नेवी की न्यूट्रीशनिस्ट ने बताया कैसी है सैनिकों की डाइट …?
दादी-नानी की रसोई अमृत समान, विदेशियों ने इन्हें सुपरफूड कहा तब हमने जानी इनकी अहमियत…
जब नेवी शिप पर ताजी सब्जियां नहीं होती, अंकुरित दालों की सब्जी बनाते हैं
जब शिप लॉन्ग सेलिंग पर होती है और ताजी सब्जियां उपलब्ध नहीं होतीं, तब दालों को अंकुरित कर उन्हें सब्ज़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। नेवी का सेट राशन स्केल होता है जो साइंटिफिकली डिजाइन होता है। डाईपास नाम का इंस्टिट्यूट है जिसका फुल फॉर्म है डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोलॉजिकल साइंस। डाईपास ही तय करता है कि कितने कार्ब्स, कितने विटामिन, कितना फैट हो। शिप के लिए करी पत्ते से लेकर सुरजने की फली, सूखे मेवों और सभी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का पाउडर बनाकर शिप पर लोड कर दिया जाता है ताकि क्राइसिस में भी पोषण से समझौता न करना पड़े और हर मील में उन्हें प्रोटीन के साथ सारे पोषक तत्व मिलें।
नेवी में 6.30 बजे डिनर शुरू, 1 घंटे में मेस बंद, यह अनुशासन ही है उनका फिटनेस सीक्रेट
नाजनीन ने बताया कि – नेवल ऑफिसर्स की डाइट उनकी फिजिकल एक्टिविटी से मैच करके बनाई जाती है। वहां सब कुछ टाइम टु टाइम होता है। शाम 6.30 बजे डिनर सर्व होता है और 7.30 बजे मेस बंद हो जाती है। कितना भी काम हो, कोई कितना भी व्यस्त क्यों न हो, अफसर आते हैं और 7-8 मिनट में अपनी मील लेकर दोबारा काम पर लौट जाते हैं, और यह नियम सिर्फ जूनियर्स के लिए नहीं है। सबसे सीनियर ऑफिसर भी इस रूल से बंधे हैं। यह अनुशासन भी जरूरी है और यही है उनका फिटनेस सीक्रेट।
सवाल-जवाब में डाइट से जुड़ी कई भ्रांतियां तोड़ी नाजनीन ने
Q. खानपान में आमतौर पर हम सबसे बड़ी गलती क्या करते हैं।
A. क्या खाना है इस पर सबका ध्यान होता है, लेकिन कब कैसे और कितना खाना है, इसे हम नजर अंदाज करते हैं। यही कारण है कि या तो ओवरईटिंग करते हैं या फिर सभी पोषक तत्व हमें मिलते नहीं। इसके लिए मील सीक्वेंसिंग को समझना होगा। मील सीक्वेंसिंग यानी ऐसे क्रम में चीजें जो सेहत के लिए सही है। जैसे हम शुरुआत करते हैं चावल या रोटी से। जबकि हमें पहले प्रोटीन और फाइबर लेना चाहिए। यानी दालें, स्प्राउट्स या दही से बना वेजिटेबल रायता। ऐसा करने पेट जल्द भरेगा क्योंकि फाइबर पेट फुल होने की फीलिंग देता है और आप ओवरईटिंग से बचते हैं।
Q. अंडर न्यूट्रिशन की तरह क्या ओवर न्यूट्रिशन भी परेशानी है ?
A. भारत में कुपोषण यानी अंडर न्यूट्रिशन तो हमेशा से एक समस्या रहा है, लेकिन 2020 के बाद से ओवर न्यूट्रिशन भी एक बड़ी समस्या की तरह सामने आया है। फिर हमारी थाली में कार्बोहाइड्रेट्स सबसे ज्यादा होता है। हम दाल जरा सी लेते हैं। सैलेड बहुत कम या नहीं लेते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि थाली में सब कुछ बराबर हो। दाल-खिचड़ी खाएं तो उसमें दाल ज्यादा हो। जो भी खाएं उसे सही कॉम्बिनेशन में खाएं। कार्ब्स और प्रोटीन साथ लें तब जाकर वह कम्प्लीट मील कहलाएगी और हम ओवर न्यूट्रिशन से बचेंगे।
Q. क्या व्हे प्रोटीन शरीर को नुकसान पहुंचाता है ?
A. व्हे प्रोटीन क्या है ? जब हम पनीर बनाते हैं तो जो पानी बच जाता है उसे व्हे कहते हैं। अब सर्टिफाइड कम्पनी का प्रोडक्ट लेंगे तो नुकसान नहीं होंगे क्योंकि उनमें एनाबॉलिक स्टेयराइड नहीं होते। आज मार्केट सस्ते नकली प्रोडक्ट्स से भरा है और लाेग कम कीमत के चक्कर में उन्हें खरीद रहे हैं इसलिए किडनी पर गलत असर हो रहा है। वैसे वर्कआउट करने के बाद 15 मिनट में प्रोटीन ले लेना चाहिए। वह ठीक से एब्जॉर्ब होगा। हालांकि स्टडी कहती हैं कि दो घंटे के अंदर भी प्रोटीन ले सकते हैं लेकिन यह देखिए कि एक्टिविटी कितनी है। कम हो तो ओवर प्रोटीन न लें।
Q. ऑर्गेनिक चीजें ट्रेंड में हैं पर उत्पाद बहुत महंगे हैं। क्या वजह है और इनकी पहचान कैसे की जाए ?
A. वह चीजें जिनके उत्पादन में पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है वह ऑर्गेनिक हैं। एक नियम है कि जहां से ऑर्गेनिक चीजों का प्रोडक्शन होता ह्रै वहां पांच किमी के दायरे में कोई इंडस्ट्री नहीं होना चाहिए। इनकी पहचान उनके लोगो सो की जा सकती है पर ये भी पैकेज्ड चीजों पर होता है। सब्जियों जैसी चीजों पर यह नहीं होता।
Q. इंदौर में पोहा-जलेबी, कचौरी-समोसे, गराड़ू, भुट्टे का कीस… ये सबसे पसंदीदा चीजें हैं। क्या इन्हें हेल्दी बनाने का कोई तरीका है ?
A. पोहे : इनमें अंकुरित मूंग-चना वगैरह डालकर, उसके साथ दही परोस कर आप उसे एक कम्प्लीट मील बना सकते हैं। किसी दिन इसमें मूंगफली डाल लीजिए, किसी दिन अखरोट या सब्जियां…इस तरह एक प्लेट पोहे से आपको कार्ब्स, प्रोटीन फाइबर तीनों मिल जाएंगे।
कचौरी : मूंग दाल की बना रहे हैं पर अच्छा होगा अगर इसमें मिलेट्स यानी मोटे अनाज की फिलिंग भी कर लें और इन्हें तलने के बजाय बेक कर लें। डीप फ्रायड चीजें कभी-कभार खा सकते हैं लेकिन बाहर एक ही तेल को बार बार इस्तेमाल किया जाज है जो नुकसानदायक है और यह कैंसर को भी बढ़ावा देता है।
गराड़ू : फाइबर का रिच सोर्स है लेकिन आधे आधे घंटे उसे तलेंगे तो वह फायदा नहीं नुकसान ही करेगा। इसे बॉइल करके या बेक करके खाइए।
Q. भारतीय रसोई की वह कौन ऐसी चीजें हैं जो अमृत तुल्य है ?
A. पहली है हल्दी
लेकिन इसे फैट का साथ ही लेना चाहिए। पानी में नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह फैट सॉल्यूबल है। यह घी या दूध के सााथ ही गुण करेगी। इस दूध में एक चुटकी काली मिर्च भी डालिए क्योंकि पैपर में मौजूद पाइपरीन बॉडी में इसका पूरा एब्जॉर्प्शन कराने में मदद करेगा।
दूसरी चीज है दालें
मसूर, चना, वटाना… यह सब प्रोटीन रिच हैं। फ्री रेडिकल्स को दूर करती हैं इसलिए कैंसर से बचाती हैं। इन्हें दाल की तरह लीजिए। इनसे चीला बनाइए। डोसा बनाइए। पर दालेंं 5 घंटे गला कर, तीन बार धोकर बनाएं। इससे एसिडिटी नहीं होगी।
तीसरे हैं मिलेट्स
यानी मोटा अनाज जो हमारे यहां बहुतायत में उगाया जाता रहा है पर हमने उनकी कीमत नहीं समझी। अब जब यह अनाज सुपरफूड के नाम से महंगी पैकेजिंग में बिक रहा है तो हम खरीद रहे हैं। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने इन्हें न्यूट्री सीरियल्स का खिताब भी दिया है।
चौथा है आंवला
एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर। सुबह इसका जूस पीकर दिन की शुरुआत करेंगे तो कई फायदे होंगे। एसिडिटी नहीं होगी। आंखें बाल स्किन अच्छें रहेंगे। डाइजेशन बढ़िया होगा।
पांचवें नंबर पर हैं नट्स और सीड्स
जो एंटी इन्फ्लेमेटरी होते हैं। इनसे कई फायदे हैं लेकिन एक चीज ध्यान रखिए कि कोई भी एक चीज सुपरफूड नहीं होता। उसका कॉम्बिनेशन लेना पड़ता है। दिन भर में 30 तरह के फूड लीजिए। इससे आपको अलग अलग तरह के गुड बैक्टीरिया मिलेंगे जो पेट की सेहत ठीक रखेंगे।