साॅफ्टवेयर में आप गरीब नहीं… मोबाइल फोन, फ्रिज, पक्का घर बताकर 3.50 लाख लोगों के पीएम आवास के आवेदन रिजेक्ट
प्रधानमंत्री आवास गरीबों के लिए बनाए जा रहे हैं, लेकिन इस योजना का सॉफ्टवेयर और सरकारी सिस्टम उन गरीबों को भी आवास के लिए अयोग्य बता रहा है, जिनके घर मोबाइल, टीवी या फ्रिज जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान हैं। ये सॉफ्टवेयर मप्र के लिए ऐसे करीब 3.50 लाख गरीबों के आवेदन खारिज कर चुका है। इनमें भोपाल के 5225 आवेदक शामिल हैं।
भास्कर ने भोपाल से सटी 10 पंचायतों के 10 से ज्यादा गांवों में करीब 100 लोगों से इस बारे में चर्चा की, तब सॉफ्टवेयर और सिस्टम की इस खामी का पता चला। इन लोगों में कई लोग ऐसे भी हैं, जो तिरपाल लगातार झोपड़ियों में सालों से रह रहे हैं, लेकिन सॉफ्टवेयर इनके पास मोटर साइकिल और पक्का मकान होना बता रहा है।
पंचायत विभाग के अफसरों का तर्क है कि इन लोगों के पास मोबाइल फोन है। इसलिए ये पीएम आवास योजना के हकदार नहीं हैं। गांवों में 51 ऐसे लोग भी मिले, जिनके पास जगह नहीं है और वे मकान नहीं बना पा रहे। बता दें कि पीएम आवास के तहत 1.50 लाख रु. पांच किश्तों में जारी होते हैं। पहली किश्त कच्चे मकान को तोड़ने के बाद और दूसरी दीवारें बनने के बाद जारी होती है।
इमलिया पंचायत- आवास योजना में आधार पहले से मैप, इसलिए हकदार नहीं
भोपाल से 35 किमी दूर विदिशा रोड पर बसे शिवनारायण का परिवार झोपड़ी में रहता है। झोपड़ी की छत में तिरपाल और दीवार के चारों ओर पॉलिथीन लगी है। शिवनारायण मजदूरी करते हैं। तीन साल पहले उन्होंने पीएम आवास के लिए आवेदन किया।
आवास आईडी नंबर 140662434 जारी भी हुआ। लेकिन डुप्लीकेट आधार नंबर बताकर उन्हें अपात्र बता दिया। दूसरी वजह उसका आधार नंबर पहले से आवास प्लस योजना के लिए मैप बताया गया। उन्होंने पत्नी रजनी के साथ अफसरों के कई चक्कर लगाए, लेकिन कुछ हाथ न लगा। अभी तिरपाल में ही रह रहे हैं।
परिवार में कोई 10 हजार भी कमाता हो तो भी पीएम आवास नहीं
रियलिटी चैक- 1 बुजुर्ग के पास मोटर साइकिल नहीं, लेकिन सिस्टम बता रहा
चौपड़ा कला गांव केे बुजुर्ग राजेंद्र लोधी मजदूरी करते हैं। घर में पत्नी, विकलांग बेटा अनिल है। राजेंद्र ने भी आवेदन किया, लेकिन रिजेक्ट हो गया। वजह- घर में दो पहिया गाड़ी होना बताया। जबकि राजेंद्र कहते हैं कि वे आज भी पैदल चलते हैं। बस से मजदूरी को जाते हैं। गाड़ी उनके भाई के पास है, लेकिन सिस्टम में गाड़ी उनके नाम दर्ज है।
रियलिटी चैक : 2 घर के सभी सदस्य मजदूर, दो बार आवेदन दिए, रिजेक्ट हुए
घाटखेड़ी गांव में रहने वाले 60 साल के मुंशीलाल सपेरा 9 बच्चों के साथ झोपड़ी में रहते हैं। झोपड़ी की छत पर लगी तिरपाल हर मौसम में बदलना पड़ती है। घर के सभी सदस्य मजदूर हैं। इन्होंने दो बार आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन सरकारी सॉफ्टवेयर दिखा रहा है कि इनके पास पक्का घर है।
रियलिटी चैक : 3 कच्चे घर में जिंदगी कट रही, सिस्टम में पक्का मकान दर्ज
40 साल की सुनीता सेन पति के साथ कच्चे मकान में रहती हैं। लेकिन कुछ दिन पहले पीएम आवास की लिस्ट से इनका नाम हटा दिया गया, क्योंकि सिस्टम के पास इनका पक्का मकान होना दर्ज है। कुछ ऐसा वाकया कान्हासैंया गांव में रहने वाले बादाम सिंह के साथ भी हुआ। तीन बच्चे हैं। घर कच्चा है। लेकिन सिस्टम पक्का बता रहा है।
यदि आपके पास इनमें से एक भी है तो आवेदन खारिज होगा
दो पहिया, नाव, फ्रिज, लैंडलाइन फोन, कृषि वाहन, उपकरण, परिवार में कोई सरकारी सेवा में हाे, दुकान का लाइसेंस हो, आयकर दाता, ढाई एकड़ सिंचित ज़मीन हो या एक सिंचाई उपकरण हो, परिवार में कोई 10 हजार महीना कमाता हो।
अब तक 582563 पीएम आवास बने, लक्ष्य से 12371 कम
मप्र को केंद्र सरकार ने 594934 घर बनाने का लक्ष्य दिया था। इनमें से 582563 का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। 407818 की जीईओ टैगिंग हो चुकी है। जबकि 106222 मकान बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है।