दूध नहीं पीते सांप, बीन भी नहीं सुनते … ? वर्ल्ड स्नेक डे पर जानें सांपों से जुड़ी सच्ची और झूठी बातें

हर साल 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता है। आज के दिन लोगों को सांपों और हमारे बीच उनकी भूमिका के बारे में जागरूक किया जाता है। आइए सांपों के बारे में फैले कई मिथकों के बारे में जानें। जिन्होंने समय के साथ अंधविश्वास को जन्म दिया है। जो अब वैज्ञानिक युग में धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं।

एक-एक करके सभी मिथकों के बारे में जानते हैं

दूध पीते हैं या नहीं?
भारतीय पौराणिक कथाओं में सांपों को शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। सांपों को लेकर सदियों से लोगों के मन में डर और कई गुमराह करने वाली मान्यताएं हैं। मान्यता है कि सांप को दूध पिलाने से हमारी ग्रह दशा ठीक होती है। सच्चाई यह कि कोई भी सांप दूध नहीं पीता है। इनका भोजन चूहे, मेंढक, पक्षी, कीड़े हैं।

वहीं, कुछ लोग का मानना है कि बीन की धुन पर सांप नाचता है। जबकि सांप के कान नहीं होते हैं, वह सुनता नहीं है। केवल ध्वनि तरंगें महसूस करता है। इसलिए बीन की आवाज भी नहीं सुनता है, बीन को हिलाने पर ही वह अपने फन को इधर-उधर घुमाता है, बीन की धुन पर नहीं।

सांपों को लेकर समाज में फैले अंधविश्वास विज्ञान युग में धीरे-धीरे खत्म हो रहे।
सांपों को लेकर समाज में फैले अंधविश्वास विज्ञान युग में धीरे-धीरे खत्म हो रहे।

सांप ने फोटो खींच ली, यह सबसे बड़ा अधंविश्वास
वाइल्ड लाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि बहुत लोग सांपों से डर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। ज्यादातर लोग उन्हें देखकर मार देते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि उन्हें लगता है कि सांप ने उन्हें देख लिया है। उसकी फोटो खींच ली है या फिर उन्होंने नाग को मार दिया है तो नागिन बदला लेने आएगी।

यह सिर्फ मिथक है, वास्तव में ऐसा नहीं होता है। सांप को न तो दिखाई देता है और न ही सुनाई देता है। वह सिर्फ अपनी जीभ से कम्यूनिकेट करते हैं।

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट विपिन कपूर ने अब तक सैकड़ों सर्पों का रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई है। उन्होंने बताया कि सांप जमीन के अंदर रहते हैं। खेतों में चूहों को खाकर फसल को अच्छा बनाते हैं। चूहों से फसल को सुरक्षित रखने में सांप बहुत कारगर हैं।

सांप अपने शिकार को चबाते नहीं बल्कि निगलते हैं।
सांप अपने शिकार को चबाते नहीं बल्कि निगलते हैं।

धरती पर मौजूद हैं अजीबोगरीब सांप

  • विश्व में सांप की 3.5 हजार प्रजातियां हैं। इनमें से सिर्फ 600 प्रकार के सर्प जहरीले होते हैं।
  • भारत में सांपों की 300 प्रजातियां हैं, जिनमें से 60 से अधिक विषैली हैं। 40 कम विषैली। करीब 180 प्रजातियां विषैली नहीं हैं।
  • किंग कोबरा विश्व का सबसे बड़ा सर्प है। यह एक मात्र प्रजाति ऐसी है, जो घोंसले बनाकर अंडे देता है।
  • दुनिया में उड़ने वाले सर्प भी होते हैं लेकिन ये पक्षियों की तरह नहीं उड़ते हैं। ऊंचे पेड़ों से नीचे की ओर छलांग लगाते समय उड़ते हुए नजर आते हैं।
  • कुछ सांप अंडों की जगह सपोलों को जन्म देते हैं, रसेल वाइपर इनमें से एक ऐसा ही सर्प है।
  • सर्प के सूंघने की क्षमता तेज होती है। सांप अपनी जीभ से सूघंते हैं। इसी कारण सर्प अपनी जीभ को अक्सर बाहर निकालते रहते हैं
  • सांप अपनी शिकार को चबाते नहीं बल्कि निगलते हैं।
  • सांपों के दो मुंह भी पाए जाते हैं, ऐसे सांप के दो दिमाग भी होते हैं। जो अपने हिसाब से शरीर को साझा करते हैं।
सांपों की चार प्रजातियां होती हैं ज्यादा विषैली।
सांपों की चार प्रजातियां होती हैं ज्यादा विषैली।

चार सांप ही ज्यादा विषैले
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कन्जर्वेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एमवी ने बताया कि जब घर में या आसपास सांप देखें तो घबराएं नहीं और शांत रहें। भारत में सांप के काटने से होने वाली अधिकांश मृत्यु और चोट के मामलों के लिए चार प्रजातियां जिम्मेदार हैं।

इनमें स्पेक्टेकल्ड कोबरा (नाग), कॉमन क्रेट, रसल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर “बिग 4′ विषैली प्रजाति है। कोबरा आमतौर पर अपना जहर बर्बाद नहीं करते बल्कि इसे भोजन और पाचन के लिए बचा कर रखते हैं। केवल 10 प्रतिशत मामले होते हैं, जहां पीड़ितों को तत्काल इलाज की जरूरत होती है।

वाइल्ड लाइफ संस्था ने 2 महीने में किया 170 सांपों का रेस्क्यु।
वाइल्ड लाइफ संस्था ने 2 महीने में किया 170 सांपों का रेस्क्यु।

आगरा में पिछले 2 माह में 170 सांपों को बचाया
आगरा और उसके आसपास के क्षेत्र में सांपों की 15 प्रजातियों हैं, इनमें से केवल कोबरा (नाग) और कॉमन क्रेट जहरीले हैं। यहां आमतौर पर पाए जाने वाले कुछ सामान्य गैर विषैले सांपों में इंडियन रैट स्नेक, रेड सैंड बोआ, कॉमन सैंड बोआ, इंडियन रॉक पायथन (अजगर), ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नेक, कॉमन इंडियन वुल्फ स्नेक, कॉमन कैट स्नेक और चेकर्ड कीलबैक शामिल हैं।

वाइल्ड लाइफ एसओएस टीम सर्पों का आए दिन रेस्क्यु करती है। लोग संस्था के हेल्पलाइन नंबर (+91 9917109666) पर सूचना देकर सांपों बचाने में जागरूकता दिखा रहे हैं। मई से लेकर अब तक रैपिड रिस्पांस यूनिट ने आगरा शहर और उसके आसपास से 170 से अधिक सांपों को बचाया है।

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