विदेश मंत्री Wang Yi ने यूं ही नहीं की Jaishankar के बयान की तारीफ
अंदरखाने चीन भले ही भारत के खिलाफ कोई भी खिचड़ी पका रहा हो, लेकिन बीते कुछ महीनों में भारत के लिए उसका रुख थोड़ा बदला-बदला दिख रहा है …
- भारत-चीन के बीच संबंधों में हालिया खटास को देखते हुए वांग की टिप्पणी हैरान करती है।
- जयशंकर ने वैश्विक पटल पर मजबूती से, और असरदार तरीके से भारत की बात रखी है।
- वांग यी का बयान दिखाता है कि चीन अब भारत को हल्का आंकने की भूल नहीं कर रहा है।
भारत और चीन (China) के रिश्ते को किसी एक शब्द या वाक्य में परिभाषित कर पाना मुश्किल है। दोनों देशों के बीच सीमा पर लंबे समय से तनाव है, और 2020 में लद्दाख सीमा पर खूनी झड़प भी हो चुकी है। वहीं, दूसरी तरफ चीन आज भी भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। नंबर एक पर अमेरिका है, लेकिन उसके और चीन के बीच बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। रिश्तों के इन खट्टे-मीठे अनुभवों के बीच चीन से एक ऐसी खबर आई है, जो थोड़ा हैरान करती है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने यूरोप और भारत-चीन संबंधों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) के बयानों की तारीफ की है।
ऐसा क्या कह दिया चीन के विदेश मंत्री ने?
भारत के साथ सहयोग पर वांग ने दिया जोर
अंदरखाने चीन भले ही भारत के खिलाफ कोई भी खिचड़ी पका रहा हो, लेकिन बीते कुछ महीनों में भारत के लिए उसका रुख थोड़ा बदला-बदला दिख रहा है। चीन को शायद अहसास हो गया है कि भारत किसी भी धमकी का मुंहतोड़ जवाब देगा, इसीलिए आजकल उसके नेता बार-बार सहयोग पर जोर दे रहे हैं। वांग यी ने भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत के साथ बुधवार को अपनी पहली बैठक में कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों की गरमाहट को बरकरार रखने, उन्हें पटरी पर लाने और पहले जैसी स्थिति में पहुंचाने के लिए मिलकर कोशिश करनी चाहिए।
विदेश मंत्री जयशंकर का कुछ यूं किया जिक्र
वांग यी ने अपने बयान में कहा, ‘हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक रूप से यूरोप के दबदबे को नकारते हुए चीन-भारत के रिश्तों में बाहरी ताकतों के दखल पर आपत्ति जताई थी। यह भारत की आजादी की परंपरा को दिखाता है।’ चीन के विदेश मंत्री ने साथ ही यह भी कहा था कि भारत और चीन को खुद के और दुनिया के अन्य विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए। वांग यी का यह बयान दिखाता है कि चीन अब कहीं न कहीं दुनिया में बढ़ते भारत के दबदबे को मानने लगा है। हालिया कुछ घटनाओं ने शायद चीन के इस भ्रम को तोड़ दिया है कि वह भारत को धमकाकर चैन से बैठ सकता है।
कई देशों को चुभा होगा जयशंकर का बयान
बीते 3 जून को स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में एक कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी दिक्कतें दुनिया की दिक्कतें हैं, लेकिन दुनिया की दिक्कतें यूरोप की दिक्कतें नहीं हैं। वह यूक्रेन युद्ध के कॉन्टेक्स्ट में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उनका यह बयान निश्चित तौर पर यूरोप के कुछ देशों को चुभा होगा, लेकिन साथ ही इस बयान ने कई देशों की यह कन्फ्यूजन भी दूर कर दी होगी की भारत पर दबाव बनाकर काम निकलवाया जा सकता है।