छत्तीसगढ़: मध्यान्ह भोजन में अंडे को शामिल करने पर हो रहा विरोध, सियासत हुई तेज

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मध्यान्ह भोजन और बच्चों के पोषण आहार में हफ्ते में 2 दिन अंडे देने के फैसले को लेकर सियासत तेज हो गई है. माध्यान्ह भोजन और आंगनबाड़ी के पोषण आहार में अंडे का कबीर पंथी समाज विरोध कर रहा है. समाज का आरोप है कि सरकार मांसाहार को बढ़ावा दे रही है, जिसे कबीर पंथी समुदाय बर्दास्त नही करेंगे. कबीर पंथी समुदाय ने 16 जुलाई तक सरकार को अपना फैसला नही बदलने पर नेशनल हाईवे और रेल रोकने की चेतावनी दी है. समाज का कहना है कि अंडे से ज्यादा प्रोटीन तो सोयाबीन में होता है.

कबीर पंथी समाज के विरोध का भाजपा ने समर्थन किया है. पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कबीर पंथ समाज की भावना धार्मिक आस्था से जुड़ी है. सरकार को सभी वर्ग को देखना चाहिये. कोई भी फैसला सभी से बात करने के बाद ही लेना चाहिये. कबीर पंथी समाज के समर्थन में भाजपा के आने के बाद कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने माध्यान्ह भोजन और पोषण आहार में अंडे को हफ्ते में 2 दिन की जगह 3 दिन करने की मांग की है.

कांग्रेस विधायकों का कहना है प्रदेश में 38 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, ऐसे में अंडे का विरोध नही होना चाहिये. पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का कहना है कि कुपोषण से बच्चों को बाहर लाने के लिए सरकार का यह फैसला अच्छा है. पिछली सरकार को ऐसा फैसला ले लेना था. बच्चों से जुड़े इस फैसले का राजनैतिक विरोध नही होना चाहिये. अंडे का वितरण वैकल्पिक है, जो बच्चे नही खाना चाहते तो उनके लिये गुड़ की चिक्की, महुआ के लड्डू देने की व्यवस्था है. बहरहाल, सरकार राजनीतिक विरोध के बाद सरकार अपने फैसले पर अडिग हैं लेकिन कबीर पंथ समाज को सरकार नाराज भी नही करना चाहती है. ऐसे में सरकार अंडे देने की योजना को बस्तर और सरगुजा से शुरू कर सकती है.

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