उत्तराखंड हादसे की वजह ड्राइवर की झपकी…चश्मदीद …?

पीछे चल रही बोलेरो के ड्राइवर ने बताया- बस मेरे सामने खाई में गिरी…

उत्तराखंड में रविवार रात तीर्थयात्रियों से भरी बस खाई में गिरने से 26 लोगों की मौत हो गई। इनमें मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के 25 लोग थे। उस बस के पीछे (मात्र 20 मीटर दूर) चलने वाला बोलेरो ड्राइवर पहला चश्मदीद हैं, जिसने पूरा हादसा देखा। उन्होंने सबसे पहले पुलिस को फोन कर सूचना दी।

पढ़िए बोलेरो ड्राइवर ओम प्रकाश डोबरियाल की जुबानी हादसे की पूरी कहानी…

रविवार शाम के करीब 6.43 बजे थे। मैं तीर्थयात्रियों की बस से मात्र 25 मीटर पीछे था। यमुनोत्री की ओर से ट्रैफिक बिल्कुल नहीं था। रास्ता क्लियर था। बस की रफ्तार करीब 20-25 किमी के बीच रही होगी। यह मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मेरी गाड़ी की स्पीड भी इसी के आसपास थी। बस के पीछे सिर्फ मेरी ही गाड़ी थी। शाम करीब 6 बजे तक दामता आरटीओ चेक पोस्ट के पहले तक मैं उस बस के आगे चल रहा था। आरटीओ चेक पोस्ट पर मैं और तीर्थयात्रियों की बस के ड्राइवर ने डॉक्यूमेंट एक साथ चेक कराए। चेक पोस्ट से मेरी गाड़ी के रवाना होने के 2 मिनट पहले बस यमुनोत्री के लिए रवाना हो गई।

अब तक सबकुछ सामान्य था। आगे बस चल रही थी और पीछे मेरी गाड़ी। अभी दामता आरटीओ चेक पोस्ट से महज 3 से 4 किलोमीटर ही चले थे। अचानक से ड्राइवर ने बस को सड़क से नीचे यानी कच्चे हिस्से में उतार दिया, वह भी मोड़ के पास। इस मोड़ पर सड़क करीब 14 से 16 फीट चौड़ी है। इसमें 8 फीट चौड़ी सड़क ही पक्की (डामर) है। मुझे लगा ड्राइवर बस को रोकना चाहता है। जब तक मैं कुछ समझ पाता, तब तक बस सड़क की बाईं ओर बनी खाई में गिर गई। बस गिरती देख मैंने अपनी गाड़ी रोक दी। सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस के डायल 100 पर कॉल किया। नंबर बिजी आया तो 6.45 बजे एंबुलेंस 108 को कॉल कर घटना की सूचना दी।

उत्तराखंड में रविवार रात तीर्थयात्रियों से भरी बस खाई में गिर गई। इसमें 26 की मौत हो गई।
उत्तराखंड में रविवार रात तीर्थयात्रियों से भरी बस खाई में गिर गई। इसमें 26 की मौत हो गई।

सड़क पर सन्नाटा था। न सामने से कोई गाड़ी आ रही थी और न ही मेरी गाड़ी के पीछे कोई गाड़ी थी। आगे चल रही तीर्थयात्रियों की बस गहरी खाई में गिरी हुई थी। हादसे को देखकर यह कह सकता हूं कि बस खाई में ड्राइवर को नींद की झपकी लगने से या बस की स्टीयरिंग फेल होने के कारण गिरी। सामने से आ रही बस को रास्ता देने और ओवरटेक करने के दौरान हादसा होने की बात झूठी हैं।

इमरजेंसी एंबुलेंस 108 को कॉल करने के बाद करीब 30 मिनट तक घटनास्थल पर रुका। इस दौरान यहां से गुजर रहे एक पार्टी के विधायक भी पहुंचे। मैं उन्हें नहीं जानता। एंबुलेंस के कॉल सेंटर पर कॉल करने के करीब 25 मिनट बाद पुलिस आ गई। इसके बाद मैंने अपना आगे का सफर शुरू किया।

मेडिकल टेक्नीशियन बोली- अब तक का सबसे बड़ा हादसा
बस हादसे की घायल महिला का इलाज करने वाली इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन रिषिका ने बताया कि 5 जून की शाम 6.45 बजे एंबुलेंस कंट्रोल रूम से इमरजेंसी कॉल आया। कहा गया- उत्तरकाशी की रिकाऊ खड्‌ड में यात्रियों से भरी बस गिर गई है। कई लोग जख्मी हुए हैं। तत्काल पहुंचे। मेरी ड्यूटी उत्तरकाशी जिले के नैनबाग पॉइंट पर तैनात एंबुलेंस में थी। यहां से घटनास्थल करीब 25 किलोमीटर दूर था। EMT कुलदीप और एंबुलेंस के ड्राइवर के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हुई। घटनास्थल तक पहुंचने में करीब 40 मिनट लगे। वजह सड़क पर टर्निंग का ज्यादा होना था। रिषिका कहती हैं कि दामता से नैनबाग के बीच बस के खाई में गिरने का अब तक का सबसे बड़ा हादसा है।

देहरादून की इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन रिषिका ने बताया कि 5 जून की शाम 6.45 बजे एंबुलेंस कंट्रोल रूम से इमरजेंसी कॉल आया। हम तत्काल एंबुलेंस लेकर निकल गए।
देहरादून की इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन रिषिका ने बताया कि 5 जून की शाम 6.45 बजे एंबुलेंस कंट्रोल रूम से इमरजेंसी कॉल आया। हम तत्काल एंबुलेंस लेकर निकल गए।

घायलों को निकालने मैं खाई में उतरी
रिषिका के मुताबिक बस सड़क से करीब 400 मीटर नीचे खाई में गिरी हुई थी। हादसे के घायल अलग-अलग गिरे हुए थे। शाम के साढ़े सात बज चुके थे। अंधेरा तेजी से बढ़ रहा था। घायलों को निकालने मैं खाई में उतरी। यहां पहले से मौजूद पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीम एक घायल महिला को लेकर आए। महिला के सिर, हाथ, पैर में चोट लगी थी। आंख के ऊपर से खून बह रहा था। महिला का ब्लड प्रेशर जांचने में नहीं मिल रहा था। ऑक्सीजन लेवल डाउन था। तत्काल महिला को ऑक्सीजन लगाई। पुलिस और आपदा प्रबंधन टीम की मदद से सड़क पर लाएं। यहां महिला को जरूरी दवाएं देकर स्टेबल किया और दामता स्थित सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद एक-एक कर एंबुलेंस आती और जाती रहीं।

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