इंदौर में फिर भाजपा की सरकार, जानें पांच वो कारण जो भार्गव की जीत के शिल्पकार बने

ये फिर तय हो गया कि इंदौर में कमल का फूल ही चुनाव लड़ता है यानी भाजपा से चेहरा कोई भी मैदान में हो, लोग भाजपा के निशान पर वोट डालते हैं।

इंदौर नगर निगम सरकार की स्थिति साफ हो गई है। भाजपा ने अपनी सीट बचाते हुए एक बार फिर जीत दर्ज की है। इसके साथ ही ये तय हो गया कि इंदौर में कमल का फूल ही चुनाव लड़ता है यानी भाजपा से चेहरा कोई भी मैदान में हो, लोग भाजपा के निशान पर वोट डालते हैं।

कांग्रेस की ओर संजय शुक्ला ने अच्छा चुनाव लड़ा, पर अंत में जीत का स्वाद नहीं चख पाए। पुष्यमित्र भार्गव शहर के नए महापौर होंगे। उनकी जीत के पीछे संगठन और कार्यकर्ताओं की मेहनत है। आइए जानते हैं जीत के पांच कारण

1. बीते चार कार्यकाल में भाजपा ने किया विकास
इंदौर नगर निगम में चार कार्यकाल से भाजपा का महापौर है। शहर का विकास इन सालों में काफी हुआ है। सफाई, सड़कें, सुंदरता, स्मार्ट सिटी जैसे मसलों पर भाजपा अच्छा काम किया है। इसी का फायदा पुष्यमित्र भार्गव को मिला है। भार्गव ने अपने चुनावी प्रचार में भी बीते समय में किए गए विकास पर फोकस रखा था। वे जानते थे कि शहर में विकास की गाथा ही उन्हें जीत दिलाएगी।

2. संघ और जमीनी कार्यकर्ता की मेहनत
पुष्यमित्र भार्गव के बीच जनता का नेता होने का तमगा नहीं था। नाम तय होने के बाद जनता के बीच एक ही सवाल था कि कौन हैं ये पुष्यमित्र भार्गव। पुष्यमित्र को शहर का मित्र बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं ने घर-घर दस्तक दी। पूरी योजनाबद्ध तरीके से काम किया गया। लगातार बैठकें, बूथ स्तर तक प्लानिंग ने इस जीत का आधार रखा। इसके अलावा टीम भार्गव ने भी सोसायटियों में, मोहल्लों में, बस्तियों में जाकर काम किया है। छात्र राजनीति में साथ रहे कई नेता ने भार्गव के लिए फील्डिंग की।

पर्यवेक्षक एसबी सिंह, कलेक्टर मनीष सिंह और डीआईजी राजेश हिंगणकर से चर्चारत पुष्यमित्र भार्गव।
पर्यवेक्षक एसबी सिंह, कलेक्टर मनीष सिंह और डीआईजी राजेश हिंगणकर से चर्चारत पुष्यमित्र भार्गव।
3. दिग्गजों ने भी लगाई जान
इंदौर में भाजपा के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गजों ने काफी मेहनत की। साथ ही शहर के विधायक-पूर्व विधायक भी अपने-अपने क्षेत्रों में पुष्यमित्र के साथ जमकर प्रचार किया था। साथ ही टीम कैलाश ने मैदान में पकड़ कमजोर नहीं होने दी।

4. शहर के सभी बड़े नेताओं को साधा
पुष्यमित्र छात्र राजनीति से ही नेताओं के करीबी रहे हैं। अपने चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भार्गव ने शहर के सभी बड़े नेताओं को साधकर अपने साथ खड़ा कर लिया। कैलाश विजयवर्गीय टीम हो, पूर्व महापौर मालिनी गौड़ टीम हो या सुमित्रा महाजन टीम। नाम तय होते ही भार्गव ने सभी से घर जाकर मुलाकात की, तस्वीरें जारी कर साथ होने का मैसेज देने की कोशिश की। नतीजतन सभी दिग्गजों की टीम भार्गव के लिए काम में जुट गईं। इसका फायदा भी उन्हें मिला है।

5. युवाओं ने दिया साथ
इंदौर में 18 लाख 35 हजार 316  मतदाता हैं। इनमें से करीब ढाई लाख ऐसे मतदाता हैं जिन्होंने पहली बार वोट डाला था। भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव टीम ने इन नए वोटरों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अभाविप ने इसकी कमान संभाली थी। भार्गव जैसे उच्च शिक्षित व्यक्ति की खूब मार्केंटिंग की गई। युवाओं को लुभाने में कारगर रहे। भाजपा के परंपरागत वोट के अलावा युवाओं का समर्थन जीत दिलाने में कारगर रहा।  साथ ही युवा वोटर को लुभाने के लिए भाजपा की सोशल मीडिया टीम ने भी अलग रणनीति बनाई थी।

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