बालासाहेब जैसे दबंग नहीं, डरे हुए लगे उद्धव …?

नेताओं की पोल खोलने के बजाए वापसी की गुजारिश की, लेकिन बागियों के लिए मुंबई में एंट्री आसान नहीं…

उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में न किसी साजिश का जिक्र किया, न हमलावर तेवर अपनाए, न किसी पार्टी या व्यक्ति को घेरा, जबकि शिवसैनिक हमलावर होता है। पर उद्धव की स्पीच सुनकर ऐसा लगा मानो वह बहुत डरे हुए हैं।

उन्हें लोकतंत्र की चिंता थी तो जो विधायक-मंत्री गए हैं, उन्हें बेनकाब करना था। उनके गलत कामों के चिट्‌ठे खोलना था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

महाराष्ट्र के सीनियर जर्नलिस्ट अनुराग चतुर्वेदी कहते हैं, बाला साहब के समय में यदि कोई पार्टी से गद्दारी करता था तो उसके खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया जाता था, लेकिन उद्धव ने रूठों को मनाने की एक्सरसाइज की है।

अब बीजेपी शिवसेना को बहुत कमजोर कर देगी। बाला साहब सत्ता से दूर रहकर रिमोट कंट्रोल से सत्ता को भी चलाते थे और समाज को भी। उद्धव ठाकरे ने जो स्पीच दी है, उसमें वो भी शायद बाला साहब के रोल में ही खुद को फिट करने की कोशिश में हैं।

जैसे उन्होंने कहा, सत्ता से कोई लालच नहीं है। सत्ता छोड़ना चाहता हूं। विधायक कहेंगे तो पार्टी प्रमुख का पद भी छोड़ दूंगा। मुख्यमंत्री का पद भी छोड़ दूंगा। अब सत्ता उनके हाथ से जाने को है। तीन भाईयों में से उनका खुद का परिवार ही बिखर गया है। संपत्ति बंट चुकी है।

अब उस संपत्ति का वापिस आना लगभग नामुमकिन है। एक अहम बात ये भी है कि, एकनाथ शिंदे के साथ जो विधायक गए हैं, वो मुंबई के नहीं हैं।

अधिकतर मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र के हैं, जहां शरद पवार का प्रभाव है। यदि मुंबई के होते तो इतनी हिम्मत नहीं कर पाते।

इमोशनल कार्ड खेलने की कोशिश सीनियर जर्नलिस्ट केतन जोशी कहते हैं कि, उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों और जनता के सामने एक इमोशनल कार्ड खेला है। इससे अभी का संकट तो नहीं टलेगा लेकिन शिवसेना के वोट जरूर बचे रह सकते हैं। उन्होंने ये कहा कि, मुझे सत्ता का लालच नहीं। उस समय के हालात के चलते सीएम बनना पड़ा।

वहीं एकनाथ शिंदे के साथ जो 40 से ज्यादा विधायक हैं, उनमें कई पर ईडी की जांच का साया है। उद्धव ये जानते हैं कि, यह फूट शिवसेना में नहीं हुई है, बल्कि यह विधायकों की फूट है। संगठन तो बरकरार है। इसलिए इमोशनल कार्ड खेलकर वो खुद को पाकसाफ दिखाने की कोशिश में हैं।

बागियों के लिए शिवसेना कैडर का सामना करना मुश्किल होगा

सीनियर जर्नलिस्ट समर खड़स कहते हैं, उद्धव ने सीधेतौर पर बागी विधायकों को महाराष्ट्र आने का आव्हान किया है। लेकिन यहां उन्हें शिवसेना के कैडर का सामना करना बहुत मुश्किल होगा। वे ये चाहते हैं कि जो भी बात हो वो आमने-सामने फ्लोर पर हो। 15 से 20 विधायक तो उद्धव के भी संपर्क में हैं ही। सरकार बन रही है या जा रही है, अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

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