दो महीने होने को हैं, UP है बिना DGP के

51 दिनों बाद भी गृह विभाग ने पैनल नहीं भेजा; नियम 7 दिन का है….

7 दिन में भेजना था पैनल
रिटायर्ड DGP एके जैन कहते हैं,” DGP की चयन प्रक्रिया को लेकर सरकार को गंभीर होना चाहिए। अगर 50 दिन से ज्यादा समय से कार्यवाहक DGP है। इसका मतलब सरकार की तरफ से पैनल नहीं भेजा गया। फिलहाल पैनल तो DGP के हटाए जाने के एक सप्ताह में भेज देना चाहिए था। यूपी सरकार के पास DGP के लिए पैनल भेजने के लायक अधिकारी के नाम भी मौजूद हैं।”

यूपी में कानून-व्यवस्था के हालात संवेदनशील
लॉ एंड आर्डर से जुड़े एक रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं, ” यूपी में स्थाई DGP का नहीं होना, अच्छा नहीं है। 3 सप्ताह से जुमे की नमाज को लेकर टेंशन बनी हुई है। उदयपुर कन्हैया मर्डर केस के बाद भी संवेदनशीलता बनी हुई है। DGP पोस्ट खाली होने से स्टेट में नीचे काम करने वाले असमंजस में रहते हैं। समीक्षाएं नहीं हो रही होंगी।”

पैनल भेजने के बाद तय होंगे DGP

देश के सभी राज्यों में DGP का सिर्फ एक पद होता है। SC के आदेश के मुताबिक, डीजी रैंक के अधिकारी ही DGP बनाए जाते हैं। 2006 में प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामले में DGP की नियुक्ति लेकर आदेश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,” एक्टिंग DGP की कोई पोस्ट नहीं होती है। DGP का कार्यकाल खत्म होने से पहले राज्य सरकार इस पद के लिए नाम UPSC को भेजेगी। इस लिस्ट को वहां से UPSC जोड़-घटाकर वापस लौटाएगा। इस लिस्ट में से राज्य सरकार किसी भी नाम का चयन कर सकती है। DGP का कार्यकाल कम से कम 2 साल जरूरी है।”

15 से अधिक साल बीत जाने के बाद भी अधिकतर राज्यों ने इसको आंशिक रूप से ही लागू किया है। यूपी के पूर्व DGP प्रकाश सिंह ने 1996 में जनहित याचिका दायर की थी। उसके बाद पुलिस सुधार बिल तैयार किया गया था।

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