विधान परिषद में कांग्रेस हुई जीरो …?

113 साल के इतिहास में पहली बार कोई सदस्य नहीं, सपा से छिन सकती है विपक्ष की कुर्सी….

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 10 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसमें सपा के 6, बसपा के 3 और कांग्रेस के 1 MLC रिटायर हो रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार विधान परिषद में कांग्रेस शून्य हो जाएगी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। लेकिन, भाजपा के ये दोनों सदस्य दोबारा चुने जा चुके हैं।

पहली बार कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा

विधान परिषद में कांग्रेस का पक्ष रखते हुए यह तस्वीर दीपक सिंह की है। वो एक मात्र कांग्रेस के एमएलसी हैं।
विधान परिषद में कांग्रेस का पक्ष रखते हुए यह तस्वीर दीपक सिंह की है। वो एक मात्र कांग्रेस के एमएलसी हैं।

113 साल में पहली बार ऐसा होगा जब विधान परिषद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व ही नहीं होगा। उसके एकमात्र सदस्य दीपक सिंह का कार्यकाल आज खत्म हो गया। कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे मोतीलाल नेहरू से शुरू हुआ ये सिलसिला उनकी पांचवीं पीढ़ी के समय में खत्म हो रहा है।

विधान परिषद के सफर में पहली बार कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं होगा। यूपी कोटे से राज्यसभा में कांग्रेस पहले ही मुक्त हो चुकी है। इस तरह यूपी से न तो संसद के उच्च सदन में और न ही विधान परिषद में, कांग्रेस का कोई सदस्य होगा। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में सदस्य संख्या के हिसाब से कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर पहुंच गई है। उसके 2 विधायक जीते और 2.5% से भी कम वोट मिले हैं।

केशव प्रसाद मौर्य का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है। हालांकि वह दोबारा सदन के लिए चुने जा चुके हैं।
केशव प्रसाद मौर्य का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है। हालांकि वह दोबारा सदन के लिए चुने जा चुके हैं।

सपा से रिटायर होने वाले चेहरे

  • जगजीवन प्रसाद
  • बलराम यादव
  • डॉ. कमलेश पाठक
  • रणविजय सिंह
  • राम सुंदर निषाद
  • शतरुद्र प्रकाश

बसपा के 3 सदस्य हो रहे रिटायर

  • अतर सिंह राव
  • सुरेश कुमार कश्यप
  • दिनेश चंद्र

छिन सकती है सपा से विपक्ष की कुर्सी
UP विधान परिषद में सपा से विपक्ष की कुर्सी भी छिन सकती है। सदन में भाजपा के सदस्यों की संख्या 66 है। जबकि सपा के 11 सदस्य हैं। सपा के सदस्यों की संख्या 6 जुलाई के बाद 10% से कम होकर 9% हो जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि विधान परिषद में उसकी विपक्ष की कुर्सी छिन सकती है।
हालांकि जानकारों का मानना है कि सभापति, सपा को नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए कह सकते हैं। अगर सभापति, सपा से नेता चुनने के लिए कहेंगे, तभी विपक्ष की कुर्सी बच सकती है।

100 सीटें हैं यूपी की विधान परिषद में
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की शुरुआत 5 जनवरी 1887 को हुई थी। तब इसमें 9 सदस्य हुआ करते थे। 1909 में बनाए गए प्रावधानों के तहत सदस्य संख्या बढ़ाकर 46 कर दी गई। जिनमें गैर सरकारी सदस्यों की संख्या 26 रखी गई। इन सदस्यों में से 20 निर्वाचित और 6 मनोनीत होते थे। मोती लाल नेहरू ने 7 फरवरी 1909 को विधान परिषद की सदस्यता ली। उन्हें विधान परिषद में कांग्रेस का पहला सदस्य माना जाता है।

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