प्रदेश का पहला शहर होगा नोएडा, हाईराइज बिल्डिंग की सेफ्टी के लिए बनाया गया नियम …?
हरियाणा की तर्ज पर बनेगी स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी….
नोएडा में बनाई जा रही प्रदेश की पहली स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी हरियाणा की पॉलिसी की तर्ज पर बनाई जाएगी। प्राधिकरण के चीफ आर्किटेक्ट प्लानर इश्तियाक अहमद ने बताया कि नोएडा का प्लानिंग सेक्शन हरियाणा की पॉलिसी का अध्ययन कर रहा है।
आगामी बोर्ड बैठक में इसे अप्रूवल के लिए रखा जाएगा। इसके तहत हाईराइज इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जाएगा। इसका खर्चा सोसाइटी की एओए और आरडब्ल्यूए को देना होगा।
हाइराइज इमारतों की सेफ्टी के लिए बनाया गया नियम
गुरुग्राम में हुए हादसे के बाद अप्रैल 2022 में वहां स्ट्रक्चरल ऑडिट पालिसी को लागू किया गया था। हाइराइज इमारतों की सेफ्टी के लिए यह नियम बनाया गया। इसी तरह नोएडा भी स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी बना रहा है। यह काम प्राधिकरण के एसीईओ के अंडर किया जा रहा है।
हालांकि वहां लागू पॉलिसी में इमारत की अधिकतम उम्र 30 साल बताते हुए इसके बाद ही ऑडिट कराने की बात कही गई है। लेकिन नोएडा में बिल्डर के हैंडओवर के बाद पांच साल के बाद कराने का नियम तैयार किया जा रहा है।
ऑडिट में ये देखा जाएगा
- ऑडिट के दौरान इंडियन सोसाइटी ऑफ स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स के नवीनतम दिशा निर्देशों का पालन करना होगा।
- इमारत के आंतरिक, बाहरी और कॉमन एरिया के अलावा इमारत के वे भाग जो दिख रहे है जिससे स्ट्रक्चर टिका हुआ है का ऑडिट होगा।
- इमारत में छति, रिसाव आदि का कारण।
- सामग्री की गुणवत्ता, कारीगरी आदि का विस्तृत निरीक्षण, इमारत की बीम आदि की मजबूती।
- इमारत का ड्राइंग और उसका क्लीरिफिकेशन।
- वर्तमान परिस्थतियों के अनुसार इमारत का ड्राइंग और सुरक्षा मानकों के अलावा निर्माण में प्रयोग की सामग्री।
- वर्तमान परिस्थतियों के अनुसार मजबूती बतौर टेस्ट के जरिए भी देखी जाएगी। इसकी रिपोर्ट प्राधिकरण को देनी होगी।
पूरे प्रोजेक्ट का सीसी जारी होने के बाद गिने जाएंगे पांच साल
बिल्डर प्रोजेक्ट निर्माण के बाद प्राधिकरण में कंपलीशन सर्टिफिकेट (सीसी) के लिए अप्लाई करता है। इसके साथ उसे इमारत की स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट लगानी होती है। ये रिपोर्ट पांच साल के लिए मान्य होती है। प्राधिकरण से सीसी जारी होने के बाद ही अब पांच साल गिने जाएंगे।
पॉलिसी तैयार करने के लिए बनाया गया पैनल
पॉलिसी बनाने के लिए प्राधिकरण ने एजेंसियों का एक पैनल बनाएगा। इस पैनल में सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की और आईआईटी दिल्ली जैसी एजेंसी होंगी। एओए इनमें से किसी एक को चुन सकता है। हालांकि ऑडिट का खर्चा एओए को ही देना होगा।