इंदौर ये है सरकारी काम! …? छह महीने में ही 250 करोड़ के सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल की सीलिंग का बड़ा हिस्सा टूटा,

अफसरों को खबर ही नहीं…

250 करोड़ की लागत से बने 450 बेड के सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के निर्माण की गुणवत्ता की परतें उधड़ने लगी हैं। कोविड काल के बाद नियमित रूप से अस्पताल शुरू हुए बमुश्किल छह महीने हुए हैं। सोमवार रात पहली मंजिल पर गहन चिकित्सा इकाई के सामने लगी फॉल सीलिंग का बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर गया।

पीछे के पाइप और वायरिंग नजर आने लगे हैं। गनीमत यह रही कि ये घटना आधी रात को हुई। उस वक्त वहां कोई नहीं था। आवाज सुनकर कर्मचारी व मरीज के परिजन घबरा गए। इसी मंजिल पर पीछे जाने वाले ब्लॉक में भी दो-तीन जगह सीलिंग का हिस्सा टूट गया है। हद यह है कि अफसरों को इसकी खबर तक नहीं थी। भास्कर ने जब सवाल पूछे तो बगले झांकने लगे।

डीन, उप अधीक्षक दोनों ही बेखबर
मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आला अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी। देर शाम तक किसी जिम्मेदार ने मेडिकल कॉलेज डीन को इसकी जानकारी तक नहीं दी। उधर, अस्पताल के उप अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्हें भी इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। जब उन्हें घटना के बारे में बताया गया तब उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी लेते हैं।

सीधी बात डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज

कंपनी के 10 करोड़ रुपए हमारे पास जमा हैं, जल्द छत की मरम्मत कराएंगे

क्या यह सामान्य बात है जो आपको खबर तक नहीं दी गई? मेरी जानकारी में यह नहीं आया। यह बिलकुल सामान्य नहीं है। इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।

किसी काे चोट तो नहीं आई? नहीं, उस समय कोई वहां से गुजर नहीं रहा था।

इसके लिए जिम्मेदार कौन है? केंद्र सरकार ने ब्रिज एंड रूफ कंपनी से सिविल वर्क करवाया था। फॉल सीलिंग का काम एक निजी आउटलेट ने किया। बुधवार से रिपेयरिंग शुरू कर देंगे।

अब संबंधित पर क्या कार्रवाई करेंगे? अनुबंध में 5 साल की डिफेक्ट लाइबिलिटी तय है। उनके दस करोड़ हमारे पास जमा हैं। तुरंत ठीक कराएंगे।

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