हर साल 10 प्रतिशत केस हो जाते हैं फेल
अंचलभर के आर्थो सर्जन को देश के अलग- अलग शहरों से बुलाए गए विषय विशेषज्ञों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा
– जीआर मेडिकल कालेज की पहल, डाक्टरों को विषय विशेषज्ञ देंगे प्रशिक्षण
ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल सहित शहर के 10 निजी अस्पतालों में आर्थो प्लास्टी के आपरेशन किए जाते हैं, पर आश्चर्य की बात यह है कि प्रतिवर्ष आर्थो प्लास्टी के 10 फीसद मामले फेल हो जाते हैं। हड्डी ठीक से नहीं जुड़ पाती है, टांके पक जाते हैं या फिर आपरेशन में चूक होने से फेल हो जाते हैं।इिन समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए जीआर मेडिकल कालेज ने एक नई पहल की है। मेडिकल कालेज की ओर से प्रतिवर्ष एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें अंचलभर के आर्थो सर्जन को देश के अलग- अलग शहरों से बुलाए गए विषय विशेषज्ञों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। विषय विशेषज्ञ नई-नई तकनीक के बारे में सिखाएंगे भी और आपरेशन करना भी बताएंगे भी।़क्यिा होती है आर्थो प्लास्टी : आर्थो प्लास्टी एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसमें कोई रोगग्रस्त या क्षतिग्रस्त जोड़ को फिर से ठीक किया जाता है या उसे हटा दिया जाता है और उसकी जगह पर प्लास्टिक, धातु या सेरामिक का अंग प्रतिस्थापित किया जाता है, जिसे प्रोस्थेसिस कहते हैं। यह सर्जरी तब ही की जाती है जब प्रभावित जोड़ को बिना सर्जरी के विकल्पों (फिजिकल थेरेपी और दवाओं) से ठीक नहीं किया जा सकता है। कंधे, कूल्हे, कोहनी और घुटने सहित विभिन्न जोड़ों में आर्थो प्लास्टी की जा सकती है। ़ि
बोन माडल पर आपरेशन करना सिखाया जाएगा
जयारोग्य अस्पताल के आर्थो विभाग के विभागाध्यक्ष डा.आरएस बाजौरिया का कहना है कि बोन माडल पर आर्थो प्लास्टी सिखाई जाएगी। जिसमें आपरेशन के लिए चीरा कितना बड़ा या छोटा लगाना है, ज्वाइंट को खोलना, जोड़ना, नसों को सुरक्षित रखना, टांके लगाने में सावधानी बरतना, आपरेशन थिएटर में कौन से उपकरण की उपलब्धता हो तथा उसका संधारण किस तरह से रखा जाए, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा शून्य हो। इन सभी बातों के बारे में देश के अलग-अलग कोने से आने वाले विशेषज्ञ डाक्टर बारीकियां सिखाएंगे। डा.बाजौरिया का कहना है कि अस्पताल में काम करने वाले पीजी डाक्टर व निजी अस्पताल में काम करने वाले डाक्टरों को भी नई तकनीक व बारीकियों की जानकारी नहीं होती है। इसलिए सावधानी बरतने के बाद भी आपरेशन फेल हो जाते हैं।
स्टेरायड के सेवन से युवाओं में बढ़ी जोड़ संबंधी परेशानी
जेएएच अधीक्षक डा.आरकेएस धाकड़ का कहना है कि बुजुर्गों से अधिक युवाओं में जोड़ प्रत्यारोपण की शिकायत बढ़ी है। उसका कारण युवाओं में स्फूर्ति बढ़ाने, ताकत बढ़ाने और शुडोल शारीरिक सोष्ठव के लिए प्रोटीन पाउडर का सेवन किया जा रहा है। जिसमें स्टेरायड की उपलब्धता होती है। जिसका अनियमित सेवन जोड़ संबंधी परेशानी खड़ी करता है। असल में स्टेरायड जोड़ तक खून की सप्लाई देने वाली नसों में जमा हो जाता है,जिससे खून का प्रसार बंद हो जाता है। इस कारण जोड़ खराब होने लगते हैं।