– सात मंजिल की स्वीकृति होने के बाद भी नौ मंजिल बना दिया भवन

ग्वालियर । जयरोग्य चिकित्सालय के एक हजार बिस्तर के अस्पताल परियोजना में शासन को लगभग 41 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले निलंबित संभागीय परियोजना यंत्री प्रदीप अष्टपुत्रे सहित नौ इंजीनियरों को आरोप पत्र दिए गए हैं। परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआइयू) के इंजीनियरों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए सात मंजिला भवन की प्रशासकीय स्वीकृति होने के बावजूद अतिरिक्त दो मंजिल तैयार करा दीं। इससे शासन पर 40 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आया, जबकि पुराना भवन तोड़कर मलबा बेचने पर राजस्व मिलने की बजाय ठेकेदार को तुड़ाई का भुगतान और कर दिया। जांच में यह प्रमाणित होने पर इंजीनियरों को आरोप पत्र दिए गए हैं।

परियोजना यंत्री ने भी उठाया था भ्रष्टाचार का मामला

ऩाएक हजार बिस्तर के अस्पताल का विवादों से शुरू से नाता रहा है। पूर्व में एक हजार बिस्तर के अस्पताल में 3 करोड़ 85 लाख रुपये के घोटाले का आरोप परियोजना यंत्री पीएन रायपुरिया ने लगाया था। उनके आरोपों की जांच अतिरिक्त परियोजना संचालक बीके आरक ने की थी, लेकिन आरोपों को नकारते हुए अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी। वहीं जिन आरोपों को अतिरिक्त परियोजना संचालक ने नकारा था, वह अब सच साबित हो गए हैं।

इन्हें दिए गए आरोप पत्र

1. संजय मस्के, तत्कालीन प्रभारी अतिरिक्त परियोजना संचालक, पीआइयू ग्वालियर

2. बीसी टेंटवाल, तत्कालीन प्रभारी अतिरिक्त परियोजना संचालक, पीआइयू ग्वालियर

3. प्रदीप अष्टपुत्रे, प्रभारी संभागीय परियोजना यंत्री, पीआइयू ग्वालियर

4. धर्मेंद्र यादव, तत्कालीन प्रभारी संभागीय परियोजना यंत्री, पीआइयू दतिया

5. एनएस धाकड़, तत्कालीन प्रभारी परियोजना यंत्री

6. पीएन रायपुरिया, तत्कालीन प्रभारी परियोजना यंत्री, पीआइयू ग्वालियर

7.प्रवीण नामदेव, सहायक परियोजना यंत्री, पीआइयू ग्वालियर

8. उमेश गोयल, तत्कालीन सहायक परियोजना यंत्री पीआइयू ग्वालियर

9. एनएस चौधरी, सहायक यंत्री पीआइयू ग्वालियर।

तमाम निरीक्षणों में नजर नहीं आईं अतिरिक्त दो मंजिल

ऩाप्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान कई बार संयुक्त परियोजना संचालक बीसी टेंटवाल, अतिरिक्त परियोजना संचालक बीके आरक ने निरीक्षण किया। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं अन्य मंत्रियों ने जब इस प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया, तब सभी अधिकारी मौजूद थे, लेकिन इनमें से किसी को भी सात की जगह नौ मंजिल नजर नहीं आईं। साथ ही जब ठेकेदार को भुगतान किए गए, उस समय भी किसी भी अधिकारी ने भुगतान पर रोक नहीं लगाई।