एजुकेशन:भविष्य जान सकें इसलिए 57-59 की उम्र में ज्योर्तिवज्ञान से कर रहे एमए

कहते हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। यह बात जीवाजी यूनिवर्सिटी की अध्ययनशाला से ज्योतिर्विज्ञान से एमए करने वाले दो उम्रदराज विद्यार्थियों पर सटीक बैठ रही है। लोगों का भविष्य जानने व ज्योतिर्विज्ञान कितना कारगर है इसकी सच्चाई जाने के लिए 59 साल के नितिन कुलकर्णी व 57 साल के पीयूष चतुर्वेदी जेयू के परीक्षा भवन में एमए ज्योतिर्विज्ञान चौथे सेमेस्टर की परीक्षा कर रहे हैं। दोनों ही रेगुलर छात्र के तौर पर पढ़ाई कर रहे हैं।

उनका कहना है कि उनकी भले ही उम्र अधिक हो गई लेकिन उनमें पढ़ाई का जुनून पहले की तरह ही बरकरार है। नितिन बिल्डिंग कंसल्टेंसी का काम करते हैं। तो पीयूष हाईकाेर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। दोनों आपस में अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने ने बताया कि उनके बेटों की शादी हो चुकी है। लेकिन वे एमए इसलिए कर रहे हैं ताकि ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त कर लोगों का भविष्य देख सकें। साथ ही उनका कहना है कि उनके अंदर यह भी जिज्ञासा थी कि ज्योतिर्विज्ञान कितना कारगर है?

परीक्षा भवन में दे रहे परीक्षा

दोनों ही परीक्षार्थी जेयू के परीक्षा भवन में परीक्षा दे रहे हैं। उनके साथ कम उम्र के विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं। वृद्धा अवस्था की ओर बढ़ रहे नितिन व पीयूष का कहना था कि उम्र तो महज एक आंकड़ा है। पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। बस पढ़ने के लिए चाहत होनी चाहिए।

उनके इस तरह के विचार सुनकर कक्ष में परीक्षा देने वाले दूसरे विद्यार्थी भी उनसे प्रभावित हैं। नितिन ने बताया कि उन्होंने 1992 में एमई किया था। जबकि पीयूष ने 1988 में एमएलबी कॉलेज से डिप्लोमा इन लेवर लॉज किया था।

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