हैदराबाद एनकाउंटर को SC जांच कमीशन ने बताया फेक …. दिशा रेप केस में पुलिस ने किया था आरोपियों का एनउकाउंटर, अब हो सकती है कार्रवाई

तेलंगाना के हैदराबाद में हुए दिशा रेप एंड मर्डर केस में आरोपियों के एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट के कमीशन ने फर्जी बताया है। साथ ही मामले में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमे की सिफारिश की है। जांच करने वाले सिरपूरकर कमीशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिशा रेप केस में कथित चारों आरोपियों का फेक एनकाउंटर किया गया था।

जांच कमीशन में ये शामिल
रेप की वारदात के बाद आरोपियों के एनकाउंटर पर सवाल उठे थे। इसके बाद कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज, जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में पैनल बनाकर जांच करने का आदेश दिया था। उनके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रेखा बालदोता और CBI के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन भी इस कमीशन में शामिल थे।

दिशा एनकाउंटर मामला

हैदराबाद के शादनगर के पास 6 दिसंबर 2019 को एनकाउंटर हुआ था।
हैदराबाद के शादनगर के पास 6 दिसंबर 2019 को एनकाउंटर हुआ था।

हैदराबाद के पास शमशाबाद में 27 नवंबर 2019 को टू-व्हीलर का टायर पंक्चर होने के बाद एक टोल प्लाजा के पास इंतजार कर रही 26 वर्षीय वेटरनरी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। डॉक्टर का जला हुआ शव अगले दिन सुबह मिला था।

ये सभी ट्रक ड्राइवर और क्लीनर थे, जिन्होंने शराब पीने के बाद 7 घंटे तक डॉक्टर के साथ दरिंदगी की थी। इसके बाद पीड़ित को शादनगर के बाहरी इलाके में जला दिया था। इस मामले की देशभर में आलोचना हुई थी। इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसी साल 6 दिसंबर को शादनगर के पास अपराध स्थल पर एनकाउंटर में चारों आरोपी मारे गए थे। इसे ही दिशा एनकाउंटर कहा जाता है।

ये आरोपी थे शामिल
दरअसल, पीड़िता की पहचान उजागर नहीं हो इसलिए पुलिस ने उसे दिशा नाम दिया था। आरोपियों में मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ अहमद, जोलू शिवा, चिंताकुंतला चेन्नाकेशवुलु, जोलू नवीन शामिल थे आरिफ की उम्र 26 साल थी, जबकि बाकी आरोपियों की उम्र 20 साल बताई गई थी।

पुलिस का दावा
पुलिस ने दावा किया था कि सीन रिक्रिएट करने के लिए वह आरोपियों को लेकर मौके पर पहुंची थी। इसी बीच आरोपी उनके हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगे जिसके कारण बचाव में ये एनकाउंटर हुआ। इस घटना ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के गुस्से को भड़का दिया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पुलिस कमिश्नर सज्जनार के मुताबिक, एनकाउंटर का पूरा वाकया
आरोपी हमारी हिरासत में थे। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि हत्या के बाद उन्होंने झाड़ियों में डॉक्टर का मोबाइल फोन फेंक दिया था। इसके बाद शुक्रवार (6 दिसंबर) सुबह 5:45 बजे चारों आरोपियों को उसी जगह लाया गया, जहां डॉक्टर का शव जलाया गया था। पुलिस वहां क्राइम सीन रीक्रिएट करने नहीं, बल्कि पीड़ित का मोबाइल फोन ढूंढने गई थी। आरोपी एक बस में थे। उनके साथ 10 पुलिसकर्मी थे। मौके पर हम पीड़ित का फोन और अन्य सामान तलाश रहे थे, तभी आरोपियों ने पहले डंडों-पत्थरों से पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया। इसके बाद दो आरोपियों आरिफ और चिंताकुंटा ने हमारे दो अफसरों के हथियार छीन लिए और फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस पार्टी ने संयम बरता। उन्हें बार-बार सरेंडर के लिए कहा। लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद जवाबी फायरिंग हुई। 15 मिनट बाद जब फायरिंग थमी, तब पुलिसकर्मियों ने देखा तो आरोपियों की मौत हो चुकी थी। उन्हें गोलियां लगी थीं। यह सबकुछ सुबह 5:45 बजे से 6:15 बजे के बीच हुआ। हमने मौके से डॉक्टर का मोबाइल फोन, पावर बैंक और रिस्ट वॉच बरामद की है।’

घटनास्थल पर लगे थे डीसीपी-एसीपी जिंदाबाद के नारे

पुलिस ने जिस जगह चारों आरोपियों का एनकाउंटर किया था, वहां भारी भीड़ जुट गई थी। लोगों ने डीसीपी-एसीपी जिंदाबाद और भारत माता की जय के नारे लगाए थे। साथ ही लोगों ने पुलिसवालों पर फूल बरसाए, तो सज्जनार की तस्वीरों को दूध से नहलाया। तेलंगाना के कानून मंत्री ए इंद्राकरण रेड्डी ने कहा- भगवान ने आरोपियों को कानून से पहले सजा दे दी।

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