राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश की 5 चूक …?
राजभर-शिवपाल को नहीं मनाया, मुलायम को ISI एजेंट कहे जाने वाली बात पर पक्ष भी नहीं रखा
यूपी की राजनीति के जानकार कहते हैं कि कुल मिलाकर राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की व्यूह रचना में अखिलेश उलझ गए। या फिर यह भी हो सकता है कि राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला एकतरफा नजर आ रहा था। इसलिए, ज्यादा प्रयास नहीं किया। हालांकि, इससे उनकी साख और पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ेगा।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की नजर में अखिलेश की 5 चूक…
1.चाचा शिवपाल को एक बार भी नहीं मनाया: राष्ट्रपति चुनाव के दौरान लखनऊ में सीएम योगी के आवास पर द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन हुआ। इसमें शिवपाल यादव भी शामिल हुए। मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की।
शिवपाल ने आरोप लगाया कि चुनाव के बाद अखिलेश ने उन्हें किनारे कर दिया। किसी बैठक में नहीं बुलाया। उनसे किसी भी मुद्दे पर राय-मशवरा नहीं किया। लेकिन, अखिलेश ने उन्हें मनाने की कोशिश तक नहीं की।
2. ओपी राजभर को बैठक में नहीं बुलाया: ओम प्रकाश राजभर को भी राष्ट्रपति चुनाव वाली बैठक में नहीं बुलाया गया। संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिंहा के समर्थन के लिए हुई बैठक में अखिलेश ने सिर्फ जयंत को बुलाया। इससे राजभर आहत हो गए।
राजभर ने आरोप लगाया कि अखिलेश से मिलने का वक्त भी मांगा। लेकिन, वो नहीं मिले। नाराज राजभर ने मुर्मू को वोट किया। उन्होंने कहा,” अखिलेश यादव टेंशन में हैं, हमें और शिवपाल यादव को सपा से तलाक का इंतजार है।”
3. मुलायम को ISI एजेंट कहे जाने वाले विवाद पर पक्ष नहीं रखा: राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा ने अखिलेश को घेरने के लिए यशवंत सिंहा का पुराना बयान ट्वीट कर दिया। डिप्टी सीएम केशव और बृजेश पाठक ने मुद्दा उठाया। शिवपाल ने भी अखिलेश के यशवंत सिन्हा को वोट देने के फैसले की अनदेखी कर उनको आड़े हाथों लिया।
शिवपाल ने कहा कि नेताजी यानी मुलायम यादव को ISI एजेंट कहने वाले का कभी समर्थन नहीं कर सकते। खबर है कि इससे पार्टी के कुछ विधायक भी नाराज थे, लेकिन अखिलेश ने अपना पक्ष साफ नहीं किया।
4. राष्ट्रपति चुनाव के लिए लॉबिंग नहीं: अखिलेश ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्ष के नेताओं के साथ कोई बड़ी बैठक नहीं की। जब यशवंत सिंहा लखनऊ में सपा के दफ्तर में थे, तब भी किसी विपक्ष के नेता को नहीं बुलाया गया।
इतना ही नहीं अखिलेश ने किसी विपक्ष के नेता से बात भी नहीं की। केवल कांग्रेस के 2 विधायक ही सपा के साथ रहे। मायावती ने भी मुर्मू को समर्थन की घोषणा कर दी थी।
5.अपने एक विधायक का वोट नहीं डलवा पाए: सपा विधायक नाहिद हसन जेल में होने के कारण वोट नहीं डाल पाए। बताया जा रहा है कि अखिलेश ने नाहिद के वोट के लिए प्रयास नहीं किया। वहीं, सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी भी वोट डालने नहीं पहुंचे। अब्बास के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी है।
जाने वाले को कौन रोक सकता है: अखिलेश
शिवपाल ने यशवंत सिन्हा को समर्थन देने पर अखिलेश को पत्र लिखा था। सोमवार को वोटिंग के दौरान अखिलेश ने इस पत्र से जुड़े सवाल पर कहा, ” दिल्ली से चिट्ठी पॉलिटिकल की गई। चाचा से चिट्ठी लिखवाई गई।”
सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के गठबंधन तोड़ने पर अखिलेश ने कहा,” ओपी राजभर जो फैसला लेना है वो ले सकते हैं। जाने वाले को कौन रोक सकता है।” अब देखना यह है कि ओम प्रकाश राजभर भाजपा के खेमे में जाते हैं या वह बसपा के साथ खड़े होते हैं।