आसान पासवर्ड बने जी का जंजाल, साइबर अपराधी हो रहे मालामाल

साइबर सिरदर्द: दुनियाभर में 7% पासवर्ड ही यूनिक, रोज 30 करोड़ से अधिक वेबसाइट्स हैक
आसान पासवर्ड बने जी का जंजाल, साइबर अपराधी हो रहे मालामाल

जयपुर. देश-दुनिया में बढ़ते साइबर अपराधों के पीछे कमजोर पासवर्ड सबसे बड़ा कारण है। भारत में शहरी नौकरी-पेशे वाला औसतन हर व्यक्ति 10 से 15 मोबाइल या टैब ऐप्स पर पासवर्ड इस्तेमाल करता है। नॉर्डपास 2022 के अध्ययन के अनुसार पासवर्ड भूलने के डर से लोग अधिकतर ऐप्स में एक जैसे पासवर्ड या बेहद आसान पासवर्ड चुनते हैं और साइबर अपराधियों का शिकार बनते हैं। हर दिन करीब 30 करोड़ से अधिक वेबसाइट्स हैक होती है और सालाना करीब 6 खरब डॉलर का नुकसान होता है।

दुनियाभर में 72 फीसदी से अधिक, जबकि भारत में 84 फीसदी से अधिक पीड़ित आसान पासवर्ड या फिर लापरवाही के कारण साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसते हैं। हालांकि पुरुषों की अपेक्षा शहरी महिलाएं 7 फीसदी ज्यादा मजबूत पासवर्ड इस्तेमाल करती हैं और 8 फीसदी कम साइबर हमलों की शिकार होती हैं।

बिना अर्थ का पासवर्ड सुरक्षित

जिस पासवर्ड का कोई अर्थ नहीं निकलता, उसका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए पासवर्ड में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करें, जो शब्दकोश में हैं या जो अक्षर कीबोर्ड पर क्रम में हैं। पासवर्ड को याद रखने के लिए अंत में चार शब्द ऐप या कंपनी के नाम के जोड़ दें, ताकि अलग-अलग प्लेटफॉर्म का पासवर्ड याद रहें। कोशिश करनी चाहिए कि पासवर्ड में अंकों के साथ अन्य अक्षर भी हों।

– वी. राजेन्द्रन, चेयरमैन, डिजिटल सेक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया

महिलाएं सतर्क, पुरुष लापरवाह

अध्ययन की मानें तो दुनियाभर की 43 फीसदी महिलाएं ऑनलाइन स्टोर, 57 फीसदी बैंकों, 50 फीसदी निजी ई-मेल और 38 फीसदी मोबाइल ऐप्प में स्ट्रोंग पासवर्ड प्रयोग करती हैं। वहीं, 36 फीसदी पुरुष ऑनलाइन स्टोर, 50 फीसदी बैंकों और अन्य वित्तीय खातों, 42 फीसदी निजी ई-मेल और 31 फीसदी मोबाइल ऐप में ही स्ट्रोंग पासवर्ड इस्तेमाल करते हैं। यहीं कारण है कि महिलाएं साइबर हमलों की शिकार भी कम होती हैं।

बर्खास्तगी से कम नहीं पासवर्ड रीसेट करना

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