बिलों का घोटाला …? दो साल में हुई 34 सरकारी सम्मेलन में बसों का पेमेंट लिया और बिल में लूना, मैजिक और ट्रैक्टर के फर्जी नंबर दे दिए

सरकारी योजना के हितग्राही का जब मप्र सरकार सम्मान करती है तो इसके लिए एक सभा आयोजित करती है, ताकि योजना का सही प्रचार-प्रसार हो सके। इस सभा के इंतजामों में जमकर खर्च होता है, लेकिन इस पैसे की लूट कैसे होती है, यह खबर उसका सबसे सटीक उदाहरण है। साल 2016 से 2018 के बीच भोपाल, अशोकनगर, रायसेन, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, मंडला, विदिशा, उज्जैन, अमरकंटक और सागर में ऐसी 34 सभाएं हुईं। इनमें हजारों लोगों को बसों से लाने के कलेक्टर ने आदेश दिए थे।

आरटीओ ने भोपाल, विदिशा, सीहोर, रायसेन, मंदसौर में बसें जुटाईं। लेकिन, परिवहन माफिया ने इसमें भी घालमेल कर दिया। दैनिक भास्कर ने माफिया द्वारा बिल के साथ दिए गए कुल 2300 बसों में से 150 बसों के नंबर की पड़ताल की तो पता चला कि 10 ट्रैवल एजेंसियों ने बसों की जगह लूना, टाटा मैजिक, ट्रक, ट्रैक्टर के नंबर दिखाकर प्रशासन से लाखों का पेमेंट ले लिया। यह बड़ी बात है कि न तो आरटीओ अफसरों ने और न ही प्रशासन में किसी ने इन बिलों की जांच की। माफिया ने भुगतान के वक्त गाड़ियों के नंबरों की ऐसी सीरीज बिलों में डाल रखी थी, जिनका रिकॉर्ड दो साल बाद भी खुद आरटीओ के पास नहीं था। मामले में पिछले दिनों मय दस्तावेज के कुछ शिकायतें सीआईडी, पुलिस महानिदेशक, सीएम हाउस, पुलिस डीजीपी, परिवहन आयुक्त को भेजी गई हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

बिल नंबर 1- 52 सीटर बड़ी बसें लगानी थीं, 32 सीटर मिनी बसें लगाकर पेमेंट ले लिया

12 फरवरी 2018 को जंबूरी मैदान पर हुए भावंतर सम्मेलन में किसानों को लाना था। भोपाल से 22 बड़ी बसें अधिग्रहित की गईं, जिसके लिए 40 रु. प्रति किमी पेमेंट होना था। परिवहन माफिया ने 22 मिनी बसें लगाईं और पूरा भुगतान ले लिया, जबकि मिनी बसों के लिए 32 रु. प्रति किमी किराया तय था। माफिया ने हर गाड़ी को 300 किमी चलना दिखाया।

बिल नंबर 2- भुगतान बस का, बिल में गाड़ी नंबर लूना सुपर का

जंबूरी मैदान के भावंतर सम्मेलन से जुड़े एक बिल में 38 बसों के अधिग्रहण का जिक्र है। एक बिल क्रमांक 50 में एमपी 08-0117 नंबर का जिक्र है, जिसे बस बताया गया है, जबकि ये गाड़ी गुना आरटीओ में रजिस्टर्ड एक लूना सुपर है। इसका रजिस्ट्रेशन शिवपुरी के संजय कुमार तिवारी के नाम पर है। माफिया ने इसे 300 किमी चलना दिखाकर 12 हजार रु. पेमेंट लिया है।

बिल नंबर 3- 21 बसों के नंबर 2021 तक रिकॉर्ड में ही नहीं थे

11 जुलाई 2018 को भोपाल के आंबेडकर मैदान में सीएम जनकल्याण योजना के तहत बिजली के बकाया बिल के हितग्राहियों को प्रमाण-पत्र दिए जाने थे। इसमें माफिया ने एक बिल क्रमांक 04 भोपाल से लगाया और 23 जुलाई 2018 को 1 लाख 20 हजार रु. का भुगतान ले लिया। बड़ी बात यह है कि इस बिल में 21 ऐसी बसों के नंबर दर्ज थे, जिनका रजिस्ट्रेशन 4 जून 2021 के पहले तक खुद परिवहन विभाग के पास नहीं था।

बिल नंबर 4- मोटर साइकिल का नंबर दिखाकर 39 हजार रु. लिए

4 दिसम्बर 2016 को हुए गरीब कल्याण सम्मेलन के लिए मंदसौर आरटीओ ने 146 बसें भेजीं। कुल 56.43 लाख रु. पेमेंट हुआ। इसके बिल के सीरियल नंबर 129 में बस नंबर एमपी-14 एमएच-3786 लिखा है, जबकि यह नंबर आरटीओ रिकॉर्ड में एक मोटर साइकिल का है। इसके मालिक मंदसौर निवासी मो. शफीक मंसूरी हैं। बिल में गाड़ी को 975 किमी चलना दिखाया है। इस मोटर साइकिल के लिए 39000 रु. का भुगतान हुआ।

बिल नंबर 5- मैजिक को 950 किमी चलना दिखाया, 38 हजार रु. पेमेंट

गरीब कल्याण योजना के बिलों के भुगतान के लिए बस की जगह एक टाटा मैजिक के नंबर का इस्तेमाल किया गया। बिल के सीरियल नंबर 81 को देखकर पता चलता है कि एमपी-44 पी-0144 एक बस है, जबकि परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में यह नंबर एक टाटा मैजिक के नाम पर दर्ज है। इसकी बैठक क्षमता 7 लोगों की है। फिर भी इसे 950 किमी चलना दिखाया गया है। इसके लिए 38 हजार रु. का भुगतान भी हुआ।

बिल नंबर 6- मप्र में सभा, लेकिन बसों का अधिग्रहण राजस्थान से कर लिया

गरीब कल्याण योजना का कार्यक्रम भोपाल में हुआ, लेकिन आरटीओ अफसरों ने लोगों को लाने-ले जाने में राजस्थान की 12 बसें लगा दीं। बिलों में मालिकों के नाम के आगे सिर्फ राजस्थान लिखा है। औसतन प्रति बस करीब 40 हजार रु. भुगतान हुआ।

शिकायत कैसी थी, मुझे याद नहीं

मुझे इस मामले में याद नहीं है कि शिकायत किस तरह की थी। यदि जिला स्तर की गड़बड़ी है तो जिला स्तर पर जांच होगी।

-जीपी सिंह, एडीजी, सीआईडी

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