आजमगढ़-रामपुर उपचुनाव में क्या होगा, आंकड़ों से जानिए भाजपा, सपा और बसपा में कौन ज्यादा मजबूत?
आजमगढ़ से सपा मुखिया अखिलेश यादव तो रामपुर से आजम खां सांसद चुने गए थे। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद दोनों ने अपनी लोकसभा सीटें छोड़ दी थीं।
अब एक तरफ सपा के सामने दोनों सीटों को फिर से जीतने की चुनौती है तो दूसरी ओर सत्ताधारी भाजपा इन सीटों पर जीत दर्ज करने की पूरी कोशिश कर रही है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आजमगढ़ से अपना प्रत्याशी उतारा है, हालांकि रामपुर उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है।
अब देखना दिलचस्प है कि इस उपचुनाव में कौन जीत हासिल करता है? क्या सपा अपनी सीटों को बरकरार रखने में कामयाब होगी या भाजपा पड़ेगी भारी? दोनों लोकसभा क्षेत्रों के आंकड़े क्या कहते हैं? आइए जानते हैं…

23 जून को देश की तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। जिन तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर, जबकि पंजाब की संगरूर सीट है। आजमगढ़ सीट से 2019 में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चुनाव जीता था। रामपुर से सपा के दिग्गज मुस्लिम नेता आजम खां विजेता हुए थे। इसी तरह पंजाब की संगरूर सीट से आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान सिंह सांसद चुने गए थे। मान सिंह अब पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, वहीं अखिलेश यादव और आजम खां ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इसके चलते तीनों सीटें खाली हुईं।
जिन सात विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें त्रिपुरा की अगरतला, टाउन बोरडोवाली, सुरमा और जुबराजनगर सीट शामिल है। इसके अलावा दिल्ली की राजेंद्र नगर, झारखंड की मंदारी और आंध्र प्रदेश की आत्मकुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने हैं। इसके लिए 30 मई को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था और सात जून तक नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।

पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी ने फिर से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। बसपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली उम्मीदवार हैं।
रामपुर से भाजपा ने घनश्याम लोधी को टिकट दिया है। लोधी कभी आजम खां के करीबी थे। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। वहीं, सपा ने आजम के ही करीबी आसिम रजा का मैदान में उतारा है। बसपा ने रामपुर उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। वहीं, कांग्रेस ने आजमगढ़ और रामपुर दोनों जगहों से ही अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में रामपुर सीट के लिए सीधी टक्कर भाजपा और सपा के बीच है।

ये जानने के लिए पहले हम हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डाल लेते हैं। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर सपा उम्मीदवारों को जीत मिली थी।
पांचों विधानसभा सीटों पर सपा को करीब चार लाख 36 हजार वोट मिले थे। वहीं, भाजपा उम्मीदवारों को करीब तीन लाख 30 हजार वोट मिले थे। यानी, सपा को भाजपा के मुकाबले एक लाख से भी ज्यादा वोट मिले। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले सपा और भाजपा दोनों के वोटों में कमी आई है। सपा के वोट करीब दो लाख वोट कम मिले वहीं, भाजपा को 2019 के मुकाबले करीब 30 हजार वोट का नुकसान होगा।
अगर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो इस सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जीत मिली थी। उन्होंने भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ को ढाई लाख से अधिक वोट से हराया था। अखिलेश को छह लाख 21 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं, निहरुआ तीन लाख 61 हजार से ज्यादा वोट पाने में सफल रहे थे।


साल | विजेता (पार्टी) | हारे (पार्टी) |
2019 | अखिलेश यादव (सपा) | दिनेश लाल यादव निरहुआ (भाजपा) |
2014 | मुलायम सिंह यादव (सपा) | रमाकांत यादव (भाजपा) |
2009 | रमाकांत यादव (भाजपा) | अकबर अहमद डम्पी( बसपा) |
2004 | रमाकांत यादव (बसपा) | दुर्गा प्रसाद यादव (सपा) |
1999 | रमा कांत यादव (सपा) | अकबर अहमद डम्पी (बसपा) |
1998 | अकबर अहमद डम्पी (बसपा) | रमाकांत यादव (सपा) |
1996 | रमाकांत यादव (सपा) | रामकृष्ण यादव (बसपा) |
1991 | चंद्रजीत यादव (जनता दल) | जनार्दन सिंह (भाजपा) |
1989 | रामकृष्ण (बसपा) | त्रिपुरारी पूजन प्रताप सिंह (जनता दल) |
1984 | संतोष कुमार सिंह (कांग्रेस) | राम नरेश यादव (लोकदल) |
रामपुर लोकसभा में भी पांच विधानसभा सीटें आती हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन पांच में से तीन सीटें सपा को तो दो सीटें भाजपा को मिली थीं। रामपुर विधानसभा सीट से आजम खां, स्वार से उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और चमरौआ विधानसभा सीट से नसीर अहमद खान सपा के टिकट पर जीते थे। वहीं, बिलासपुर सीट से बलदेव औलख और मिलख सीट से राजबाला सिंह भाजपा के टिकट पर जीतीं थीं।
पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा को कुल 4 लाख सात हजार से ज्यादा वोट मिले। वहीं, सपा को 5 लाख 52 हजार से ज्यादा वोट मिले। यानी, सपा को भाजपा के मुकाबले करीब एक लाख 44 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि, लोकसभा के मुकाबले दोनों के कुल वोट में कमी आई थी। सपा को जहां लोकसभा के मुकाबले करीब सात हजार वोट कम मिले वहीं, भाजपा को करीब 41 वोटों का नुकसान हुआ।

रामपुर लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें रामपुर, स्वार और चमरौआ सीट मुस्लिम बहुल सीटे हैं। तीनों सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है। रामपुर सीट पर 63 फीसदी, स्वार सीट पर 55 फीसदी और चमरौआ सीट पर 53 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। बिलासपुर सीट पर भी 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
साल विजेता (पार्टी) हारे (पार्टी)
2019 आजम खां (सपा) जया प्रदा (भाजपा)
2014 डॉक्टर नैपाल सिंह (भाजपा) नसीर अहमद खान (सपा)
2009 जया प्रदा (सपा) बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
2004 जया प्रदा (सपा) बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
1999 बेगम नूर बानो (कांग्रेस) मुख्तार अब्बास नकवी (भाजपा)
1998 मुख्तार अब्बास नकवी (भाजपा) बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
1996 बेगम नूर बानो (कांग्रेस) राजेन्द्र शर्मा (भाजपा)
1991 राजेन्द्र शर्मा (भाजपा) जुल्फीकार अली खान (कांग्रेस)
1989 जुल्फीकार अली खान (कांग्रेस) राजेन्द्र शर्मा (भाजपा)
1984 जुल्फीकार अली खान (कांग्रेस) राजेन्द्र शर्मा (भाजपा)