ग्वालियर : 12 साल चली जांच, साबित नहीं कर पाए आय से अधिक संपत्ति का मामला

जांच में ईओडब्ल्यू आय से अधिक संपत्ति का मामला साबित नहीं कर सकी और आय से अधिक संपत्ति के मामले को नस्तीबद्ध कर दिया…

– शिकायत नस्तीबद्ध की तो कोर्ट ने जब्त संपत्तियां दस्तावेज मुक्त करने का दिया आदेश

– जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता के यहां मारा छापा

ग्वालियर  आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 2009 में हरसी हाई लेवल नहर घोटाले के आरोपितों के घरों पर ताबड़तोड़ छापे मारकर खूब वाह-वाही लूटी। छापे के बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले की 12 साल तक जांच की। इस जांच में ईओडब्ल्यू आय से अधिक संपत्ति का मामला साबित नहीं कर सकी और आय से अधिक संपत्ति के मामले को नस्तीबद्ध कर दिया। ऐसा ही मामला जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता एचडी जोशी (75 वर्ष) का आया है। ईओडब्ल्यू ने जोशी के आय से अधिक संपत्ति के मामले की शिकायत को नस्तीबद्ध कर दिया। इस शिकायत के नस्तीबद्ध होने के बाद विशेष सत्र न्यायालय ने जोशी संपत्तियों को मुक्त करने का आदेश दिया है।

ईओडब्ल्यू ने आठ नवंबर 2009 को जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता एचडी जोशी के घर आय से अधिक संपत्ति का छापा मारा था। ईओडब्ल्यू ने इनके यहां से एलआइसी की पालिसियां, एफडीआर, पास बुक व अचल संपत्तियों की रजिस्ट्रियां मिली थीं। ईओडब्ल्यू ने संपत्तियों के दस्तावेजों को जब्त कर आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच शुरू कर दी। 12 साल से यह जांच चल रही थी। 12 साल की जांच के बाद निष्कर्ष दिया कि जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं बनता है। हरसी हाई लेवल नहर घोटाले को लेकर जो केस दर्ज किया था, उसमें आय से अधिक संपत्ति की शिकायत को नस्तीबद्ध किया जाता है। जोशी ने अपनी संपत्तियों को मुक्त कराने के लिए विशेष सत्र न्यायालय में आवेदन पेश किया तो ईओडब्ल्यू के पत्र का हवाला दिया गया। कोर्ट ने इस संबंध में ईओडब्ल्यू से जबाव मांगा। ईओडब्ल्यू की ओर से उप पुलिस अधीक्षक सतीश चतुर्वेदी ने जवाब पेश किया। उनकी ओर से बताया गया कि जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए जब्त शुदा आवेदनों की जरूरत नहीं है।

इंजीनियरों पर 300 करोड़ के घोटाले के थे आरोप

-हरसी हाई लेवल नगर घोटाला होने के बाद ईओडब्ल्यू ने 409, 420, 467, 468, 471, 120 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। मुख्य अभियंता, कार्यपालन यंत्री, सब इंजीनियर सहित अन्य अधिकारियों को आरोपित बनाया था। 49 लोगों को इस घोटाले में आरोपित बनाया गया था।

– एफआइआर के बाद इंजीनियरों के यहां आय से अधिक संपत्ति के मामलों के छापे पड़े। कार्यपालन यंत्री के घर पर सोने की ईटें बरामद हुई थी। अचल संपत्तियों के दस्तावेज जब्त हुए थे।

– इस घोटाले के आरोप में उदय लाले के यहां सात नवंबर 2009 को छापा पड़ा था। इनके यहां से भी संपत्तियां जब्त हुई थी, लेकिन छह सितंबर 2020 को इनका स्वर्गवास हो गया। ईओडब्ल्यू ने आय से अधिक संपत्ति का मामला नस्तीबद्ध कर दिया। मामला नस्तीबद्ध होने के कोर्ट ने बाद 27 नवंबर 2021 उदय लाले की संपत्तियां मुक्त करने का आदेश दिया था।

– अरुण कुमार दीक्षित के यहां सात नवंबर 2009 को छापा पड़ा था। इनके खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति का केस साबित नहीं हो सका। शिकायत नस्तीबद्ध होने के बाद कोर्ट ने संपत्ति को मुक्त करने का आदेश दिया।

– कोर्ट ने संपत्ति को सशर्त मुक्त किया है। यदि दोवारा मुक्त की गई संपत्ति के दस्तावेज मांगे जाते हैं तो उन्हें पेश करने होंगे।

– 2010 से हरसी हाई लेवल नहर घोटाले की ट्रायल 2010 से विशेष सत्र न्यायालय में चल रही है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *