अधिनियम 1993 में विस्तृत संशोधन किया गया। निगम की संरचना, कार्यों, नियंत्रण व प्रशासन में बदलाव किया गया। पार्षदों की संख्या 124 कर दी गई।
2011 में दिल्ली में तीन निगम हुए
2011 में दिल्ली नगर निगम में संशोधन करते हुए इसे तीन निगमों, उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के रूप में बांट दिया गया। उत्तरी दिल्ली में छह, दक्षिणी निगम में चार और पूर्वी निगम में दो जोन बनाए गए। इस संशोधन के बाद निगम के कई नीतिगत अधिकार दिल्ली सरकार के अधीन आ गए।

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