प्रदेश के 1741 प्राइवेट स्कूल अभिभावकों और विद्यार्थियों के मानकों पर नहीं उतरे खरे

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रक्रिया अंतिम दौर में, 12 से 14 जुलाई के बीच होगी लॉटरी
प्रदेश के 1741 प्राइवेट स्कूल अभिभावकों और विद्यार्थियों के मानकों पर नहीं उतरे खरे
राज्य शिक्षा केंद्र का दावा सिस्टम किया फुलप्रूफ

भोपाल. प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रक्रिया अंतिम दौर में है। राज्य शिक्षा केन्द्र के आंकड़ों के अनुसार सत्र 2022-23 के लिए 26 हजार 718 मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की 2 लाख 78 हजार 587 सीटों पर प्रारंभिक कक्षा (नर्सरी, केजी-1, केजी-2 और कक्षा 1) में एडमिशन किया जाना है। लेकिन, पोर्टल और ऐप पर अंतिम तारीख 5 जुलाई तक आए कुल आवेदनों की संख्या महज 2 लाख 1 हजार 252 है, जो 24 हजार 977 स्कूलों के लिए किए गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश के 1741 स्कूलों को माता-पिता ने अपने नौनिहालों के भविष्य के हिसाब से मानकों पर खरा नहीं पाया है। इन स्कूलों की 77 हजार 335 सीटें खाली हैं, जिनके लिए एक भी आवेदन नहीं आया है। शेष@पेज 02

उधर, राज्य शिक्षा केंद्र हमेशा की तरह दावा कर रहा है कि उसने सिस्टम फुलप्रूफ कर लिया है, लेकिन अभी भी गड़बड़ियों के गलियारे अभिभावकों के सपने चकनाचूर करने में कोर-कसर नहीं छोड़ रहे।

पिछले सत्र तक सिस्टम की खामी का उठा रहे थे फायदा

कुछ प्राइवेट स्कूल पिछले सत्र यानी 2021-22 तक राज्य शिक्षा केंद्र की सिस्टम की कमी और खामी का फायदा उठा रहे थे। स्कूल मनमर्जी से अपनी सीटें कम या ज्यादा आवंटित कर लेते थे। इस साल नया नियम जोड़ा गया कि प्रवेश कक्षा यानी प्रारंभिक कक्षा (नर्सरी, केजी-1, केजी-2 और कक्षा 1) में मान्यता के लिए दर्शाई गई कुल सीटों में से 25 प्रतिशत पर आरटीई के तहत प्रवेश दिया जा सकेगा। यानी इतनी सीटें हर हाल में आरटीई के लिए आरक्षित होंगी।

प्रक्रिया कुछ यूं चली तारीख दर तारीख

पोर्टल व एप पर आवेदन का प्रथम चरण- 15 से 30 जून तक

विद्यार्थी हित में दूसरा चरण- 01 से 05 जुलाई तक

पूर्व में दस्तावेज सत्यापन और लॉटरी की तिथि- 01 जुलाई सत्यापन और 05 जुलाई लॉटरी

अब सत्यापन और लॉटरी की अंतिम तिथि- 09 जुलाई सत्यापन और 12 से 14 जुलाई लॉटरी

तीन साल के दरमियान आरटीई का लेखा-जोखा

ब्यौरा—-सत्र 2020-21—- सत्र 2021-22—- सत्र 2022-23

प्राइवेट स्कूल—-30 हजार—-29 हजार 500—-26 हजार 718

कुल सीट—- 2 लाख—- 2 लाख 84 हजार—-2 लाख 78 हजार 587

आवेदन आए—- 85 हजार—- 1 लाख 99 हजार—-2 लाख 1 हजार 252

कुल प्रवेश—- 71 हजार 125—- 1 लाख 29 हजार 690—- लॉटरी बाकी

सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं

79 फीसदी का हुआ सत्यापन

आरटीइ के तहत पोर्टल और एप पर ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 5 जुलाई थी, जिसमें 2 लाख 1 हजार 252 आवेदन आए। दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया जारी है, जिसमें 7 जुलाई की सुबह 10 बजे तक कुल 1 लाख 58 हजार 305 आवेदन की छानबीन पूरी हो चुकी है। प्रतिशत के हिसाब से ये आंकड़ा 79 है, जो कि बेहतर नहीं माना जा सकता। 22 जिले ऐसे हैं, जिनमें दस्तावेज सत्यापन का काम बेहद धीमा चल रहा है। अभी भी 42 हजार 947 अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो पाया है।

प्रदेश…

उधर, राज्य शिक्षा केंद्र हमेशा की तरह दावा कर रहा है कि उसने सिस्टम फुलप्रूफ कर लिया है, लेकिन अभी भी गड़बड़ियों के गलियारे अभिभावकों के सपने चकनाचूर करने में कोर-कसर नहीं छोड़ रहे।

पिछले सत्र तक सिस्टम की खामी का उठा रहे थे फायदा: कुछ प्राइवेट स्कूल पिछले सत्र यानी 2021-22 तक राज्य शिक्षा केंद्र की सिस्टम की कमी और खामी का फायदा उठा रहे थे। स्कूल मनमर्जी से अपनी सीटें कम या ज्यादा आवंटित कर लेते थे। इस साल नया नियम जोड़ा गया कि प्रवेश कक्षा यानी प्रारंभिक कक्षा (नर्सरी, केजी-1, केजी-2 और कक्षा 1) में मान्यता के लिए दर्शाई गई कुल सीटों में से 25 प्रतिशत पर आरटीई के तहत प्रवेश दिया जा सकेगा। यानी इतनी सीटें हर हाल में आरटीई के लिए आरक्षित होंगी।

सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए कड़े कदम उठाए हैंआरटीई के सिस्टम को लगातार पारदर्शी और विद्यार्थियों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इस साल प्रक्रिया पिछले साल से बेहतर है। आगामी सत्र में और ठीक हो इसके लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। प्राइवेट स्कूलों के लिए समय-समय पर गाइडलाइन जारी करते हैं, ताकि वे सिस्टम के हिसाब से चलें।- डॉ. रमाशंकर तिवारी, नियंत्रक, आरटीई, राज्य शिक्षा केंद्र

आरटीई की राह के सबसे बड़े रोड़े

1. प्रदेशभर के 777 स्कूल ऐसे हैं, जो खुद को अल्पसंख्यक श्रेणी का बताकर आरटीई के प्रावधान के तहत जरूरतमंद बच्चों को अपने यहां एडमिशन नहीं देना चाहते।

2. प्रदेश कई प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूल अपनी मान्यता के समय आरटीई की सही संख्या दिखाते हैं, लेकिन जब इस वर्ग के अभिभावक अपने नौनिहालों का भविष्य बनाने उनके यहां एडमिशन के लिए आवेदन करते हैं तो वे सीटों की संख्या छिपा लेते हैं।

3.दूसरा पहलू यह है कि राज्य में दो से चार कमरों में चलने वाले 2 से 3 हजार स्कूल ऐसे हैं जो पूर्णत आरटीई पर ही निर्भर हैं। ये चाहते हैं कि इनके यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें आरटीई की हों, ताकि उन्हें प्रति छात्र शासन से भुगतान हो सके।

आरटीई के सिस्टम को लगातार पारदर्शी और विद्यार्थियों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इस साल प्रक्रिया पिछले साल से बेहतर है। आगामी सत्र में और ठीक हो इसके लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। प्राइवेट स्कूलों के लिए समय-समय पर गाइडलाइन जारी करते हैं, ताकि वे सिस्टम के हिसाब से चलें।

डॉ. रमाशंकर तिवारी, नियंत्रक, आरटीई, राज्य शिक्षा केंद्र

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